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बढ़ती कट्टरता से चिंता में पीएम मोदी, एजेंसियों को इस पर लगाम लगाने को कहा

हिंसक अतिवादी विचारधारा से निपटना कई देशों के लिए आसान नहीं रहा है ऐसे में इससे निपटने के लिए कई स्तरों पर सावधानीपूर्वक योजना बनानी पड़ती है

Yatish Yadav

सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रही कट्टरता से सरकार के कान खड़े हो गए हैं. सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले ऑडियो-वीडियो और कई तरह के ऐप इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हैं. इनके इस्तेमाल से समाज में अशांति फैलाने की कोशिश असमाजिक तत्व लगातार कर रहे हैं. इन खतरों को देखते हुए केंद्र सरकार अब राज्य सरकारों के सहयोग से इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जमीन तैयार करने में जुटी हुई है. सरकार कट्टरता फैलाने वाली और हिंसक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने वाली ताकतों पर लगाम लगाना चाह रही है.

पीएम की सुरक्षा एजेंसियों को सलाह


सरकार में बैठे उच्च स्तरीय सूत्र का कहना है कि इसके लिए केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों के साथ साथ राज्य सरकारों का भी सहयोग लेकर हिंसक अतिवादी विचारधारा को ध्वस्त करने और शांति का पैगाम देने की कोशिश की जा रही है. ऐसा पीएम मोदी के उस भाषण के बाद हुआ जिसमें मोदी ने हिंसक और कट्टर विचारधारा को मल्टीमीडिया और सोशल मीडिया के द्वारा प्रोत्साहित किए जाने पर चिंता जताई और सुरक्षा एजेंसियों को सलाह दी कि वो उन इलाकों या उन स्रोतों का पता लगाएं जहां से इस तरह कि आपत्तिजनक और समाज में भ्रम और हिंसा फैलाने वाली झूठी खबरें प्रसारित और प्रकाशित की जा रही हैं. पीएम मोदी ने एक मीटिंग में शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों से कहा है कि वो आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके ये पता लगाने की कोशिश करें कि कहां से इस तरह की विषयवस्तु प्रसारित की जा रही है जिससे कि इन असमाजिक तत्वों पर सही तरीके से नकेल कसी जा सके.

हिंसक अतिवादी विचारधारा से निपटना कई देशों के लिए आसान नहीं रहा है ऐसे में इससे निपटने के लिए कई स्तरों पर सावधानीपूर्वक योजना बनानी पड़ती है और इसके साथ साथ इससे प्रभावित होने वाले समाज के लोगों को इस गतिविधि में शामिल करना और सशक्त भी बनाना होता है. किसी भी मैसेंजर एप के माध्यम से भेजे जाने वाले एनक्रिप्टेड मैसेज हमेशा से सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनते रहे हैं और वो इससे पार पाने की कोशिश लंबे समय से कर रहे हैं. ये पता चला है कि पीएम मोदी ने अधिकारियों को ये भी सलाह दी है कि वो लोगों को प्रशिक्षित करने की पहल करें और लोगों को कट्टरता से बचाने के लिए प्रेरक फिल्मों के निर्माण पर जोर दें.

सूत्रों के मुताबिक, 'सभी संबंधित स्टेकहोल्डर्स को कहा गया है कि वो समयबद्ध तरीके से कार्रवाई करें और इससे संबंधित प्रगति से केंद्र सरकार को अवगत कराएं. इसका मुख्य उद्देश्य सामुदायिक सहयोग की भावना को पैदा करना है जिससे कि कट्टरता फैलाने वालों को रोका जा सके. इसमें राज्य की पुलिस और इंटेलीजेंस एजेंसियों का रोल अहम है. ये लोग ही गंभीर संभावित खतरों का पता लगाने के साथ-साथ आम लोगों के बीच में विश्वास उत्पन्न करने के लिए समाज के बड़े बूढ़ों का सहारा ले सकते हैं. इन सबका उद्देश्य ये है कि युवाओं को कट्टर विचारधारा अपनाने से रोका जा सके और साथ ही उन्हें ये एहसास दिलाया जा सके कि वो अलग नहीं हैं.'

विशाल नेटवर्क और अत्याधुनिक तकनीक की जरूरत

एक वरिष्ठ इंटेलीजेंस ऑफिसर का दावा है कि कई राज्यों में पुलिस ने सफलतापूर्वक कई युवाओं को इंटरनेट पर उपलब्ध कट्टर साम्रगियों से प्रभावित होकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने से रोक दिया है. हालांकि इसके साथ ही वो चेतावनी भी देते हुए कहते हैं कि इस तरह के असमाजिक तत्वों के खिलाफ लड़ाई को अभी की परिस्थितियों के हिसाब से जारी रखना जरुरी है तभी हमें इसमें पूरी सफलता मिलेगी.

इंटेलीजेंस अधिकारी का कहना है कि 'इसमें किसी तरह का संशय नहीं है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट समाज में नफरत,अफवाह और युवाओं के बीच कट्टरता फैलाने का काम कर रहे हैं. इस बहुमुखी खतरे को रोकने के लिए एक विशाल नेटवर्क और अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लेना पड़ेगा. इसके अलावा इनकी एक और सलाह ये है कि राज्य कि पुलिस हरेक जिले में नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन की मदद से जिला स्तरीय सोशल मीडिया लेबोरेट्रीज बनाए जो कि जमीनी स्तर पर भी पुलिसिंग को मजबूत कर सके.'

