दलित कानून में संशोधन के खिलाफ 1 मई को देश के कई दलित संगठन प्रतिरोध दिवस मनाएंगे. अभी हाल में सुप्रीम कोर्ट ने दलित कानून (एससी/एसटी एक्ट) पर एक अहम फैसला सुनाते हुए मनमानी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. इस फैसले के खिलाफ देशभर के दलित 1 मई को लामबंद होंगे और जगह-जगह प्रदर्शन कर विरोध जताएंगे.
दलित मूवमेंट फॉर जस्टिस (NDMJ) के महासचिव डॉक्टर वीए रमेन नाथन ने विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण आयोजित करने की अपील की है. नाथन के मुताबिक, दलितों की आवाज बुलंद करने के लिए बने नेशनल कोअलिशन के बैनर तले एक मई को सभी जिला और प्रदेश मुख्यालयों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
नाथन ने कहा कि 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस भी मनाया जाता है. इसीलिए इस दिन को चुना गया है. नाथन की मानें, तो 'भारत के मजदूर वर्ग के ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आते हैं. हमें दलितों, आदिवासियों, औरतों और बच्चों के मानवाधिकारों के लिए बहुत कुछ करना है. वे अब भी हिंसा और भेदभाव झेल रहे हैं.'
नाथन ने लोगों से अपील की कि दलित कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक मई को राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस के रूप में मनाएं. उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ताओं, कामगार समूहों, मजदूर संगठनों, मानवाधिकार के लिए काम करने वाली संस्थाओं, महिला संस्थाओं से सहयोग मांगा है. उन्होंने कहा कि इस दिन देशभर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए जाएंगे.
नेशनल कोअलिशन ने सरकार के सामने 12 प्रमुख मांगें रखी हैं. उनकी मांगों में एक मांग यह भी है कि भारत सरकार यह तय करे कि दलित कानून (अत्याचार से संरक्षण) की स्थिति वही रहे जो सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसेल से पहले थी. न तो इसमें जूडिशरी दखल दे और न ही संसद.
इससे पहले दलितों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था.
(न्यूज़ 18 के लिए विजय सिंह परमार की रिपोर्ट)