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क्या है जयललिता की मौत का रहस्‍य?

जयललिता की बीमारी, इलाज और अपोलो हॉस्पिटल्स में 5 दिसंबर को उनकी मौत सवालों के घेरे में हैं.

Sandhya Ravishankar

जयललिता की मौत को लेकर अब तक जो बातें दबी जुबान में की जा रही थीं, अब वे खुले रूप में कही जाने लगी हैं. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता की बीमारी, इलाज और चेन्नई में अपोलो अस्पताल में 5 दिसंबर को उनकी मौत सवालों के घेरे में हैं.

जयललिता को 22 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्‍होंने 75 से अधिक दिन बिताए और 5 दिसंबर को उन्हें हार्ट अटैक हुआ. लेकिन इस दौरान अस्‍पताल प्रबंधन और सरकार की ओर से उनके स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में बहुत ही कम जानकारी दी गई.


गुरुवार को तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता डीएमके के एमके स्टालिन ने मांग की कि राज्य सरकार जयललिता के इलाज पर एक श्वेत पत्र जारी करे.

पीएमके के अध्यक्ष एस. रामदास ने भी एक बयान जारी कर इसी तरह की मांग की.

अस्‍पताल में भर्ती होने से पहले डायबिटीज की गलत दवाएं दी गई थीं?

जया की बीमारी और मौत को लेकर चल रही साजिश की चर्चाओं को जिस चीज ने हवा दी है, वह है एक ईमेल. जिसे कथित रूप से लिखा है वरिष्‍ठ पत्रकार और एनडीटीवी की सलाहकार संपादक बरखा दत्‍त ने, जो इस चैनल के भीतर कई लोगों को भेजा गया है.

इस ईमेल में बरखा दत्‍त ने वह जानकारी साझा की है, जो उन्‍हें अपोलो अस्‍पताल में अपने पिता प्रताप सी. रेड्डी के साथ प्रबंधन संभालने वाली 'रेड्डी सिस्‍टर्स' में से एक ने 'ऑफ रिकॉर्ड' दी थी.

इस ईमेल में बरखा दत्त ने कथित रूप से लिखा है- 'उन्‍हें हमारे पास लाने से पहले...डायबिटीज की गलत दवाएं दी जा रही थीं...'

इस ईमेल में 'उन्‍हें' शब्‍द जयललिता के लिए प्रयोग किया गया है. जिन्‍हें इस ईमेल के कथित रूप से लिखे जाने के कुछ घंटों पहले, 4-5 दिसंबर की रात हार्ट अटैक हुआ था.

यह लेटर यहां पढ़ें:

एनडीटीवी के कर्मचारियों से पूछे जाने पर उन्‍होंने इस बात की पुष्टि की यह ईमेल बरखा दत्त ने ही भेजा था. कई कर्मचारियों को उनके इनबॉक्स में यह ईमेल मिला.

एनडीटीवी प्रबंधन से पुष्टि के लिए चैनल के सह-संस्थापक डॉ. प्रणय रॉय सहित कई लोगों को ईमेल किए गए लेकिन उन्‍होंने कोई जवाब नहीं दिया.

बरखा दत्त, प्रणय रॉय सहित एनडीटीवी के कई वरिष्ठ पत्रकारों को इस संबंध में मेल का जवाब देने के लिए ट्विटर पर भी मैसेज भेजे गए लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

11 दिसंबर को एनडीटीवी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, 'एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकारों के ईमेल और ट्विटर अकाउंट हैक हो गए हैं. ईमेल का उपयोग गलत संदर्भों में करने के प्रयास किए जा रहे हैं. हम कोर्ट सहित संबंधित अधिकारियों से ठोस कार्रवाई के लिए कह रहे हैं.'

इसके बाद अज्ञात हैकर समूह लीजन ने इस हैकिंग की जिम्‍मेदारी लेते हुए दत्त के खाते से 'लीक ईमेल' को ऑनलाइन कर दिया.

