view all

यूपी में टीचर भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए CBI जांच के आदेश

योगी सरकार अब इस आदेश को चुनौती देने के लिए डबल बेंच में अपील करेगी

FP Staff

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को पहले 68,500 सहायक शिक्षक भर्ती की सीबीआई जांच के आदेश दिए और फिर 12,460 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दोबारा काउंसलिंग कराने का फैसला सुनाया. ये फैसला सिंगल बेंच ने सुनाया था. वहीं योगी सरकार अब इस आदेश को चुनौती देने के लिए डबल बेंच में अपील करेगी.

न्यूज 18 के मुताबिक, इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. प्रभात कुमार से देर रात चर्चा हुई. जिसके बाद डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि जिनको नियुक्ति पत्र मिल चुका है, उनकी नौकरी की सुरक्षा सरकार करेगी. उन्होंने कहा कि 68,500 सहायक शिक्षक भर्ती की सीबीआई जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि भर्ती की उच्च स्तरीय जांच शासन ने खुद कराई है और इसमें कोई आपराधिक कृत्य सामने नहीं आया है.


आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा दिसम्‍बर 2016 में सहायक अध्‍यापक के 12460 पदों पर की गई भर्ती को नियमविरुद्ध करार देते हुए निरस्‍त कर दिया था. कोर्ट ने एक अन्‍य फैसले में प्रदेश के प्राइमरी स्‍कूलों में सहायक अध्‍यापकों के 68,500 खाली पदों के सापेक्ष की गई भर्ती की भी पूरी प्रक्रिया की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे.

न्‍यायमूर्ति इरशाद अली की पीठ ने सहायक अध्‍यापकों के 12460 पदों के मामले में दायर कई याचिकाओं का सामूहिक निस्‍तारण करते हुए यह आदेश दिए थे. कोर्ट ने कहा था कि 21 दिसम्‍बर 2016 को तत्‍कालीन अखिलेश यादव सरकार द्वारा जारी विज्ञापन के आधार पर की गई सहायक अध्‍यापकों की भर्ती उत्‍तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली 1981 के खिलाफ थी.

कोर्ट ने योगी सरकार को आदेश दिए थे कि वह अभ्‍यर्थियों के चयन के लिए नियमों के अनुरूप नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करे. कोर्ट ने इसके लिए राज्‍य सरकार को तीन महीने का समय दिया था. साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए थे कि इस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी साबित होने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सक्षम प्राधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए.

साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले में अपनी प्रगति रिपोर्ट 26 नवम्‍बर को पेश करने के आदेश देने के साथ-साथ मामले की जांच छह महीने में पूरी करने के निर्देश भी दिए हैं.