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मेघालय HC के जज ने कहा- बंटवारे के वक्त ही भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था

मेघालय हाईकोर्ट के जस्टिस एसआर सेन ने कहा कि भारत को बंटवारे के वक्त ही खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था

FP Staff

मेघालय हाईकोर्ट के जस्टिस एसआर सेन ने सोमवार को टिप्पणी की कि भारत को बंटवारे के वक्त ही खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था, लेकिन वो धर्म निरपेक्ष बना रहा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, जस्टिस सेन ने कहा, 'पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक राष्ट्र के आधार पर भारत से अलग किया था और धर्म के आधार पर बंटे भारत को भी खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए लेकिन यह अभी भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है.'


जस्टिस एसआर सेन निवास प्रमाण पत्र से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. सुनवाई के दौरान उन्होंने भारतीय नागरिकता पर भी टिप्पणी की. अमोन राणा बनाम मेघालय सरकार और अन्य के मामले में निवास प्रमाण पत्र संबंधित सुनवाई के दौरान जस्टिस सेन ने अपने 37 पन्ने के जजमेंट में कहा है कि अगर वो मूल भारत और उसके विभाजन को सामने रखते हैं तो अपने कर्तव्य में असफल रहेंगे.

उन्होंने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, कानून मंत्री और सांसदों से अपील की कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, क्रिश्चियन, खासी, जयंतिया और गारो समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाए.

जस्टिस सेन ने जजमेंट के दौरान कहा, 'मैं अपने प्रिय प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री और संसद के माननीय सदस्यों से अपील करता हूं कि हिंदुओं, सिखों, जैनों, बौद्ध, पारसी, ईसाई, खासी, जयंतिया और गारो समुदाय के लोगों को किसी भी दस्तावेज या सवाल के बिना नागरिकता दी जाए. इसी तरह के सिद्धांत को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में से आने वाले लोगों के लिए अपनाया जाना चाहिए. उन्हें भारत में बसने के लिए किसी भी समय आने की अनुमति दी जाए और सरकार उन्हें पुनर्वास उचित तरीके से प्रदान करे. इसके साथ ही उन्हें भारत का नागरिक घोषित किया जाए.'

जजमेंट में जस्टिस सेन ने ये भी कहा है, 'हालांकि मैं इस देश में पीढ़ियों से रहने वाले अपने मुस्लिम भाइयों और बहनों के खिलाफ नहीं हूं. उन्हें इस देश में शांतिपूर्वक रहने का पूरा अधिकार है.'

सेन ने यूनिफॉर्म लॉ की भी बात की. उन्होंने कहा कि 'मैं सरकार से यह अपील भी करता हूं कि सभी भारतीयों के लिए यूनिफॉर्म लॉ बनाना चाहिए. जो भी भारतीय कानून और संविधान का विरोध करे उसे देश का नागरिक नहीं माना चाहिए. हमें यह याद रखना जरूरी है कि हम पहले भारतीय हैं, फिर मनुष्य और उसके बाद उस समुदाय के जिससे हम संबंध रखते हैं.'

जस्टिस सेन ने भारत सरकार की असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ए. पॉल को निर्देश दिया कि इस आदेश की एक कॉपी, माननीय प्रधानमंत्री, माननीय गृह मंत्री और माननीय कानून मंत्री को भी भेजी जाएं ताकि वह हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, क्रिश्चियन, खासी, जयंतिया और गारो समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठा सकें.

जस्टिस सेन ने इस्लामिक राष्ट्र की धारणा पर भी बोला. उन्होंने कहा कि 'मैं यह साफ करना चाहता हूं कि कोई भी भारत को एक और इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कोशिश न करे, वरना यह विश्व और भारत के लिए दुर्भाग्य का दिन होगा. मुझे विश्वास है कि श्री नरेंद्र मोदी की सरकार मामले की गंभीरता को समझेगी और इसके लिए आवश्यक कदम उठाएगी.'

जस्टिस सेन की इस टिप्पणी पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बयान दिया. उन्होंने कहा कि 'भारत हमेशा से धर्म निरपेक्ष रहा है और हमेशा रहेगा. जो लोग कुछ भी बोलना चाहते हैं, वो स्वतंत्र हैं क्योंकि ये एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.'