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Mother's Day: जब गूगल डूडल के साथ पूरी दुनिया ने किया मां को सलाम

गूगल ने भी 'मदर्स डे' मनाते हुए रंग-बिरंगा और खूबसूरत डूडल बनाया है

FP Staff

कहते हैं भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उसने मां को बनाया. मां उस शक्ति का नाम है जो हमें हमारा अस्तित्व देती है. वो मां ही होती हैं जिसके समर्पण और प्रेम का अंदाजा दुनिया की कोई ताकत नहीं लगा सकती. बदले में किसी भी चीज की उम्मीद के मां निस्वार्थ भाव से अपने बच्चे को प्यार करती है और ईश्वर से केवल उसकी सलामती और खुशहाली की दुआ मांगती है.

वैसे तो मां के इस निस्वार्थ और निश्छल प्यार का कर्ज किसी भी हाल में नहीं उतारा जा सकता मगर 'मदर्स डे' हमें एक यह मौका देता है जब हम अपनी मां को स्पेशल फील करा सकते हैं. साथ ही उन्हें यह बता सकते हैं कि वो हमारी जिंदगी में कितनी अहमियत रखती हैं.


आज यानी रविवार को पूरी दुनिया 'मदर्स डे' मना रही है. सोशल मीडिया पर मां के लिए प्यार भरा संदेश भेजने से लेकर उनके लिए गिफ्ट्स देने तक आज हर कोई अपने-अपने तरीकों से मां को स्पेशल सरप्राइज़ देने में लगा हुआ है.

'मदर्स डे' पर गूगल डूडल ने किया मां को सलाम

इस कड़ी में गूगल डूडल ने भी 'मदर्स डे' मनाते हुए एक बेहद रंग-बिरंगा और खूबसूरत डूडल बनाया है. इस डूडल में एक मादा डायनासोर और उसके बच्चे को  दिखाया गया है जिनके ऊपर हाथों के निशान लगे हुए हैं.

इस डूडल में यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि हर किसी को मां की जरूरत होती है फिर वो चाहे वो खुद डायनोसोर ही क्यों न हो.

'मदर्स डे' की कहां से हुई शुरुआत?

जिस 'मदर्स डे' को लोग इतने प्यार से मनाते हैं, कभी सोचा है कि उस दिन की शुरूआत आखिर कहां से हुई. वैसे तो अलग-अलग लोग इस बारे में अलग-अलग बातें बताते हैं लकिन बताया जाता है कि सबसे पहले 'मदर्स डे' की शुरुआत ग्रीस से हुई थी. ग्रीस में मां को सम्मान देने के लिए इस दिन को पूजा के तौर मनाया जाता था. बताया जाता है कि स्यबेले ग्रीक देवताओं की मां थी, और उन्हें सम्मान देने के लिए 'मदर्स डे' को त्योहार के तौर पर मनाया जाता था.

वहीं अमेरिका के वर्जीनिया में एना जार्विस ने सबसे पहले इसकी शुरुआत की थी. वो अपनी मां से प्रेरित थीं. उनकी शादी नहीं हुई थी और न ही उनका कोई बच्चा था. अपनी मां की मृत्यु के बाद उन्होंने अपना प्यार जताने के लिए इस दिन की शुरुआत की. 'मदर्स डे' अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. आज दुनिया के तकरीबन 46 देशों में यह मनाया जाता है.