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...तो इस वजह से बढ़ जाती हैं प्याज की कीमतें

नासिक के लासलगांव प्याज मंडी में व्यापारियों पर आयकर विभाग के छापे के बाद प्याज की कीमतों में 35 प्रतिशत की कमी आई है

FP Staff

सोचिए आप रात खाना खाकर सोने जाते हैं. सुबह उठकर सब्जी मार्केट जाते हैं, प्याज की कीमत 60 रुपए होती है. जबकि एक दिन पहले आपको इसी जगह पर 30 रुपए किलो प्याज मिल रही होती है. आप तत्काल सोचने और पूछने के बजाए यह मान बैठते हैं कि कुछ हुआ होगा, जिससे कीमत बढ़ गई होगी. महंगाई बढ़ी हुई है, यह भी उसी का हिस्सा है. हां घर लौटते समय पूरे रास्ते मन ही मन सरकार और किसान को जरूर कोसते रहते हैं.

यहीं आप गलत होते हैं. प्याज के 60 रुपए प्रति किलो होने में किसान का तो दूर दूर तक हाथ नहीं है. वह खुद भी नहीं समझ पाता है कि दोपहर इसी प्याज को वह 20 रुपए प्रति किलो की दर से होलसेल मंडी में बेचकर आया था. सुबह यह 60 रुपए का हो गया. आखिर उसके 40 रुपए किसके पास जाते हैं.


टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक नासिक के लासलगांव एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी में गुरुवार को प्याज की कीमत में 35 प्रतिशत की कमी आ गई. क्योंकि बुधवार को नासिक के सात बड़े व्यापारियों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था. इन सात व्यापारियों में से दो व्यापारियों का पूरे बाजार के 30 फीसदी कारोबार पर कब्जा है.

लासलगांव एपीएमसी के चेयरमैन जयदत्ता होलकर ने बताया कि 'जिन सात व्यापारियों के यहां रेड हुई है, उसमें दो तो यहीं के हैं. ये ऐसे व्यापारी हैं जो 30 प्रतिशत प्याज खरीद लेते हैं. इस छापेमारी से व्यापारियों को चिंता में डाल दिया है. पता नहीं ऐसे में व्यापार कैसे होगा?'

इसके बाद कीमतों में गिरावट की वजह से महाराष्ट्र के किसानों ने प्याज बेचना बंद कर दिया है. उन्हें आशंका है कि प्याज की इस गिरी हुई कीमत का सबसे अधिक नुकसान केवल उन्हीं को ना चुकाना पड़े. यहां ऑक्शन के लिए प्याज नहीं आ रहे हैं.

बुधवार को जहां प्याज की कीमतें 1,400 रुपए प्रति क्विंटल था, वहीं गुरुवार को यह मात्र 900 रुपए प्रति क्विंटल रह गया. जबकि इससे पहले मंडी में प्याज की कीमतें न्यूनतम 500 रुपए प्रति क्विंटल और अधिकतम 1,331 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया.

लासलगांव एपीएमसी के चेयरमैन जयदत्ता के मुताबिक किसान इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं. वह प्याज बेचने को फिलहाल तैयार नहीं है. लेकिन असल बात यह है कि कम सप्लाई होने की वजह से मूल्य में उछाल आता है. ऑक्शन होते हैं तो किसानों को वाजिब दाम मिलते हैं. थोक व्यापारी अधिक कीमत पर खरीदते हैं. अब ये व्यापारी खरीदेंगे नहीं, किसान कम कीमत मिलने की डर से प्याज लेकर आएंगे नहीं, भला देशभर में प्याज के दाम कैसे नहीं बढ़ेंगे?

घरेलू बाजार में चार से पांच गुणा अधिक तक दाम बढ़ गए हैं. पांच माह पहले यह जहां प्याज 450 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहे थे, वहीं बीते दस अगस्त को इसकी कीमत 2,450 रुपए प्रति क्विंटल तक दर्ज किए गए.

इसका असर यह था कि जहां खुदरा बाजारों में प्याज 10 से 30 रुपए किलो मिल रहा था, वहीं बीते कुछ माह में यह पूरे देश में 40 से 60 रुपए प्रति किलो तक हो गया है.

हाल यह होता है कि चूंकि नासिक लासलगांव प्याज मंडी देश की सबसे बड़ी मंडी है, वहां अगर प्याज की आवक कम हो जाती है तो इसका असर देशभर में पड़ता है. वहां सप्लाई रुक जाती है, कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो जाती है. अधिकारी हमेशा बढ़ी हुई कीमतों को तत्कालिक मामला बताते हैं.