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मध्यप्रदेश सरकार ने ई-परमिट प्रणाली से कदम पीछे खींचे

मंडी परिसरों से कृषि जिंसों के परिवहन के लिये ऑनलाइन परमिट लेने की प्रस्तावित प्रणाली खासकर दूर-दराज के उन इलाकों के कारोबारियों के लिए तकनीकी रूप से बेहद जटिल साबित हो सकती है

Bhasha


मध्यप्रदेश की करीब 260 कृषि उपज मंडियों से जिंसों के परिवहन को अनुमति देने से जुड़ी ऑनलाइन परमिट प्रणाली कल एक जनवरी से लागू नहीं होगी. इसके बाद व्यापारियों के एक संगठन ने इस प्रणाली के विरोध में कल से बुलाई बेमियादी हड़ताल वापस ले ली है.

मध्यप्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ समिति के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने सोमवार को बताया, 'चूंकि प्रदेश सरकार ने हमारी मांग पर विचार करते हुए ई-परमिट प्रणाली को एक जनवरी से लागू करने का फैसला टाल दिया है. इसलिए अब हम मंगलवार से बेमियादी हड़ताल पर नहीं जाएंगे.'

व्यापारियों के नेता ने दावा किया कि मंडी परिसरों से कृषि जिंसों के परिवहन के लिए ऑनलाइन परमिट लेने की प्रस्तावित प्रणाली खासकर दूर-दराज के उन इलाकों के कारोबारियों के लिए तकनीकी रूप से बेहद जटिल साबित हो सकती है, जहां डिजिटल साक्षरता का अभाव है और इंटरनेट की कनेक्टिविटी में परेशानी आती है.

राज्य मंडी बोर्ड ने तैयारियां कर ली थी:

इस बीच, प्रदेश सरकार के किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा ने राज्य मंडी बोर्ड को कल 30 दिसंबर को भेजे पत्र में कहा कि महकमे द्वारा ई-परमिट प्रणाली का वैधानिक और विधिक परीक्षण कराया जा रहा है. लिहाजा इस प्रणाली को विभाग की अनुमति के बाद ही कृषि उपज मंडियों में लागू किया जाए.

राज्य मंडी बोर्ड ने इस प्रणाली को एक जनवरी से सभी मंडियों में लागू करने की तैयारी कर ली थी.

ई-परमिट प्रणाली के पक्ष में एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस नयी व्यवस्था से कारोबारियों को मध्यप्रदेश में और सूबे के बाहर कृषि जिंसों के परिवहन की अनुमति के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. तय मंडी फीस चुका कर वे माल के परिवहन का ई-परमिट बेहद आसानी से ऑनलाइन हासिल कर सकेंगे.