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केंद्र के 7,000 करोड़ खर्च करने के बाद भी नहीं साफ हुई गंगा

हरिद्वार और उन्नाव के बीच गंगा में कूड़ा डालने वालों पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा

FP Staff

हरिद्वार और उन्नाव के बीच गंगा में कूड़ा-करकट डालना अब बहुत महंगा पड़ेगा. एनजीटी ने गुरुवार को आदेश दिया कि हरिद्वार और उन्नाव के बीच गंगा में कूड़ा डालने वालों पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.

जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने अथॉरिटी को आदेश दिया कि 500 मीटर के इस किनारे में किसी भी तरीके का कूड़ा डालने की अनुमति नहीं है. इतना ही नहीं नदी के 100 मीटर के किनारे को 'नो डेवलपमेंट जोन' के अंतर्गत रखा गया है.


बेंच की जांच में सामने आया कि सरकार की तरफ से पहले ही गंगा की सफाई में 7,000 करोड़ खर्च हो चुके हैं. कोर्ट ने सरकार को दो टूक कहा कि अब इस प्रोजेक्ट पर और पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है.

जाने माने पर्यावरणविद और अधिवक्ता एमसी मेहता ने गंगा सफाई के नाम पर सरकार द्वारा 7,000 करोड़ खर्च करने की भी सीबीआई जांच की मांग की है. अधिवक्ता की ही याचिका पर एनजीटी ने गुरुवार को एक विस्तृत फैसला दिया और टिप्पणी की कि अथॉरिटी गंगा सफाई के नाम पर सात हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं हालांकि नदी की दशा में कोई खास सुधार नहीं हुआ है.

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा, ‘देश में लाखों लोग गंगा नदी को पूजते हैं और यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है. गंगा सफाई में 7,304 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं.

वहीं मेहता ने कहा, ‘गंगा सफाई में खर्च की गई राशि व्यर्थ चली गई है. मेरा मानना है कि केंद्र सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए. यकीनन 7000 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए जा चुके हैं क्योंकि प्रत्येक अथॉरिटी ने नदी की सफाई में पैसे खर्च किए हैं. पैसे कैसे खर्च हुए इस बात की सीबीआई जांच और कैग से ऑडिट कराया जाना चाहिए क्योंकि यह जनता का धन है जो व्यर्थ चला गया.’