अभी हाल ही में गृह मंत्रालय ने एक अलग विभाग बनाया है जो कि कांउटर टेरेरिज्म और काउंटर रेडिकलाजेशन पर ही ध्यान देगा. इस विभाग का काम कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखने के अलावा, इनसे निपटने के लिए नई रणनीतियों के निर्माण पर भी जोर देना होगा. नार्थ ब्लॉक स्थित इस विभाग में इन समस्याओं से निपटने के लिए तात्कालिक उपायों के साथ-साथ दीर्घकालिक उपायों पर भी रणनीति बनाई जाएगी.

सुरक्षा और इंटेलीजेंस एजेंसियां वहाबी और सलाफी गुटों से जुड़ी सामग्रियों के इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सार्वजनिक करने पर कड़ी नजर रखने पर जोर दे रहे हैं. इसके अलावा हिंदू अतिवादी ग्रुपों पर भी ये कड़ी नजर रख रहे हैं.

जाकिर नाइक का धंधा चालू

लेकिन सरकार के इतने प्रयासों के बाद भी विवादास्पद इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक अपने पीस टीवी और सोशल मीडिया के माध्यम से धार्मिक उपदेश जारी करने में सफल हो रहा है. नेशनल इंवेस्टिगेशन ऐजेंसी ने 2016 में नायक पर आंतकी गतिविधियों की फंडिंग करने और युवाओं को जेहाद के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया था जिसके बाद नाइक देश छोड़कर फरार हो गया था. अभी जाकिर नाइक को मलेशिया की नागरिकता मिल गई है और वो वहीं से धार्मिक विद्वेष की भावना इंटरनेट और अपने टीवी चैनल के माध्यम से फैला रहा है.

नाइक के पीस टीवी ने हाल ही में धर्म परिवर्तन को लेकर एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उसने सलाह दी है कि किस तरह से गैर मुसलमानों को इस्लाम धर्म कुबूल करने के लिए बाध्य किया जा सकता है. नाइक ने अपना प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए ब्रिटेन में कई कंपनियां खड़ी की हुई हैं. उसकी यूनिवर्सल ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड, लार्ड प्रोडक्शन इंक लिमिटेड, क्लब टीवी लिमिटेड और इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की मदद से मीडिया वेंचर हैंडल करती है. जाकिर नाइक ने यूनिवर्सल ब्राडकास्टिंग के डायरेक्टर के पद से मई 2018 में इस्तीफा दे दिया लेकिन वो लार्ड प्रोडक्शन और इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की बोर्ड में बना हुआ है. ये दोनों कंपनियां बर्मिंघम से ऑपरेट होती हैं.

इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है. सरकार का आरोप था कि जाकिर अपने टीवी चैनल के माध्यम से युवाओं को बरगला कर उन्हें धार्मिक रुप से कट्टर बनाने की कोशिश कर रहा था. एनआईए ने अपनी जांच में पाया कि उसके भाषणों के प्रभाव से केरल के 24 युवा इस्लामिक स्टेट से जुड़ने के लिए अफगानिस्तान तक चले गए थे. ये सभी युवा इस्लामिक रिसर्च के मुंबई के डोंगरी स्थित आईआरएफ दफ्तर अक्सर जाया करते थे और वहां के कर्मचारियों के साथ मीटिंग किया करते थे. आईआरएफ के एक पदाधिकारी को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक कागजातों को तैयार करने की जिम्मेदारी मिली थी. एनआईए ने आईआरएफ पर मुंबई में पड़े छापे के दौरान इस तरह के 78 एफिडेविट बरामद किए थे.

अमेरिका के कई सिख संगठनों पर नजर

सुरक्षा एजेंसियां ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका स्थित कई सिख संगठनों पर भी नजर रख रही है जो कि देश में बड़ा प्रोपेगैंडा फैला रहे हैं. ये सिख संगठन खालिस्तान रेफरेंडम 2020 को लेकर बड़ा झूठा प्रचार प्रसार कर रहे हैं.

एक इंटेलीजेंस नोट जिसे फ़र्स्टपोस्ट ने भी देखा है, उसमें लिखा गया है कि पाकिस्तान समर्थित कुछ असमाजिक तत्व जो कि पश्चिमी एशिया से ऑपरेट कर रहे हैं, वो यहां पर युवाओं को धर्म के नाम पर बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पूर्वी मोर्चे पर बांग्लादेश स्थित जमातउल मुजाहिदीन भी युवाओं को भड़काने की कोशिश में जुटा हुआ है.

नोट में ये भी लिखा हुआ है कि दक्षिण भारत में पश्चिमी एशिया से जुड़े अतिवादी तत्वों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और कई संस्थाओं की सदस्य संख्या में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है खासकर उन संस्थाओं के जो कि जेहाद को महिमामंडित करते रहे हैं. कहा जा रहा है कि कई रेडिकल ग्रुप्स में अपने नेटवर्क को बढ़ाने के लिए काबिल लोगों की नियुक्ति की जा रही है और उनका ब्रेनवॉश करके उन्हें आतंक की तरफ मोड़ा जा रहा है.

एक अधिकारी जो कि राज्यों के साथ इस मामले में सहयोग कर रहे हैं, उनका कहना है कि इस मोर्चे पर केंद्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसिया जितना मिलजुल कर काम कर रही हैं, ठीक उसी तरह से अतिवादी तत्वों को पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा है.

उनका कहना है कि 'धार्मिक किताबों में उद्धृत किए गए वास्तविक संदेशों को जिस तरह से सामाजिक नेताओं के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है उसी तरह से एजेंसियों को चाहिए कि वो वहाबी और सलाफी प्लेटफॉर्म्स को मिलने वाले विदेशी चंदों पर भी कड़ी नजर रखें. इसी के साथ ये भी सख्त जरूरी है कि इंटरनेट पर फैले रेडिकल कंटेट को किसी भी तरीके से हटाया जाए क्योंकि कट्टरता फैलाने में इस तरह के कंटेट सबसे ज्यादा कारगर साबित हो रहे हैं.