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किसानों की खुदकुशी रोकने के लिए ठोस नीति बनाए केंद्र: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों की खुदकुशी का मुद्दा 'अत्यंत महत्वपूर्ण' है

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश में किसानों की खुदकुशी की घटना को रोकने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा दे देने से कोई भी हल नहीं निकलेगा.

चीफ जस्टिस एस.केहर, जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस एस.के.कौल की सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों की खुदकुशी का मुद्दा 'अत्यंत महत्वपूर्ण' है.


सरकार ने इन खुदकुशियों के पीछे के कारणों का समाधान निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जबकि यह दस साल से होता आ रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दुखी है और यह बहुत ही गलत बात है कि किसान फसल खराब होने और एग्रीकल्चर लोन के कारण खुदकुशी कर लेते है.

कोर्ट ने कहा सरकार गलत दिशा में 

सुप्रीम कोर्ट ने दुख जताते हुए कहा, 'हमें लगता है कि आप (सरकार) गलत दिशा में जा रहे हैं. किसान बैंक से लोन लेते हैं और जब उस लोन को चुकाने में वह असफल हो जाते है. तो खुदकुशी कर लेते हैं. इसका समाधान किसानों की खुदकुशी के बाद उनके परिजनों को मुआवजा देना नहीं है, बल्कि इन घटनाओं को रोकने के लिए आपको योजना बनानी चाहिए.'

केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि उसने किसानों के लिए कई स्कीम की शुरुआत की है. और साल 2015 में लाई गई एग्रीकल्चर इंश्योरेंस प्लान से इस तरह की घटनाएं अब कम होती हुई नजर आएंगी.

कोर्ट, रिसोर्स और एक्शन इनिशिएटिव नामक एनजीओ द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गुजरात में कर्ज में डूबने के बाद खुदकुशी करने वाले किसानों के परिजनों को मुआवाजा देने की मांग की गई है.