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ओबीसी आरक्षण पर मोदी सरकार का वार: अब नहीं मिलेगा अधिकारियों के बच्चों को रिजर्वेशन

इस फैसले के बाद तमाम सरकारी कंपनियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर काम कर रहे अधिकारियों के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा

FP Staff

पब्लिक सेक्टर उपक्रम यानी सरकारी कंपनियों, बैंक और तमाम वित्तीय संस्थानों में काम करने वाले अधिकारियों के बच्चों को अब आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

इस फैसले के बाद तमाम सरकारी कंपनियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर काम कर रहे अधिकारियों के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. सरकार का दावा है कि ये मामला पिछले 24 सालों से लंबित था. सरकार के मुताबिक ओबीसी के आरक्षण को दरकिनार कर आय मापदंडों और पदों की गलत व्याख्या के कारण अब तक इन सरकारी कंपनियों में कार्यरत अधिकारियों के बच्चों को गैर-क्रीमीलेयर मान लिया जाता था और असली गैर-क्रीमीलेयर उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता था.


दरअसल, मोदी सरकार ने बुधवार को सरकारी पदों की ग्रुप 'ए' के समतुल्य पब्लिक सेक्टर कंपनियों और बैंकों में भी अधिकारियों का एक वर्ग बनाने की मंजूरी दे दी. अब पब्लिक सेक्टर कंपनियों में एग्जिक्यूटिव स्तर के सभी पद जैसे बोर्ड स्तर के एक्जिक्यूटिव और मैनेजर स्तर के पदों को सरकार के ग्रुप 'ए' के समकक्ष माना जाएगा. वहां, सरकारी बैंकों और बीमा व वित्तीय कंपनियों में जूनियर प्रबंधन ग्रेड स्केल-1 और उसके ऊपर के अधिकारियों को भारत सरकार के ग्रुप 'ए' के अधिकारियों के बराबर माना जाएगा. इससे इन पदों पर बैठे अधिकारी अब क्रीमीलेयर में माने जाएंगे. जिसके कारण उनके बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा. देश में करीब 300 पब्लिक सेक्टर की कंपनियां हैं.

ओबीसी आयोग के लिए बिल पास नहीं हो सका

पिछले कुछ दिनों से सरकार ओबीसी को लेकर कई तरह के बड़े प्रयास कर चुकी है. सरकार ने संसद के मानसून सत्र में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए बिल पेश किया था. हालांकि, वो पारित नहीं हो सका था. उसके बाद सरकार ने ओबीसी वर्ग के भीतर की जातियों को उप-श्रेणियों में बांटने के लिए एक आयोग का गठन करने का फैसला किया. ये करने के पीछे तर्क है कि अब तक ओबीसी आरक्षण का लाभ मजबूत जातियों के लोग ही उठा लेते हैं और कमजोर और पिछड़ों को उनका लाभ नहीं मिल पाता.

सरकार का कहना है कि अगर ओबीसी वर्ग की जातियों का उप-श्रेणीकरण हो गया, तो ये अंदाजा लग सकेगा कि किस जाति की कितनी आबादी है और आरक्षण में आबादी के मुताबिक हिस्सेदारी सुनिश्चित की जा सकती है. जिससे सभी जातियों को आरक्षण का लाभ उनकी आबादी के मुताबिक मिल सकेगा. इस आयोग को बनाने के अलावा सरकार ने ओबीसी की क्रीमीलेयर की सीमा भी 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपए कर दी है. इसके लिए भी ओबीसी समाज की ओर से लंबे समय से मांग की जा रही थी.

(न्यूज़18 के लिए विक्रांत यादव की रिपोर्ट)