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अहमदाबाद-मुम्बई बुलेट ट्रेन एक्सीडेंट से बचने के लिए ऑटोमैटिक प्रणाली से लैस होगी

इस टेक्नोलॉजी से रेल ट्रैक पर दरारों का पता लगाने के लिए नियमित निरीक्षण के दौरान लगने वाला काफी वक्त बचेगा. प्रति किलोमीटर इस प्रणाली पर क्या लागत आएगी, इसका आंकलन किया जा रहा है

Bhasha

भारत में पहली बार अधिकारियों ने रेल दुर्घटनाएं रोकने के लिए मुम्बई और अहमदाबाद को जोड़ने वाली 508 किलोमीटर लंबी बुलेट ट्रेन परियोजना के मार्गों में किसी भी प्रकार की दरार का पता लगाने वाली स्वचालित प्रणाली लगाने का फैसला किया है. बुलेट ट्रेनें आग का पता लगाने वाली उन्नत प्रणाली और डिब्बों को पटरी से उतरने से रोकने वाले उपायों से लैस होंगी साथ ही भूकंपजनित घटनाओं से भी पूरे बुलेट ट्रेन ढांचे को सुरक्षा मिलेगी.

बुलेट ट्रेन परियोजना का क्रियान्वयन करने वाली एजेंसी नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों ने कहा कि यह प्रणाली सुरक्षा उपायों में एक अहम पहलू होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान रेल नेटवर्क में अब तक यह टेक्नोलॉजी नहीं अपनायी गयी है. लेकिन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक जाने वाली इन ट्रेनों में ऐसी टेक्नोलॉजी का प्रयोग अहम हो जाता है.


कॉरपोरेशन की रिपोर्ट में कहा गया है, 'यह प्रणाली रेलमार्गों में विद्युत नियंत्रण परिपथ का इस्तेमाल करेगी.... नियंत्रण परिपथ में त्रुटि आने पर मार्ग में दरार की पहचान करने में मदद मिलेगी.'

रिपोर्ट के अनुसार इस टेक्नोलॉजी से रेल ट्रैक पर दरारों का पता लगाने के लिए नियमित निरीक्षण के दौरान लगने वाला काफी वक्त बचेगा. प्रति किलोमीटर इस प्रणाली पर क्या लागत आएगी, इसका आंकलन किया जा रहा है. लेकिन इस टेक्नोलॉजी को लगाने का फैसला पहले ही चुका है.

बुलेट ट्रेन कॉरिडोर को अगस्त, 2022 तक चालू करने का प्रस्ताव है. इसके जरिए रोजाना एक दिशा में 17,900 लोग जा पाएंगे.