राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दक्षिणी दिल्ली की कॉलोनियों में पेड़ गिराए जाने पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है और निर्देश दिया है कि नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा 19 जुलाई तक कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा.
एनजीटी के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति जवाद रहीम की अध्यक्षता वाली पीठ ने आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सीपीडब्ल्यूडी और अन्य को नोटिस भी जारी किये और उनसे 19 जुलाई से पहले अपने जवाब दाखिल करने को कहा है.
हरित पैनल ने परियोजना प्रस्तावकों से एक स्पष्ट विवरण देने और पेड़ों की सटीक संख्या के बारे में सूचित करने को कहा जिन्हें पुन:विकास परियोजना के लिए काटने का प्रस्ताव दिया गया है.
अधिकरण, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ कल्चर , हेरिटेज , इन्वायरमेंट , ट्रेडिशन्स एंड प्रमोशन ऑफ नेशनल अवेयरनेस की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसने कॉलोनियों के पुन : विकास के लिए 16,000 से ज्यादा पेड़ों की प्रस्तावित कटाई पर रोक लगाने की मांग की है.
इससे पहले एनजीटी ने पिछले साल सितंबर में दिए गए अपने फैसले में एनबीसीसी को निर्देश दिया था कि वो प्रोजेक्ट के लिए पेड़ काटने से पहले अनिवार्य वृक्षारोपण को पूरा करे. एनबीसीसी के चेयरपर्सन एके मित्तल ने कहा है कि निकाय ने एनजीटी द्वारा तय किए सभी शर्तों को पूरा किया है.
एनबीसीसी और सीपीडब्ल्यूडी सरोजनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, कस्तूरबा नगर, मोहम्मदपुर और श्रीनिवासपुरी में पुनःविकास परियोजना को कार्यान्वित करने जा रही है, इसके तहत उसने करीब 16,500 पेड़ों की कटाई की इजाजत मांगी थी. दिल्ली वन विभाग ने इन्हें यह कहा कि वो सरोजनी नगर की परियोजना को फिर से बनाए क्योंकि यहां करीब 11,000 पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी गई थी.
(भाषा से इनपुट के साथ)