'वाशिंगटन पोस्ट' को दिए एक इंटरव्‍यू में लीजन के एक सदस्य ने कहा था कि 'उनके समूह की भारत के सबसे बड़ी प्राइवेट हॉस्पिटल चेन अपोलो जैसे सर्वरों तक पहुंच थी. उसने कहा कि वे इन सर्वरों का डेटा सार्वजनिक करने को लेकर असमंजस में थे, क्‍योंकि इससे 'उथल-पुथल' मच सकती थी.

इस साजिश के बारे में संपर्क करने पर अपोलो अस्पताल ने कोई टिप्‍पणी नहीं की. चेयरमैन प्रताप रेड्डी को ईमेल से भेजी गई प्रश्नावली का कोई जवाब नहीं मिला.

पीटीआई

उत्‍तराधिकारी शशिकला को लेकर सवाल

सत्तारूढ़ एआईएडीएमके के कैडर और तमाम मतदाता यह सवाल उठा रहे हैं कि दिवंगत मुख्‍यमंत्री जयललिता की बीमारी,उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती करने और उनके उपचार को आखिर इस तरह रहस्‍यमय क्‍यों रखा गया.

जयललिता की करीबी और विश्वासपात्र वी.के. शशिकला, जो अस्पताल में 75 दिनों के दौरान उनके साथ थीं, को लेकर उठ रहे सवालों के बारे में फ़र्स्‍टपोस्‍ट ने पहले भी बताया था.

अब वीके शशिकला संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी अन्नाद्रमुक की बागडोर संभालने जा रही हैं.

मरीना बीच पर गुरुवार को जयललिता की समाधि पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अन्‍नाद्रमुक प्रवक्ता केसी पोन्नियन ने कहा कि 'चिन्‍नम्‍मा' (शशिकला के लिए उपयोग किया जाने वाला तमिल संबोधन जिसका अर्थ होता है छोटी मां) को सर्वसम्मति की अगली महासचिव चुना जाएगा.'

यह पूरी पार्टी की इच्‍छा है कि चिन्‍नम्‍मा को पार्टी की नेता का दायित्‍व संभाल लेना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि चिन्‍नम्‍मा ने अम्मा (जयललिता) की आत्‍मा के रूप में काम किया है.

अम्मा को जो प्रतिष्‍ठा मिली, उसमें चिन्‍नम्‍मा का बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि इस बात की औपचारिक घोषणा के लिए पार्टी की महासभा और कार्य समिति की बैठक जल्द ही होगी.

जब 'लीक हुए ईमेल' के संबंध में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता से संपर्क किया गया, तो उन्‍होंने अपना नाम न देने की शर्त पर कहा कि यदि ऐसा हुआ है, तो यह 'गंभीर' आरोप है.

उन्‍होंने कहा कि आप मुझे ईमेल की कॉपी भेज दें, उसके बाद मैं आपको जवाब दे पाऊंगा. उसके बाद से वे नेता टिप्‍पणी के लिए उपलब्ध ही नहीं हुए.पार्टी के दूसरे वरिष्ठ पदाधिकारी इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते थे.

इस बीच, दिवंगत जयललिता (शशिकला भी यहीं रहती हैं) के निवास पोएस गार्डन के बाहर एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत, पार्टी के नेता रोज लाइन लगाते हैं और 'चिन्‍नम्‍मा' को प्रणाम कर उनसे पार्टी का प्रभार संभालने का निवेदन करते हैं.

पार्टी का प्रवक्‍ता 'जया' टीवी रोज दिखाता है कि किस तरह शशिकला पार्टी नेताओं के इए आग्रह को सिर हिलाकर नकारती दिखाई देती हैं.

चेन्नई और अन्‍य जिलों में 10 दिसंबर के बाद से ऐसे पोस्‍टरों की बाढ़ आ गई है, जिसमें शशिकला से पार्टी की बागडोर संभालने के लिए पार्टी नेता पहली बार खुले तौर पर गुहार लगाते दिखाई दे रहे हैं.

इन पोस्टरों में शशिकला और जयललिता की तस्वीरें हैं, पार्टी की नई नेता की जय-जयकार है, कुछ में उनसे अम्मा की विरासत संभालने की गुहार है.

