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इमरान खान को करारा जवाब: नसीरुद्दीन शाह को देशभक्ति सिखाने वाले उनसे सीखें

नसीरुद्दीन ने इमरान खान को अपने बयान का फायदा नहीं उठाने दिया. अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लेने वाले नसीरुद्दीन के डायलॉग्स को जैसे सुना जाता है, अगर उतने ही ध्यान से उनके बयान को समझा जाता तो शायद पहले ही अहसास हो जाता कि उनका प्रहार देश के खिलाफ नहीं था

FP Staff

बुलंदशहर हिंसा मामले पर दिए गए अपने बयान को लेकर जब देशभर में कई लोग अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की आलोचना कर रहे थे. उन पर देशद्रोही होने का आरोप लगाते हुए उनके पुतले फूंक रहे थे. यहां तक कि उन्हें पाकिस्तान जाने तक की सलाह दी जा रही थी. तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी अपनी राजनीति सेंकने की कोशिश की. इसने मानो आग में घी का काम किया हो और लोग फिर नसीरुद्दीन शाह पर ही टूट पड़े.

लेकिन इन सब के बीच जब दिग्गज अभिनेता ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को करारा जवाब दिया तो शायद कुछ लोगों को शाह के बयान का मर्म समझ आया हो. इमरान को करारा जवाब देते हुए शाह ने कहा 'मुझे लगता है कि इमरान खान को उन मुद्दों पर टिप्पणी करने की बजाय अपने देश के बारे में सोचना चाहिए.' नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि हमारे देश में 70 साल से लोकतंत्र बना हुआ है और हम जानते हैं कि हमें अपनी देखभाल कैसे करनी है.


इमरान को नसीरुद्दीन का करारा जवाब

दरअसल इमरान पाकिस्तान में उनकी सरकार की 100 दिनों की अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनके अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है. यही पाकिस्तान के कायद-ए-आजम मुहम्मद अली जिन्ना का विजन था.'

इमरान ने कहा, 'हम मोदी सरकार को दिखाएंगे कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसे व्यवहार किया जाता है. भारत में लोग कह रहे हैं कि अल्पसंख्यकों के साथ समान नागरिकों जैसा व्यवहार नहीं किया जा रहा है.' इस बयान को उन्होंने नसीरुद्दीन शाह के बुलंदशहर हिंसा पर दी टिप्पणी को ध्यान में रखकर दिया था.

अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लेने वाले नसीरुद्दीन शाह के डायलॉग्स को जैसे सुना जाता है. अगर उतने ही ध्यान से उनके बयान को समझा जाता तो शायद पहले ही एहसास हो जाता कि उनका प्रहार देश के खिलाफ नहीं था. वह प्रहार था देश में बनाए जा रहे भय के माहौल पर. लेकिन उनके बयान को ठीक उसी तरह से पेश किया गया जिसके खिलाफ उन्होंने अपनी राय स्पष्ट की थी.

नसीरुद्दीन के पुतले फूंकने वालों को फिर से सुनना चाहिए उनका बयान

शाह के बयान को समझा जाए तो महसूस हो जाएगा कि जिस तरह से भीड़ हिंसक हो रही है, वह किसी भी रूप में लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. भारतीय संविधान भी लोगों की धार्मिक आस्था को ध्यान में रखता है लेकिन उसके केंद्र में एक व्यक्ति का जीवन ही होता है. और अगर किसी व्यक्ति कि हत्या कर पूरा ध्यान आस्था के प्रतिक पर केंद्रित किया जाए तो यह अवश्य ही चिंता का विषय बन जाता है.

मगर इस बात को समझने की बजाय कई लोगों ने नसीरुद्दीन शाह को राष्ट्रद्रोही बताते हुए उनके पुतले तक फूंक दिए. उनके खिलाफ बयानबाजी करने वालों में तो कई बड़ी-बड़ी हस्तियों के भी नाम शामिल हैं. लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को दिए जवाब में नसीरुद्दीन शाह ने बता दिया कि भारत देश लोकतांत्रिक मूल्यों पर बड़ा हुआ है. सांप्रदायिक दंगों के कई दागों को सीने पर ले कर भी यहां के आपसी भाईचारे ने लोगों को 70 साल से ज्यादा से सुकून से जीने का हक दिया है.

शायद तभी एक ऐसे देश के मुखिया को बेबाकी से शाह ने जवाब दिया जो आजाद तो भारत के साथ ही हुआ लेकिन आधे से ज्यादा समय उसने फौजदारी के तले काटा. भारत को अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार सिखाने की बात करने वाले पाकिस्तान के मुखिया शायद यह भूल गए कि उनके देश के सर्वोच्च स्थानों पर आज तक सिर्फ एक ही मजहब के लोग पहुंच सके हैं. जबकि भारत में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जजों समेत कई अहम पदों पर अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले लोग पहुंच चुके हैं.

नसीरुद्दीन का बयान भारत की संस्कृति को बचाए रखने के लिए जरूरी

नसीरुद्दीन शाह को इसी भारतीय संस्कृति पर नाज है. वह इसे सहेज कर रखना चाहते हैं. और जब उस सहिष्णु भारत पर कोई बुलंदशहर जैसा दाग लगाता है तो शाह कैसे खामोश रह सकते हैं. जब किसी की धार्मिक आस्था किसी व्यक्ति की जान से ज्यादा कीमती हो जाए तो क्या यह भारत के गौरव पर धब्बा नहीं होगा. नसीरुद्दीन शाह ने साफ कहा था कि वह इस माहौल से डरे नहीं हैं, बल्कि परेशान हैं. और अगर कोई भारतीय इस माहौल से परेशान होता है तो उसे पूरा हक है कि वह बेबाकि से यह बात सामने रखे. उसे यह हक इसी देश के संविधान ने दिया है.