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एक करोड़ इनामी नक्सली जम्पन्ना का तेलंगाना में सरेंडर

35 साल से अंडरग्राउंड नक्सली जम्पन्ना अब आया बाहर, सिर पर था 1 करोड़ का इनाम

FP Staff

नक्सलियों के सबसे बड़े नेताओं में से एक सेंट्रल कमेटी मेंबर नरसिम्हा रेड्डी उर्फ जम्पन्ना (57 साल) ने शनिवार को तेलंगाना पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. हालांकि तेलंगाना पुलिस ने अब तक एक करोड़ से अधिक के इनामी इस नक्सल नेता को मीडिया के सामने पेश नहीं किया है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जम्पन्ना ने अपनी पत्नी रंजीता (37 साल) के साथ तेलंगाना पुलिस के सामने हथियार डाल दिए हैं. इस वक्त उनके ऊपर एक करोड़ रुपए का इनाम था. वो तेलंगाना सहित कई राज्यों के पुलिस की हिट लिस्ट में था.


जम्पन्ना नक्सलियों के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का भी सदस्य रहा है. साथ ही उसके पास आंध्र-ओड़िसा स्पेशल जोनल कमिटी की भी जिम्मेदारी थी.

35 सालों से अंडरग्राउंड था ये माओवादी 

जम्पन्ना पिछले 35 सालों से अंडरग्राउंड था. इस दौरान नक्सल संगठन में बड़े पदों पर रहते हुए उसने कई बड़ी नक्सल वारदातों को अंजाम दिया था. जम्पन्ना छत्तीसगढ़ में भी सक्रिय रहा है.

हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक पत्नी रंजीता के ऊपर भी 20 लाख रुपए का इनाम है. खबर के मुताबिक उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति के एस प्रमुख सदस्य के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाई. जब सीएम के. चंद्रशेखर राव की सहमति मिल गई, तो उसके बाद ये सरेंडर हो पाया.

मिलिट्री ऑपरेशन के लिए मशहूर इस माओवादी ने भले ही खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सरेंडर किया है, लेकिन पुलिस का मानना है कि टॉप माओवादियों के बीच विचारों में मतभेद के चलते उसने सरेंडर किया है.

वहीं इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक सरेंडर से पहले जम्पन्ना ओडिशा के कंधमाल जिले में रह रहा था. छत्तीसगढ़ में उन पर 40 लाख का इनाम था वहीं आंध्र, उड़ीसा और तेलंगाना में  जम्पन्ना पर 1 करोड़ से अधिक का इनाम था.

तेलंगाना पुलिस के नियम के मुताबिक मिलेंगे 24 लाख रुपए 

हालांकि जम्पन्ना के तेलंगाना में ही सरेंडर करने की वजह से तेलंगाना नक्सल पॉलिसी के तहत 24 लाख रुपए ही मिलेंगे. जम्पन्ना लंबे समेस के ओड़िसा के कंधमाल इलाके में सक्रिय था और कुछ दिन पहले ही तेलंगाना लौटा था, जम्पन्ना तेलंगाना के वारंगल जिले का ही रहने वाला है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जम्पन्ना कुछ दिनों से बीमार चल रहा था जिसके चलते उसने तेलंगाना वापस लौट कर आत्मसमर्पण कर दिया.

नक्सल संगठन में पोलित ब्यूरो सदस्य और सेंट्रल कमिटी मेंबर ही नीति निर्धारक होते हैं और वर्तमान सीपीआई (एम) में 20 के करीब पीबी और सीसी मेंबर हैं. जम्पन्ना उनमें से ही एक था. इसलिए जम्पन्ना का समर्पण नक्सल संगठन के लिए एक बड़ा नुकसान है.

(फोटो साभारः हिन्दुस्तान टाइम्स)