शिड्यूल कास्ट एंड शिड्यूल ट्राइब्स (प्रीवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) अमेंडमेंट बिल, 2018 लोकसभा में पास हो गया.
राज्यसभा कल तक के लिए स्थगित हो गया.
18:40 (IST)राज्य सभा में ओबीसी बिल पास- नेशनल कमीशन फॉर बैकवॉर्ड क्लासेस (रिपील) बिल, 2017 राज्य सभा में पास हो गया. संविधान (123वां संशोधन) बिल, 2017 राज्य सभा में पास हो गया.
14:25 (IST)मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने वीरेंद्र कश्यप के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि एएमयू और जामिया खुद को ‘अल्पसंख्यक संस्थान’ मानते हुए सरकार की आरक्षण नीति का पालन नहीं कर रहे हैं.
14:23 (IST)सरकार ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और जामिया मिलिया इस्लामिया स्वयं को ‘अल्पसंख्यक संस्थान’ मानते हुए सरकार की आरक्षण नीति का पालन नहीं कर रहे हैं.
13:42 (IST)
लोकसभा की कार्यवाही 2.30 बजे तक स्थगित.
13:39 (IST)
'प्रभात खबर' के पूर्व संपादक और जेडीयू MP हरिवंश होंगे NDA के राज्यसभा में उपसभापति के उम्मीदवार.
आरजेडी सांसद जय प्रकाश नारायण यादव ने लोकसभा में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का मामला उठाया और कहा, लड़कियों के साथ ऐसे खिलवाड़ हुआ जैसे वे गुड़िया हों. सबूतों से छेड़छाड़ की जा रही है. इसमें राज्य सरकार की मिलीभगत है.
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू के मुताबिक, उपसभापति का चुनाव 9 अगस्त को संपन्न कराया जाएगा.
बीजेपी सांसद गोपाल नारायण ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में कहा, जांच में मंजू वर्मा और उनके पति का नाम सामने आया है, इसलिए सही जांच के लिए उन्हें (मंजू वर्मा) इस्तीफा दे देना चाहिए. नीतीश जी को भी जांच होने तक उन्हें बर्खास्त करने को कहना चाहिए.
टीडीपी सांसद नरमल्ली शिवप्रसाद ने भगवान राम का भेष धारण कर संसद परिसर में आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग की. इस प्रदर्शन में पार्टी के और भी सांसद नजर आए.
महागठबंधन के पीएम उम्मीदवार के नाम पर अटकलों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा ने कहा, पहले कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी पीएम कैंडिडेट होंगे. एक पीटीआई संवाददाता ने मुझसे पूछा कि अगर कांग्रेस ममता बनर्जी या मायावती को पीएम कैंडिडेट बनाने का प्रस्ताव करेगी तो क्या रुख रहेगा. मैंने बता दिया कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
राहुल गांधी का पीएम मोदी को संसद में गले लगाना कर्नाटक जेडीएस अध्यक्ष एच. विश्वनाथ को पसंद नहीं आया. उन्होंने राहुल की इस हरकत को बचकाना करार दिया है.
संसद की कार्यवाही में लगातार बाधा पर चिंता जताते हुए राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने कहा कि सदस्यों के अध्यक्ष के आसन के सामने आने और कार्यवाही में बाधा डालने के बावजूद पीठासीन अधिकारियों को 'कुर्सी पर शांति से बैठे रहना चाहिए और दृढ़ रहना चाहिए.’ उन्होंने कहा, जब तक पीठासीन अधिकारी (लोस अध्यक्ष और रास उपसभापति) मौजूद रहते हैं, माना जाता है कि सदन का सत्र चल रहा है और कम से कम यह कुछ आशा जगाता है.
09:49 (IST)जाने-माने कानूनविद् फली एस नरीमन ने रविवार को लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा उपसभापति से अनुरोध किया कि वे खलल डाल रहे सांसदों की ओर से ‘सबसे अधिक उकसावे’ के बावजूद संसद की कार्यवाही स्थगित नहीं करें और उनकी मंशा को नाकाम करें.
09:44 (IST)
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला 123वां संविधान संशोधन विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पेश होगा. लोकसभा में यह पहले ही पारित हो चुका है. सरकार की तरफ से बिल में कुछ संशोधन किए गए हैं जिसमें आयोग में महिला सदस्य को भी शामिल किया गया है. साथ ही राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप को लेकर विपक्ष की शिकायतों को भी दूर करने की कोशिश की गई है.
एक हफ्ते पहले ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई थी. लोकसभा ने राज्यसभा की ओर से विधेयक में किए गए संशोधनों को निरस्त करते हुए वैकल्पिक संशोधन और और संशोधनों के साथ ‘संविधान (123वां संशोधन) विधेयक, 2017’ पारित कर दिया था. सदन में वोट डिविजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 406 सदस्यों ने मत दिया. विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा. सरकार के संशोधनों को भी सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया.
दूसरी ओर एससी/एसटी विधेयक है जिस पर आज लोकसभा में चर्चा होगी. यह विधेयक संसद में पारित होने के बाद अपने पुराने स्वरूप में वापस आ जाएगा. बीते एक अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट ने एससी/एसटी कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने वाले विधेयक को मंजूरी दी थी.
एनडीए सरकार के इस कदम को दलितों की मांग के पक्ष में नौ अगस्त को देशव्यापी प्रदर्शन के प्रस्ताव को शांत करने के तौर पर देखा जा रहा है. इसी साल 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है.
इस मुद्दे पर दलित समुदाय की नाराजगी झेल रही मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है. यह विधेयक किसी भी अदालती आदेश से प्रभावित हुए बिना बावजूद एससी/एसटी के खिलाफ अत्याचार के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत के किसी भी प्रावधान को खारिज करता है. इसमें यह भी व्यवस्था है कि आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई शुरुआती जांच की जरूरत नहीं है. साथ ही इस कानून के तहत गिरफ्तारी के लिए किसी प्रकार की मंजूरी की जरूरत नहीं है.
दलित संगठन सरकार से सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले को पलटने की मांग करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि समाज के कमजोर तबके पर अत्याचार के खिलाफ इस कानून में आरोपी की गिरफ्तारी पर अतिरिक्त बचाव ने इस कानून को कमजोर बना दिया है.