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मुंबई से सीखो दिल्लीवालों: मरीन ड्राइव पर रात 10 बजे के बाद नहीं चले पटाखे

पुलिस ने साढ़े नौ बजे से अपील करना शुरू कर दिया था जिसे लोगों ने माना और बचे पटाखे लेकर घर चले गए

Hemant R Sharma

जहां दिल्ली ने लोगों ने अपने ही शहर को पटाखों से फूंक दिया वहीं मुंबईकरों ने इस दिवाली पर एक ऐसी मिसाल कायम की जिसके लिए उन्हें सलाम किया जाना चाहिए.

दिवाली के मौके पर मुंबई के मशहूर मरीन ड्राइव पर हजारों लोग हर साल पटाखे लेकर पहुंचते हैं. कल भी वहां कुछ ऐसा ही नजारा था. इसी नजारे देखने के लिए मैं भी बड़े उत्साह से वहां पहुंचा था. लोग बोरियों में भरकर मरीन ड्राइव के उस किनारे में मौजूद थे जो समुद्र के तरफ से सटा हुआ है. मलाबार हिल से लेकर नरीमन पाइंट तक का पूरा फुटपाथ हजारों लोगों के हुजूम से पटा पड़ा था.


पटाखे चलाने का उत्साह बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों में भी खूब देखने को मिला. सात बजे के आसपास छुटपुट पटाखों के चलने का दौर जारी था. रात के आठ बजे जो वक्त सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे चलाने के लिए निर्धारित किया था उस वक्त मुंबईकरों ने पटाखे ऐसे नहीं चलाए जैसे कि वो कुछ ‘दिखाने’ के लिए उत्साहित हों.

9 बजे से कुछ पहले पटाखे चलाने का जोरदार दौर शुरू हुआ. पूरे क्वीन्स नेकलेस का इलाका पटाखों की चमकदार रोशनी से भर गया. जितने लोग पटाखे चला रहे थे करीब उतने की लोग इस नजारे का मजा ले रहे थे. ट्राइडेंट और ओबरॉय होटल्स में रुके विदेशी मेहमान भी दिवाली के इस नजारे को देखने और आतिशबाजी का मजा लेने के लिए सड़कों पर आकर हुजूम में शामिल हो गए थे.

मुंबई पुलिस के सैंकड़ों जवान दिवाली के मौके पर मुंबईकरों को सुरक्षा देने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद नजर आए. लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो और ट्रैफिक जाम न लगे इसके लिए पुलिस ने काफी मशक्कत भी की.

साढ़े नौ बजे से पुलिस की गाड़ियों से ऐलान करना शुरी कर दिया था कि दस बजे के बाद नागरिक पटाखे न जलाएं. इस अपील को मरीन ड्राइव पर मौजूद लोगों ने हाथोंहाथ लिया. हमने देखा कि बड़े तो बड़े बच्चे तक बोरियों में बचे पटाखे लेकर अपनी गाड़ियों को तरफ चल पड़े. इक्का दुक्का लोगों को छोड़कर दस बजे की डेडलाइन के बाद किसी ने पटाखे नहीं चलाए. सवा दस बजे पटाखों की आवाज न के बराबर आ रही थी और करीब एक घंटे लगातार पटाखे चलाने से जो धुआं सड़कों पर नजर आ रहा था वो छटने लगा था.

लाखों गाड़ियों की वजह से मुंबई में प्रदूषण के लेवल वैसे तो हाई रहता है लेकिन दिवाली के बाद आज सुबह दस बजे ये 232 के स्तर पर था जबकि दिल्ली का प्रदूषण लेवल 900 के खतरनाक आंकड़े को पार कर गया था. 900 के स्तर को देखते हुए कहा जा सकता है कि दिलवालों की दिल्ली के लोगों को पटाखे चलाने के मामले में दरियादिली कुछ कम दिखानी चाहिए थी.

मुंबई में ज्यादातर लोगों ने पटाखों को लेकर जो सहनशीलता और समझदारी दिखाई, उससे मुंबईकर का जो जज्बा जिसके लिए मुंबई की मिसाल दी जाती है वो एक बार फिर से देखने को मिला. इन दिनों बड़ी आसानी से कहा जा रहा है कि लोगों में सहिष्णुता की भावना में कमी आई है लेकिन पटाखे चलाने के मामले में मुंबईकरों की इस मिसाल की जितनी तारीफ की जाए वो कम है.