माओवादी हिंसा में पिछले दो दशक से ज्यादा वक्त में 12 हजार लोगों की जान गई है जिसमें 2,700 सुरक्षाकर्मी हैं.
गृह मंत्रालय के तैयार किए गए आंकड़ों के मुताबिक, मारे गए लोगों में 9,300 ऐसे मासूम नागरिक शामिल हैं जिनकी या तो नक्सलियों ने पुलिस का मुखबिर बताकर हत्या कर दी या वो सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच की गोलीबारी में मारे गए थे.
हालांकि सुरक्षा बलों पर वक्त-वक्त पर होते हमलों के बावजूद पिछले तीन सालों में नक्सल हिंसा में 25 फीसदी की गिरावट आई है.
नक्सली हमलों में गिरावट आई है
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मई 2011 से अप्रैल 2014 की तुलना में मई 2014 से अप्रैल 2017 में वाम चरमपंथ से संबंधी हिंसा में 25 फीसदी की गिरावट आई है और सुरक्षा बलों के हताहत होने वाली संख्या में 42 फीसदी कम हुई है.
बीती 24 अप्रैल को सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी पर हमले में 25 कर्मियों की जान गई थी जो 2010 के अप्रैल में छत्तीसगढ़ के ही दंतेवाड़ा में हुए हमले के बाद से सबसे घातक है. उस हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की मौत हुई थी.
अधिकारी ने कहा कि नक्सल कैडर को खत्म करने की दर में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि चरमपंथियों के आत्मसमर्पण करने की दर 185 फीसदी बढ़ी है.
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल माओवादियों की 90 फीसदी गतिविधियां 35 जिलों में सीमित हैं. हालांकि उनकी 10 राज्यों के 68 जिलों के कुछ इलाकों में पकड़ है.
माओवाद प्रभावित राज्यों में 358 बैंक खोले गए हैं
वाम चरमपंथी हिंसा को काबू करने के लिए केंद्र ने नेशनल पॉलिसी और एक्शन प्लान शुरू किया था जिसमें सुरक्षा, विकास और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है.
इस योजना के तहत, पिछले तीन सालों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 307 किलेबंद थानों का निर्माण कराया गया है.
सड़क आवश्यकता योजना के पहले चरण के तहत कुछ सबसे मुश्किल इलाकों में 1,391 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराया गया है.
9 नक्सल प्रभावित इलाकों में कुल 5,412 अतिरिक्त सड़क निर्माण को मंजूरी दी गई है जिसपर 11,725 करोड़ रुपए की लागत आएगी.
दूर दराज के इलाकों में टेलीफोन कनेक्टिविटी में सुधार करने के लिए 2,187 मोबाइल टावर लगाए गए हैं, जबकि 2,882 लगाने की प्रक्रिया में हैं.
माओवाद प्रभावित राज्यों में 358 बैंक खोले गए हैं, 752 एटीएम लगाए गए हैं और 1,789 डाक घरों को खोलने की मंजूरी दी गई है, जो बुरी तरह से प्रभावित 35 जिलों में आर्थिक वित्तीय समावेशन में सुधार के लिए सरकार की योजना का हिस्सा है.
अतिरिक्त कोष के जरिए सुधरे हालात
कई विकास योजनाओं के विस्तार के वास्ते अतिरिक्त कोष के लिए गृह मंत्रालय पहले ही वित्त मंत्रालय से संपर्क कर चुका है जिन्हें नक्सल प्रभावित राज्यों में शुरू किया गया था.
अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से अगर मंजूरी मिल जाती है तो सुरक्षा संबंधी व्यय योजना (एसआरई), विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस), एकीकृत कार्य योजना (आईएपी) और कुछ अन्य योजनाओं का विस्तार कुछ अन्य सालों तक किया जाएगा.
एसआरई योजना के तहत बीमा से संबंधित व्यय, सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण और संचालन की ज़रूरतों के व्यय, आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत समर्पण करने वाले वाम चरमंपथी कैडर के पुनर्वास के व्यय और ग्राम सुरक्षा समितियों के लिए सुरक्षा संबंधी अवसंरचना पर आने वाले खर्च को पूरा करने के लिए कोष दिया जाता है.
(साभार: न्यूज़18)