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नौकरशाही में फेरबदल: मोदी सरकार में काबिल अधिकारियों की है कद्र

मोदी सरकार ने वर्षों से चली आ रही उस परंपरा को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है, जिस परंपरा पर अभी तक पूर्व की सरकारें काम करती आ रही थीं

Ravishankar Singh

केंद्र सरकार के साथ काम कर रहे कुछ अधिकारियों का किस्मत कनेक्शन भी क्या लाजवाब है. एक नौकरी खत्म नहीं होती कि दूसरी की खुशखबरी सामने आ जाती है.

बहुत कम ही ऐसे मौके आते हैं जब किसी अधिकारी को उसका ईनाम रिटायरमेंट से पहले ही मिल जाता है. लेकिन, मोदी सरकार ने पिछले कुछ महीनों से इस तरह के काम करने में महारथ हासिल कर ली है.


मोदी सरकार अपने काबिल अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद भी खुशियों की झोली भर रही है. इन काबिल अधिकारियों को एक जिम्मेदारी खत्म होने से पहले ही दूसरी जिम्मेदारी दे दी जाती है. मोदी सरकार के मंत्री से लेकर संतरी तक इन काबिल अधिकारियों के शान में कसीदें पढ़ रहे हैं. काबिल अधिकारियों की पूछ और हैसियत में लगातार इजाफा हो रहा है.

अमूमन बहुत कम ही कहने और सुनने को मिलता है जब किसी अधिकारी के रिटायरमेंट से ठीक पहले दूसरी नियुक्ति की खुशखबरी मिल जाती है. पर, हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब किसी अधिकारी के रिटायरमेंट से पहले ही दूसरी नियुक्ति के फैसले सामने आ जाते हैं.

अधिकारियों के कामों को गंभीरता से लेते हैं मोदी

इसका मतलब साफ नजर आता है कि मोदी सरकार अपने अधिकारियों के अच्छे कामों को भी गंभीरता से ले रही है. मोदी सरकार किसी भी कीमत पर इन काबिल अधिकारियों को खोना नहीं चाहती.

1978 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव महर्षि को ही लीजिए, 31 अगस्त को रिटायरमेंट के दिन ही उन्हें भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) नियुक्त कर दिया गया. राजस्थान कैडर से आने वाले राजीव महर्षि मोदी सरकार के हाईप्रोफाइल नौकरशाहों में शुमार किए जाते हैं.

राजीव महर्षि इस सरकार में लगातार बड़े-बड़े पदों पर काम करते आ रहे हैं. वे गुरुवार को ही गृह सचिव के पद से रिटायर हुए हैं. गृह सचिव बनने से पहले राजीव महर्षि को मोदी सरकार में वित्त सचिव की जिम्मेदारी भी मिल चुकी है.

राजीव महर्षि की अहमियत को समझते हुए केंद्र सरकार ने सीएजी के पद पर नियुक्त किया है. महर्षि शशिकांत शर्मा की जगह लेंगे. इसके साथ-साथ हाल में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पूर्व सचिव सुनील अरोड़ा को भी चुनाव आयुक्त जैसा महत्वपूर्ण पद सौंपा है. सुनील अरोड़ा 1999 से 2005 तक इंडियन एयरलाइंस के सीएमडी भी रह चुके हैं.

courtsey: The Sen Times

1980 बैच के राजस्थान कैडर के ही पूर्व आईएएस अधिकारी सुनील अरोड़ा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं. अरोड़ा मोदी सरकार में भी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय में सचिव के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

बीते जुलाई में नसीम जैदी के मुख्य चुनाव आयुक्त पद से सेवानिवृत होने के बाद तीन सदस्यीय आयोग में चुनाव आयुक्त का एक पद खाली पड़ा था. जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने सुनील अरोड़ा की नियुक्ति की है.

साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही केंद्र की अफसरशाही में परिवर्तन शुरुआत हो गया था. मोदी सरकार ने सबसे पहले पूर्व की यूपीए सरकार में तैनात ज्यादातर अफसरों को उनके होम कैडर में वापस भेज दिया था.

साथ ही कुछ काबिल अधिकारियों को केंद्र सरकार ने बरकरार रखते हुए उन्हें अहम पदों पर तैनात भी किया था. लेकिन, जैसे ही वे अधिकारी रिटायर होते गए मोदी सरकार उस स्थान पर काबिल अधिकारियों की तैनाती शुरू कर दी.

साफ-सुथरी छवि को ज्यादा तवज्जो

वैसे पीएम मोदी पिछले कई मौकों पर अफसरशाही के तौर-तरीके पर सख्त टिप्पणी कर चुके हैं.

पिछले कुछ दिनों से यह देखा जा रहा है कि मोदी सरकार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की योग्यता और उनकी साफ-सुथरी छवि को ज्यादा तवज्जो दे रही है.

