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हैप्पी न्यू ईयर 2018 कहा तो करना पड़ेगा उठक-बैठक!

हैदराबाद के एक प्रसिद्ध मंदिर चिलकुर बालाजी के पुजारियों ने ऐलान किया है कि अगर नए साल पर उन्हें किसी ने आकर बधाई दी, तो बदले में वो उसे सजा देंगे

FP Staff

नया साल आने ही वाला है. इस बार भी आप अगर हर साल की तरह नए साल की बधाई देने की सोच रहे हैं तो थोड़ा संभल क. आंध्रप्रदेश के मंदिरों में नए साल पर विशेष पूजा अर्चना पर रोक लगाए जाने के बाद अब हैदराबाद के एक प्रसिद्ध मंदिर चिलकुर बालाजी के पुजारियों ने ऐलान किया है कि अगर नए साल पर उन्हें किसी ने आकर बधाई दी, तो बदले में वो उसे सजा देंगे. सैकड़ों भक्तों के बीच और खुले आसमान के नीचे, सजा भी ऐसी दी जाएगी कि बधाई देने वाला वर्षों याद रखे. पुजारियों का कहना है कि 1 जनवरी को नए साल का पहला दिन मानने पर प्रतिबंध लगना चाहिए.

उठक-बैठक कराएंगे पुजारी


हैदराबाद में मौजूद प्रसिद्ध चिलकुर बालाजी मंदिर में अगर किसी ने पुजारी को नए साल की शुभकामनाएं दीं, तो उसे उठक-बैठक करनी पड़ सकती है. अमेरिका जाने के वीजा की मन्नत मांगने ज्यादातर लोग इस मंदिर में आते हैं, लेकिन यहां के मुख्य पुजारी को अगर किसी ने अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 1 जनवरी को न्यू ईयर की बधाई दे दी तो उन्‍हें उठक-बैठक करनी पड़ सकती है.

उगादी त्‍योहार से शुरू होगा नया साल

खुद को हाईटेक मुख्यमंत्री की तरह पेश करने वाले चंद्रबाबू नायडू की सरकार भी न्यू ईयर सेलेब्रेशन के खिलाफ खड़ी हो गई है. आंध्र प्रदेश के धर्मस्व विभाग के अंतर्गत काम करने वाले हिंदू धर्म परीक्षण ट्रस्ट ने सर्कुलर जारी किया है कि किसी भी मंदिर में 1 जनवरी पर विशेष पूजा अर्चना नहीं होगी. धर्मस्व विभाग का कहना है कि आंध्रप्रदेश में नया साल उगादी नाम के त्योहार के दिन से शुरू होता है. एक जनवरी से नहीं.

मंदिरों ने न पूजा होगी न ही उसे सजाया जाएगा

हिंदू धर्म परिरक्षण ट्रस्ट के सचिव सीवी राघवाचारीयलु, ने बताया कि सनातन धर्म के हिसाब से नया साल उगादी से शुरू होता है. तेलुगु पंचांग में यही नए साल का त्योहार है और तभी विशेष पूजा और अनुष्ठान करने चाहिए. लेकिन कुछ सालों से हम लोग अपना हिंदू कैलेंडर भूलकर पराए अंग्रेजी कैलेंडर को मानने लगे हैं. इसलिए आंध्र प्रदेश सरकार ने आदेश जारी किया है कि 1 जनवरी को मंदिरों को सजाया नहीं जाए और विशेष पूजा अर्चना भी नहीं कराई जाए. 31 दिसंबर और 1 जनवरी में कोई अंतर नहीं है.

तिरुपति बालाजी मंदिर पर लागू नहीं होगा आदेश

मंदिरों के पुजारी और सरकार भले एक सुर में ग्रेगेरियन कैलेंडर का विरोध कर रहे हैं, लेकिन मंदिरों में मत्था टेकने के लिए आने वाले नौजवान ही इसे मानने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. इंजीनियरिंग के छात्र प्रणय, के मुताबिक उनके जैसे लोग 31 दिसंबर की रात रेस्तरां, होटल्स और पब्स में इस बार रातभर झूम तो सकेंगे लेकिन अगले दिन यानी 1 जनवरी को मंदिर में जाकर भगवान को खुश करने के लिए विशेष पूजा नहीं करवा पाएंगे.

धर्मस्व विभाग के आदेश का असर आंध्रप्रदेश में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में से एक मल्लिकार्जुन और 108 शक्तिपीठ में से एक कनकदुर्गा मंदिर समेत ज्यादातर मंदिरों पर पड़ेगा. हालांकि अच्छी बात ये है कि तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट इस आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं क्योंकि तिरुपति मंदिर धर्मस्व विभाग के दायरे में नहीं आता.

(न्यूज18 हिंदी के लिए संजय तिवारी की रिपोर्ट)