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शिवाजी के स्मारक के खिलाफ मछुआरे, भूमि-पूजन का करेंगे विरोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 दिसंबर को अरब सागर के समुद्र तट पर छत्रपति शिवाजी के स्मारक की नींव रखेंगे.

FP Staff

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 दिसंबर को दक्षिणी मुंबई में अरब सागर के समुद्र तट पर छत्रपति शिवाजी के स्मारक की नींव रखेंगे.

महाराष्ट्र सरकार की इस योजना का मुंबई के मछुआरे खासकर कोली समुदाय के लोग लंबे समय से विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस योजना से उनकी रोजी-रोटी छीन जाएगी.


इस साल मई माह में भी मछुआरों ने इस परियोजना के विरोध में अरब सागर में ‘नाव रैली’ की थी.

इस आंदोलन की अगुआई 'पारंपरिक मछिमार सेवा समिति' और 'मछिमार सर्वोदय सोसाइटी' कर रही है. एक अनुमान के मुताबिक इस परियोजना से करीब 3500 मछुआरे प्रभावित होंगे.

24 दिसंबर को भी मछुआरों के संगठन भूमिपूजन का विरोध जमीन पर और समुद्र में भी करेंगे. इनकी मांग है कि स्मारक स्थल की जगह बदली जाए.

24 दिसंबर को करीब 5000 मछुआरे अपने नावों पर काले झंडे लेकर भूमि-पूजन की जगह पर जाएंगे. इसके अलावा उस दिन मुंबई के तीनों थोक मछली बाजार बंद रहेंगे. कई खुदरा मछली बाजार भी नहीं खुलेंगे.

सरकार ने दिया आश्वासन 

नवभारत टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक हालांकि सरकार ने कहा है कि मछुआरों का एक हिस्सा इस विरोध प्रदर्शन में नहीं हिस्सा लेगा.

मछुआरों को सरकार ने आश्वासन दिया है कि उन्हें स्मारक तक जाने के लिए फेरी सेवा के अधिकार में प्राथमिकता दी जाएगी ताकि उनकी आय में हुए नुकसान की भरपाई हो सके.

महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने 22 दिसंबर को कहा कि भविष्य में मछुआरों या उनके परिजनों को कुछ नौकरियों में और स्मारक तक फेरी सेवा के अधिकारों में तवज्जो दी जाएगी.

मछुआरों के प्रतिनिधियों ने 21 दिसंबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से और मंत्री पाटिल, विनायक मेते और महादेव जानकर से मुलाकात की थी.

सबसे पहले 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 17 वीं शताब्दी के मराठा राजा शिवाजी की 192 मीटर लंबी मूर्ति समुद्र में लगाने का प्रस्ताव दिया था.

फिलहाल इस परियोजना की लागत करीब 3600 करोड़ रुपए अनुमानित है. इस परियोजना में केंद्र सरकार भी मदद कर रही है.