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पद्मावत से भी ज्यादा विवादास्पद रही फिल्में, जिनसे अब कोई आहत नहीं होता

इस रिपोर्ट में हम आपको ऐसी ही कुछ और फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री के बारे में बता रहे हैं, जिनका साथ भी विवादों से जुड़ा रहा

Nitesh Ojha

पद्मावत फिल्म पर विवाद इतना बढ़ गया है कि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इस फिल्म का नाम जान हैं. राज्य की सरकारों से लेकर देश के सुप्रीम कोर्ट तक यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब कोई फिल्म विवादों के भंवर में फंसी हो. इस रिपोर्ट में हम आपको ऐसी ही कुछ और फिल्मों के बारे में बता रहे हैं जिनका साथ भी विवादों से जुड़ा रहा.

ब्लैक फ्राइडे


'ब्लैक फ्राइडे' फिल्म साल 1993 के बम ब्लास्ट पर आधारित है. बनकर तैयार होने के बाद भी इसके रिलीज को दो साल का इंतजार करना पड़ा. क्योंकि बम ब्लास्ट का केस उस समय कोर्ट में चल रहा था, और ऐसा कहा गया कि फिल्म कोर्ट के फैसले पर प्रभाव डाल सकती है. फिल्म पाइरेट होकर डीवीडी में बिकने लगी. जिसके बाद इसके रिलीज की अनुमति मिली.

आंधी 

साल 1975 में आई फिल्म 'आंधी' पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राजनीतिक जीवन पर आधारित थी. यही इसके बैन होने का कारण बन गया. इंदिरा गांधी जब सत्ता में थीं, तब उन्होंने फिल्म पर बैन लगा दिया. लेकिन बीजेपी के सत्ता में आने पर फिल्म से प्रतिबंध हटा लिया गया. फिल्म में हीरोइन के कुछ सिगरेट पीने के सीन थे जो हटा दिए गए थे. इसके साथ ही कहानी से तात्कालिक रिफरेंस हटा लिए गए.

बैंडिट क्वीन 

चंबल की डकैत फूलन देवी के जीवन पर बनी शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' भी विवादों में रही है. फिल्म में अभीनेत्री सीमा विश्वास पर फिल्माए गए बलात्कार के दृश्य, और फिल्म में उपयोग की गई गालियां फिल्म के विवाद का कारण बनीं. लंबे समय तक खुद फूलन देवी को ये फिल्म देखने नहीं दी गई थी. बाद में कोर्ट के चलते फिल्म भारत में कुछ एक्स्ट्रा कट्स के साथ रिलीज हुई.

किस्सा कुर्सी का 

इमरजेंसी के समय पर व्यंग करती फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' संजय गांधी और इंदिरा गांधी की स्थिति पर आधारित थी. बता दें कि इस फिल्म को बैन कर दिया गया था और फिल्म के सारे प्रिंट जब्त कर लिए गए थे.

वॉटर 

दीपा मेहता की फिल्म 'वॉटर' में आश्रमों में कष्ट झेल रही विधवाओं की कहानी बताई गई है. जिस पर शिवसेना और काशी संस्कृति रक्षण संघर्ष समिति ने भारतीय संस्कृति को बदनाम करने का आरोप लगाया. फिल्म से जुड़ा विवाद इतना बढ़ गया कि फिल्म की शूटिंग वाराणसी की जगह श्रीलंका में करनी पड़ी.

पीके 

'पीके' फिल्म से जुड़े विवाद से शायद ही कोई अनछुआ रहा होगा. धार्मिक अंधविश्वास पर चोट करती इस फिल्म को कई धार्मिक संगठनों के विरोध का शिकार बनना पड़ा. बावजूद कड़े विरोध के फिल्म ने काफी तारीफें बटोरी और और अपने समय पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म भी बनी.

माय नेम इज खान 

शाहरुख खान की इस फिल्म पर शिवसेना ने कड़ा विरोध जताया था. दरअसल शाहरुख की आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को खिलाने की इच्छा के चलते शिवसेना ने उनकी इस फिल्म पर हमला किया. शाहरुख खान के घर की दीवारों पर पाकिस्तान का टिकट भी चिपका दिया था.

