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RSS का कार्यक्रम: प्रचलित भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश करते मोहन भागवत

दूसरे दिन ‘हिंदुत्व’ पर नजर होगी, जिस पर मोहन भागवत का भाषण संघ और हिंदुत्व को लेकर संघ के नजरिए को स्पष्ट करने वाला होगा.

Amitesh

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है, ‘आरएसएस को रिमोट कंट्रोल कहा जाता है जो कि सही नहीं है.’ उनका मानना है, ‘संघ के स्वयंसेवक कई क्षेत्र में काम कर रहे हैं. अपनी रुचि के मुताबिक काम कर रहे हैं. लेकिन, इस बारे में संघ की तरफ से कोई निर्देश नहीं दिया जाता कि तुम वहां जाओ, यह काम करो.’

हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया है,  ‘संघ के स्वयंसेवक अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. कभी-कभी मिलना-जुलना होता है. समन्वय समिति की बैठक होती है और उसमें अच्छे कामों को लेकर चर्चा होती है. समन्वय समिति की बैठक में विचारों का, सुझावों का आदान-प्रदान होता है.’


संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम ‘भविष्य का भारत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ के दौरान ये बातें कहीं.

दरअसल, आरएसएस की तरफ  से दिल्ली में 17 सितंबर से 19 सितंबर तक तीन दिनों का कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसमें संघ के बारे में लोगों को जानकारी देने, संघ की कार्यशैली और विचारों-सिद्धांतों के बारे में लोगों के मन में उठ रहे सवालों का जवाब देने और संघ को लेकर समाज में मौजूद सारी भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है.

कार्यक्रम के तीनों दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत शाम के वक्त अलग-अलग मुद्दों पर अपना व्याख्यान भी देंगे और इस दौरान कार्यक्रम के दौरान पहुंचे लोगों के भीतर उठ रहे सवालों का का जवाब देकर उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश भी करेंगे.

संघ रिमोट कंट्रोल नहीं

अक्सर संघ पर बीजेपी को रिमोट कंट्रोल से चलाने का आरोप लगता रहता है. कार्यक्रम के पहले दिन मोहन भागवत की तरफ से इसी मुद्दे पर सफाई देते हुए यह बताने की कोशिश की गई कि संघ काम कैसे करता है. रिमोट कंट्रोल से संघ काम नहीं करता.

अक्सर देखने को मिलता है कि संघ के कई आनुषंगिक संगठनों के बीच समन्वय बैठक होती रहती है. संघ प्रमुख ने भी साफ कर दिया, ‘संघ के आनुषांगिक संगठनों की जो समन्वय बैठक होती है, उसमें विचारों का आदान-प्रदान होता है, न कि दिशा-निर्देश देने की कोशिश होती है.’

संघ प्रमुख के इस बयान का मतलब बीजेपी के साथ संघ के रिश्ते और सरकार में संघ के दखल के संदर्भ में भी देखा जा रहा है, जिस पर उन्होंने रिमोट कंट्रोल से चलने वाले आरोपों को नकार दिया है.

हालांकि, संघ के इस कार्यक्रम में बीजेपी के अलावा दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं को भी न्योता दिया गया था, लेकिन, कार्यक्रम के दौरान विपक्षी दलों के नेता नदारद रहे. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के नेता संघ को अंदर से समझने की कोशिश में बुलाए जाने के बावजूद संघ के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे. लेकिन, इस मौके पर संघ की तरफ से उन हर मुद्दों पर विपक्ष के आरोपों पर जवाब देने की कोशिश की गई जो उन पर लगाए जाते रहे हैं.

संघ शुरू से ही करता है तिरंगे का सम्मान

राष्ट्रध्वज तिरंगे पर संघ के रुख को लेकर विपक्ष कई बार सवाल खड़ा करता रहा है. बार-बार यह पूछा जाता है कि संघ के लोगों ने नागपुर यानी संघ मुख्यालय में लंबे वक्त तक तिरंगा क्यों नहीं फहराया? इस मुद्दे पर भी संघ प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से साफ किया गया, ‘संघ हमेशा तिरंगे का सम्मान करता है. स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हर निशान से हर स्वयंसेवक दिल से जुड़ा हुआ है.’

आजादी के लिए चलाए जा रहे आंदोलन में संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के योगदान का जिक्र करते हुए भागवत ने तिरंगे के प्रति संघ के समर्थन का भी जिक्र किया. उन्होंने साफ किया, ‘तिरंगे झंडे के साथ जन्म से ही संघ का स्वयंसेवक जुड़ा हुआ है.’

हालांकि, उन्होंने साफ कर दिया  भगवा ध्वज ही संघ की परंपरा का प्रतीक है. उन्होंने कहा, ‘भगवा ध्वज को हम गुरु मानते हैं और इसी भगवा ध्वज के सामने हम हर साल गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम आयोजित करते हैं.’

हिंदू समाज को संगठित करने के मकसद से संघ की स्थापना

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की स्थापना करने के पीछे मकसद हिंदू समाज को संगठित करना बताया. लेकिन, उन्होंने यह भी कहा, ‘संघ हिंदू समाज इकट्ठा करने के साथ-साथ व्यक्ति निर्माण का भी काम करता है. संघ एक ऐसा समाज चाहता है, जो भेद मुक्त हो, शोषण मुक्त हो, स्वार्थ मुक्त हो.’

भागवत ने की विरोधियों को भी साथ लेने की बात

मोहन भागवत ने अपने विरोधियों को भी अपना बताया जो कि उनके विचारों से असहमत हैं. भागवत ने कहा,  ‘हमलोग सर्वलोक युक्त भारत वाले लोग हैं, मुक्त वाले नहीं हैं.’ संघ प्रमुख का यह बयान संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाली राजनीतिक पार्टी बीजेपी के उस बयान से अलग है जिसमें ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की बात कही जाती रही है.

संघ प्रमुख का बयान बीजेपी नेताओं के बयान के उलट है. संघ प्रमुख की तरफ से आजादी के आंदोलन में उस वक्त कांग्रेस के योगदान की भी तारीफ की गई है. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी. कांग्रेस ने देश को कई महान हस्तियां भी दीं जिनसे आज भी प्रेरणा मिलती है.’

संघ प्रमुख ने अपने एक घंटे बीस मिनट के भाषण के दौरान साफ कर दिया कि संघ एक शक्ति के रूप में आज भी उपस्थित है. उन्होंने  कहा,  ‘संघ एक शक्ति है, इसीलिए किसी को डर भी लगता है. इसीलिए संघ के बारे में भ्रांतियां फैलाई जाती हैं. संघ का अपना काम अनोखा है. इसलिए अनोखा काम होने के नाते भी भ्रांतियां फैलती हैं.’

अपने भाषण के पहले दिन मोहन भागवत की तरफ से संघ की स्थापना और उसके सिद्धांतों और संघ के बारे में फैलाई गई भ्रांतियों से पर्दा उठाने की कोशिश की गई है. अब दूसरे दिन ‘हिंदुत्व’ पर नजर होगी, जिस पर उनका भाषण संघ और हिंदुत्व को लेकर संघ के नजरिए को स्पष्ट करने वाला होगा.