कई पोस्टरों में पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई, पार्टी संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन, स्‍व. जयललिता और फिर शशिकला के चित्रों के जरिए उत्‍तराधिकारियों की कड़ी को दर्शाया गया है.

लेकिन कई जिलों और पूरे चेन्नई शहर में रात के समय इन पोस्टरों में शशिकला के फोटो को या तो बिगाड़ दिया गया है या फाड़ दिया गया है.

त्रिची के मन्नापरई में शशिकला के समर्थन में लगाए गए एक बड़े बैनर पर बुधवार रात को कथित रूप से अन्नाद्रमुक के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने गोबर फेंक दिया. पोस्‍टर लगाने वाले समर्थकों ने गुरुवार सुबह उसे साफ किया.

राज्य के कुछ अन्‍य हिस्सों में इन बैनरों पर शशिकला के चेहरे को या तो कोलतार, काले रंग से पोत दिया गया या फिर फाड़ दिया गया.

जांच की मांग ने जोर पकड़ा

लेकिन चेन्नई के पोएस गार्डन के सत्‍ता केंद्र के बाहर, जयललिता की बीमारी, उनके उपचार और उनकी मौत को लेकर जांच की मांग सामूहिक रूप से जोर पकड़ रही है.

राजनीतिक विश्लेषक और मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्‍टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर सी. लक्ष्मणन पूछते हैं कि मुख्यमंत्री की बीमारी और उपचार के बारे में आखिर कोई जानकारी जनता को क्‍यों नहीं दी गई?

13 दिसंबर को सीएनएन न्यूज18 से बात करते हुए तमिल पत्रिका तुगलक के संपादक और आरएसएस के विचारक एस. गुरुमूर्ति ने जयललिता को दिए गए उपचार की जांच की मांग की.

उन्‍होंने कहा कि जयललिता 50 दिन तक अस्‍पताल में रहीं. वे महीनों से बीमार थीं और ऐसे मामलों में यदि आपको उन्‍हें वे दवाइयां देना हैं, जो उनके लिए खतरनाक हो सकती हैं, तब आप किससे बात करेंगे.

किसी रिश्‍तेदार से या किसी और से. यदि कोई रिश्‍तेदार नहीं था तो उन्‍होंने किससे संपर्क किया? यह एक ऐसा मुद्दा है जो मेडिकल डिसीप्‍लीन से जुड़ा है.

हमें यह जानने की जरूरत है कि किसने क्‍या कुछ गलत किया. यह जांच का विषय है कि इस मामले में मेडिकल डिसीप्‍लीन का ध्‍यान रखा गया था, या नहीं.

रिटाॅयर्ड ब्‍यूरोक्रेट एमजी देवसहायम भी इन चिंताओं से इत्‍तफाक रखते हैं. उन्‍होंने फ़र्स्‍टपोस्‍ट से कहा कि हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस बात की जांच होनी चाहिए कि जयललिता की मौत कैसे हुई.

सब कुछ रहस्‍य क्‍यों रखा गया? राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य और इलाज के बारे में एक भी बयान क्‍यों जारी नहीं किया?

यह भी शुरू से स्पष्ट है कि अपोलो झूठ बोल रहा था और गलत जानकारी दे रहा था. पहली प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि जयललिता को बुखार और डिहाइड्रेशन के इलाज के लिए लाया गया. अब यह सामने आया है कि उन्‍हें बेहोशी की हालत में लाया गया था.

केंद्र को भी इस बात का जवाब देना चाहिए कि उसने चुप्‍पी क्‍यों साधे रखी. क्‍या तमिलनाडु के लोगों के साथ हुए इस छल में केंद्र भी एक पार्टी है?

शशिकला अपनी 'बहन' जयललिता की विरासत संभालने जा रही हैं, ऐसे में कई सवाल हैं. और पार्टी, अस्पताल के साथ-साथ राज्य सरकार को भी कुछ जवाब जल्द ही देने चाहिए.