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वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली, यूपी, हरियाणा को NGT से कड़ी फटकार

एनजीटी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु की ‘गंभीर’ होती स्थिति में सुधार के लिए एहतियाती उपाय क्यों नहीं किए गए

Bhasha

राष्ट्रीय राजधानी के घने कोहरे से घिरने को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारों को फटकार लगाई है. एनजीटी ने मंगलवार को उनसे यह साफ करने को कहा कि क्षेत्र में वायु की ‘गंभीर’ होती स्थिति में सुधार के लिए एहतियाती उपाय क्यों नहीं किए गए.

एनजीटी के प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली एक पीठ ने आपात स्थिति से निपटने के लिए पहले से तैयार ना रहने के लिए राज्य सरकारों को फटकारा.


राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार सुबह से ही घने कोहरे की एक चादर सी छाई हुई है. ऐसा प्रदूषण के स्तर के स्वीकृत मानकों से कई गुना ज्यादा होने के कारण हुआ है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता दर्ज की है जिसका मतलब है कि प्रदूषण की तीव्रता काफी ज्यादा है.

पीठ ने कहा, ‘‘परिवेशी वायु गुणवत्ता इतनी बुरी है कि बच्चे सही से सांस नहीं ले पा रहे हैं. आप हमारे निर्देशानुसार हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल कर पानी का छिड़काव क्यों नहीं करते? आप निर्देश लें और हमें दो दिन बाद सूचित करें.’

एनजीटी ने राज्य सरकारों से यह साफ करने को कहा कि उन्होंने रोकथाम और एहतियाती उपाय क्यों नहीं किए क्योंकि यह पहले ही बताया गया था कि इस तरह की स्थिति के सामने आने की आशंका है.

पीठ ने सीपीसीबी से यह बताने को भी कहा है कि स्थिति से निपटने के लिए उसने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए क्या आपात निर्देश जारी किए.

पर्यावरण से जुड़ी आपात स्थिति’ से सबसे ज्यादा बच्चे, बुजुर्ग प्रभावित हो रहे 

एनजीटी दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में खराब होती वायु गुणवत्ता को लेकर फौरन कार्रवाई की मांग से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया है कि ‘पर्यावरण से जुड़ी आपात स्थिति’ से सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित हो रहे हैं.'

याचिका में सीपीसीबी की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिसके अनुसार दिल्ली में 17, 18 और 19 अक्टूबर को परिवेशी वायु गुणवत्ता ‘बहुत ही खराब’ पाई गई.

इसमें कहा गया कि एनजीटी से पिछले साल इस तरह के विस्तृत आदेश मिलने के बावजूद अधिकारियों ने इसकी बुरी तरह अनदेखी की.

पर्यावरणविद् आकाश वशिष्ठ द्वारा दायर याचिका में शहर में कारों की बढ़ती संख्या को रेखांकित करते हुए कहा गया कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार के लिए वाहनों की संख्या पर लगाम लगाने को लेकर रूख अपनाना जरूरी है.

याचिका में दिल्ली और पड़ोसी राज्यों को कचरा जलाने और उससे होने वाले प्रदूषण को लेकर लोगों को जागरूक करने की खातिर किए गए उपायों के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.