हम आपको बता दें कि साल 2015 में पहली बार मोदी सरकार ने सबको चौंकाते हुए सीबीडीटी के पूर्व प्रमुख आईआरएस अधिकारी के वी चौधरी को मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) नियुक्त किया था.

के वी चौधरी को नियुक्ति कर सरकार ने पहली बार भ्रष्टाचाररोधी संस्था के प्रमुख पद पर किसी गैर आईएएस अधिकारी को नियुक्त कर नई पहल की थी. चौधरी भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी रहे हैं और उन्हें कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) में सलाहकार नियुक्त किया गया था.

के वी चौधरी साल अक्टूबर 2014 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष पद से रिटायर हुए थे. साल 2015 में जब यह खबरें आई कि चौधरी के नाम को सीवीसी पद के लिए मंजूरी दे दी गई है तो वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी और प्रशांत भूषण ने इसके लिए सरकार की आलोचना की थी.

दिलचस्प बात यह थी कि उस समय सीवीसी में कार्यकारी मुख्य सतर्कता आयुक्त सीआईएसएफ के पूर्व महानिदेशक राजीव कुमार नए नियुक्त किए गए सीवीसी चौधरी से तीन बैच वरिष्ठ थे.

ब्यूरोक्रेसी में भारी फेरबदल

अभी दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने केंद्र की ब्यूरोक्रेसी में काफी फेरबदल किए हैं. वर्तमान अधिकारियों के विभाग में भी फेरबदल हुआ है. लगभग दो महीने पहले ही 1984 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव गावा को देश का गृह सचिव बनाया गया था.

इसके साथ ही मोदी सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विस के सेक्रेटरी पद पर भी नई नियुक्ति की है. 1984 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार को डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विस (डीएफएस) का सेक्रेटरी बनाया गया है.

राजीव कुमार की नियुक्ति अंजुली छिब दुग्गल की जगह किया गया है. दुग्गल गुरुवार को ही रिटायर हुए हैं. राजीव कुमार फिलहाल मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल्स में स्पेशल सेक्रेटरी के पद पर तैनात थे.

डीएफएस के तहत बैंकों की फंक्शनिंग, फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस, इंश्योरेंस कंपनियों और नेशनल पेंशनल सिस्टम की फंक्शनिंग की जाती है.

गुजरात कैडर की आईएएस अधिकारी अनीता करवाल सीबीएसई की चेयरपर्सन बनाई गई हैं. अनीता करवाल राजेश कुमार चतुर्वेदी का स्थान लेंगी.

अनीता 1988 बैच की गुजरात कैडर की आईएएस अधिकारी हैं. 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान अनीता गुजरात की मुख्य चुनाव आयुक्त थीं.

वहीं चतुर्वेदी को नेशनल स्किल डेवलपमेंट एजेंसी का निदेशक बनाया गया है. अभी तक अनीता मानव संसाधन मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर तैनात थीं.

सरकार की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 1983 बैच के हिमाचल प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी आशा राम सिहाग को भारी उद्योग विभाग के सचिव के तौर पर नियुक्ति किया है.

सिहाग अभी कैबिनेट सचिवालय में सचिव (समन्वय) के पद पर तैनात थे. सिहाग सेवानिवृत हुए 1983 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी गिरीश शंकर की जगह लेंगे.

सीबीएसई में चेयरपर्सन रहे झारखंड कैडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी राजेश कुमार को अब स्किल डेवलपमेंट एजेंसी का डायरेक्टर बनाया गया है.

राजेश कुमार ने इंडियन ब्यूरोक्रेसी में कई सुधारों के लिए ब्यूरोक्रेट्स की एनुअल परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट के लिए ऑनलाइन रिकॉर्डिंग सिस्टम शुरू किया. साथ ही किसी अफसर की सीनियर लेवल पर तैनाती के लिए 360 डिग्री सिस्टम को लागू करने का श्रेय भी इन्हें दिया जाता है.

राजेश कुमार उस टीम के भी अहम मेंबर रहे जिन्होंने नॉन परफॉर्मिंग ऑफिसर्स की पहचान के लिए असेससमेंट सिस्टम को लागू किया. इस परफॉर्मेंस रिव्यू के आधार पर कुछ आईएएस, आईपीएस और दूसरे सिविल सर्विसेस ऑफिसर्स के निकाला भी गया है.

कुल मिलाकर कर कह सकते हैं कि मोदी सरकार ने वर्षों से चली आ रही उस परंपरा को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है, जिस परंपरा पर अभी तक पूर्व की सरकारें काम करती आ रही थीं. ऐसा कहा जा रहा है कि यूपीएससी में अब कैडर सिस्टम को खत्म कर जोन-वाइज कैडर निर्धारित किए जाएंगे.