फना 

आमिर खान ने फिल्म के रिलीज के दौरान नर्मदा पर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने के खिलाफ चंद बातें बोल दी थीं. इसके बाद गुजरात की बीजेपी सरकार ने न सिर्फ फिल्म पर प्रतिबंध लगाया. बल्कि आमिर खान के द्वारा विज्ञापन किए जाने वाले उत्पादों पर भी रोक लगा दी.

परजानिया 

फिल्म की सारी कहानी 2002 के गुजरात दंगों के आस-पास घूमती है. इस फिल्म की कहानी दंगों पर आधारित होने के कारण गुजरात में इस पर बैन लगा दिया गया. हालांकि कुछ एनजीओ के प्रयास से फिल्म गुजरात के कुछ इलाकों में दिखाई गई थी. इस फिल्म में उठाया गया मुद्दा इतना संवेदनशील था कि यह फिल्म अभी तक विवादित बनी हुई है.

कामासूत्र : ए टेल ऑफ लव 

हालांकि कामासूत्र की रचना भारत में ही हुई थी लेकिन जब इसे फिल्म के रूप में पर्दे पर लाया गया तो यह विवादों में घिर गई. फिल्म में दिखाए गए दृश्यों की कटाई-छंटाई के बावजूद भी फिल्म से विवादों का नाता नहीं टूटा. विवाद इतना बढ़ गया था कि फिल्म की अभिनेत्री हिंदुस्तान वापस आने में भी डर महसूस कर रही थी.

रंग दे बसंती 

फ्लाइंग कॉफिन के नाम से बदनाम हो रहे मिग विमानों का शिकार हो रहे जवानों पर आधारित राकेश ओम प्रकाश मेहरा की फिल्म. यह फिल्म विवादों में तब आ गई जब एयरफोर्स को इसके कुछ हिस्सों पर आपत्ति हुई थी. इसके बाद मेनका गांधी ने फिल्म में घोड़े के उपयोग पर एतराज जताया. हालांकि वह दृश्य फिल्म से हटा लिया गया और एयरफोर्स के बारे में फिल्म के आखिर में डिस्क्लेमर दिया गया. फिल्म सुपरहिट साबित हुई.

एक छोटी सी लव स्टोरी 

मनीषा कोइराला अभिनीत यह फिल्म विवादों में तब आ गई जब खुद मनीषा ने फिल्म के दृश्यों के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज करा दिया. उनका कहना था कि फिल्म में कुछ आपत्तिजनक दृश्य हैं. जो उनकी बॉडी डबल से करवाए गए हैं. जिसके बाद उन्होंने फिल्म पर स्टे लगाने की मांग की.

फायर 

साल 1996 में आई इस फिल्म के जरिए शायद पहली बार किसी बॉलीवुड फिल्म में समलैंगिकता दिखाई गई थी. समलैंगिकता जैसे संवेदनशील मुद्दे पर फिल्म बनाने के कारण शिवसेना ने इसका जमकर विरोध किया. इस विरोध से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय तक भारतीय दर्शक समलैंगिकता जैसे मुद्दे पर फिल्म देखने लायक नहीं हुए थे.

बॉलीवुड की फिल्मों के साथ-साथ भारत में कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी विवाद में रही हैं. इनमें से कुछ आप नीचे देख सकते हैं.

इंडियाज डॉटर 

दिल्ली में वसंत विहार सामूहिक बलात्कार कांड पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म विवादों में इस कदर फंस गई कि भारत में उसे प्रतिबंधित कर दिया गया. निर्भया गैंगरेप पर बनी डॉक्यूमेंट्री भारत में ही नहीं प्रदर्शित की जा सकी.

राम के नाम 

भारत के मशहूर डॉक्यूमेंट्री निर्देशक आनंद पटवर्धन द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाबरी विध्वंस पर आधारित है. जिसमें कई हिंदू संगठनों द्वारा विध्वंस की साजिश दिखाई गई है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अवार्ड जीतने वाली फिल्म को भारत में ही प्रदर्शित होने में दो दशक लग गए.