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नर्मदा बचाओ आंदोलन: मेधा पाटकर जेल से रिहा, बोलीं- घाटी मेरा घर, फिर जाऊंगी

मेधा ने जेल से रिहा होने के बाद कहा, ‘गैरकानूनी और भ्रष्टाचारियों के काम को रोकने वालों को सरकार जेल में बंद रखना चाहती है'

FP Staff

मध्य प्रदेश के धार जिला जेल में 16 दिन से बंद नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर गुरुवार को रिहा हो गई है. उन्हें बुधवार को हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ से जमानत मिल गई थी.

नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने बताया कि हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बुधवार को आदेश धार जिला जेल तक नहीं पहुंच पाया, जिससे रिहाई नहीं हो सकी.


मेधा नौ अगस्त से धार जिला जेल में बंद थी

जिला जेल से रिहा होने के बाद मेधा ने कहा, ‘गैर कानूनी और भ्रष्टाचारियों के काम को रोकने वालों को सरकार जेल में बंद रखना चाहती है. झूठी बात बनाकर कोर्ट का उपयोग कर अन्याय ढहाने का काम सरकार कर रही है. यह बहुत दर्दनाक है.’

उन्होंने कहा, ‘न्याय पर चलने वाले लोगों को प्रताड़ित करके नर्मदा घाटी में पुनर्वास के नाम पर जो हो रहा है, वह अब सहन नहीं किया जाएगा. मैं नर्मदा घाटी में जाऊंगी, घाटी मेरा घर है.’ वहीं आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में सरकार ने जो पुनर्वास के कामों का जवाब दाखिल किया है, उसमें करोड़ों रुपए के काम बाकी हैं.

मेधा ने बताया कि विस्थापितों के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी. राज्य सरकार 31 जुलाई तक सरदार सरोवर से प्रभावित गांवों को खाली नहीं कर पाई, क्योंकि सरकार भी जानती है कि इतना अत्याचार ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ साबित होगा. इसलिए एक प्रकार की जीत लोगों ने हासिल की है.’

पाटकर के खिलाफ धार जिले के कुक्षी पुलिस थाने में भारतीय दंड विधान के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन्हें इस मामले में नौ अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. मामले में आरोप है कि मेधा और उनके साथियों ने एक अगस्त को प्रदेश सरकार और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के अधिकारियों को ढाई घंटे तक बंधक बना लिया था, जिससे सरकारी काम में बाधा पहुंची थी.

मेधा अपने कुछ साथियों के साथ चिखल्दा गांव में आमरण अनशन पर बैठी थीं और सरदार सरोवर बांध के विस्थपितों के उचित पुनर्वास की मांग कर रही थीं.