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बछड़े की मौत पर महिला को मिली गांव से बाहर रहने और भीख मांगने की सजा

महिला के बेटे अनिल श्रीवास ने कहा कि मां से गलती हुई है, समाज के लोगों का फैसला सर्वमान्य होगा

FP Staff

अंधभक्ति और सालों से चलती आ रही घिसी-पिटी परम्पराओं को मानने के लिए न जाने आज भी कैसे-कैसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.

मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले के एक गांव में बछड़े की मौत के बाद समाज की पंचायत ने 60 वर्षीय विधवा महिला को गोहत्या का दोषी मानते हुए उसे सात दिन के लिए गांव से बाहर रहकर भीख मांगकर गंगा नदी में स्नान करने के बाद गांव में प्रवेश करने का आदेश दिया है.


इंडिया टाइम्स की खबर के अनुसार, कमलेशी देवी नाम की महिला गाय का दूध निकालने के लिए बछड़े को गाय से अलग करने के की कोशिश कर रही थीं जिस दौरान बछड़े के गले में बंधी रस्सी खींचने से रस्सी गले में फंस गई और बछड़े की मौत हो गई.

स्थानीय पार्षद महेश गर्ग ने कहा, यह घटना एक सितंबर को हुई. महिला ने गाय का दूध निकालने के लिए उसके बछड़े को अलग करने की कोशिश की. इस दौरान बछड़े की गले में बंधी रस्सी फंसने से उसकी मौत हो गई. इसके बाद महिला के समाज के लोगों ने पंचायत बुलाकर उसे गाय के बछड़े की हत्या का दोषी मानते हुए सात दिन तक गांव से बाहर भीख मांगने, गंगा स्नान करने के बाद कन्या को भोजन कराने के बाद ही गांव में प्रवेश करने की सजा सुना दी.

गर्ग ने बताया, यह फैसला अमानवीय एवं गैरकानूनी है, इसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

महिला के बेटे को मंजूर है पंचायत का फैसला 

वहीं महिला के बेटे अनिल श्रीवास ने कहा कि मां से गलती हुई है, समाज के लोगों का फैसला सर्वमान्य होगा, पंचायत ने धर्म के हिसाब से ठीक ही किया है.

इस फैसले के बाद कमलेशी देवी सदमे हैं और उसे भिण्ड के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अजीत मिश्रा ने महिला के अस्पताल में भर्ती होने की पुष्टि की.

हिन्दुस्तान में आज भी लोगों पर अंधविश्वास बुरी तरह से हावी है. अंधभक्ति के साथ-साथ सालों से चलती आ रही परम्पराएं दोनों ही पर विश्वास करने वाले लोगों से इंसानियत और सामान्य व्यवहार की उम्मीद करना अब बेवकूफी है.