मुंबईकरों ने दिल खोलकर आंदोलनकारी किसानों की मदद की है. सेंट्रल नासिक से 180 किलोमीटर पैदल चलकर 35 हजार किसानों का जत्था जैसे ही मुंबई में दाखिल हुआ, उनकी रहनुमाई में मुंबई के लोग उतर आए. लोगों ने कमेटियां बनाकर, तो छात्रों ने ग्रुप बनाकर किसानों की मदद की.
एनडीटीवी ने बताया, किसानों की कांपती हथेलियों पर मुंबई के लोगों ने जबरदस्ती बिस्कुट के पैकेट, नमकीन और पानी की बोतलें रखीं. पैदल चलकर पहुंचे इन किसानों में इतनी भी जान नहीं बची थी कि वे खाने-पीने के सामान ले सकें, इसलिए लोगों ने खुद आगे बढ़कर उन्हें नाश्ता देने और खिलाने का इंतजाम किया.
कई टीवी चैनलों ने पैदल चल रहे किसानों के जख्मी पैर दिखाए तो लोगों ने डब्बे में चप्पल-जूते भरकर मदद की गुहार लगाई और उन्हें चप्पल-जूते पहनाए.
विकरौली में स्कूली छात्रों ने किसानों को खाने के पैकेट बांटे. इस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर रेजिडेंट वेलफेयर के लोगों ने पानी की बोतलें और पोहा बांटा. मुलुंद इलाके में किसानों का जत्था जैसा घुसा, लोगों ने फूलों की बारिश की. शुरू में किसानों की योजना सियोन में रात में रुकने की थी लेकिन स्कूलों में परीक्षा को देखते हुए उन्होंने रातभर चलकर सुबह-सुबह मुंबई में प्रवेश कर लिया.
सोशल मीडिया भी किसानों के पक्ष में दिखा और एक-एक मिनट के अपडेट वहां देखे गए. आईआईटी बॉम्बे के छात्र और स्कॉलरों ने भी सेवा में कुछ वक्त दिए. छात्रों ने नारे लगाते हुए किसानों से सहमति जताई.