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निर्मला सीतारमण बोलीं, AFSPA पर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले अधिकारियों के लिए कोई दुर्भावना नहीं

रक्षा मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने न्यायालय जाने का विकल्प इसलिए चुना क्योंकि उनके मन में चिंता की कुछ भावना है, जिसे वे समझती हैं.

Bhasha

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि थलसेना के उन अधिकारियों के लिए उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं है जिन्होंने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) से जुड़े मामलों पर अपना नजरिया पेश करने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. रक्षा मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने न्यायालय जाने का विकल्प इसलिए चुना क्योंकि उनके मन में चिंता की कुछ भावना है, जिसे वे समझती हैं.

दरअसल, एक असामान्य कदम उठाते हुए थलसेना के करीब 700 अधिकारियों और सैनिकों ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर उससे अनुरोध किया है कि अफ्सपा के तहत सैनिकों के जरिए सही भावना से की गई कार्रवाई के मामलों में उनका संरक्षण किया जाए. उन्होंने इस कानून के कुछ प्रावधानों को कमजोर करने की खबरों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की है. इस कानून के तहत केंद्र की मंजूरी के बगैर सुरक्षा बलों के कर्मियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.


शिकायत निवारण एक अधिकार

इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर रक्षा मंत्री ने कहा, 'शिकायत निवारण एक अधिकार है. मैं कभी नहीं कहना चाहूंगी कि यदि आपको कोई शिकायत है तो आपको इसे जाहिर नहीं करना चाहिए. मैं ऐसा कभी नहीं कहूंगी.' उन्होंने कहा, 'थलसेना, नौसेना और वायुसेना में शिकायत निवारण के लिए संस्थागत तंत्र उपलब्ध हैं. लिहाजा, जवानों या अधिकारियों के लिए बलों के भीतर संस्थागत तरीके से अपनी शिकायत का निवारण संभव है.'

सीतारमण ने कहा, 'लेकिन अगर अफ्सपा के मामले में उन्होंने अदालत का रुख किया है तो जवानों और अधिकारियों में चिंता की भावना है और मैं उसे समझती हूं.' उन्होंने कहा कि अफ्सपा कानून अलग और बेहद चुनौतीपूर्ण हालात से निपटने के लिए लाया गया था.