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मैक्स विवाद: जांच टीम में IMA के दो सदस्य शामिल

जांच अधिकारियों ने अस्पताल को नोटिस भेजकर कहा है कि वह जांच में शामिल हो और मामले से जुड़े दस्तावेज साझा करे

Bhasha

दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से एक जीवित बच्चे को मृत बताने के मामले की जांच के लिए मैक्स हेल्थकेयर की ओर से गठित टीम में इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) के दो विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है. अस्पताल ने रविवार को यह जानकारी दी.

यह मामला 30 नवंबर को जुड़वां बच्चों (लड़का और लड़की) के जन्म से जुड़ा है. अस्पताल ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया था. जबकि लड़का बाद में जीवित पाया गया.


मैक्स हेल्थकेयर ने एक बयान में कहा, 'जुड़वां बच्चों के समय से पहले (23 सप्ताह/5 महीना) जन्म और फिर शालीमार स्थित मैक्स अस्पताल की ओर से उन्हें मृत घोषित किए जाने से जुड़े हालात एवं प्रोटोकॉलों की छानबीन के लिए मैक्स हेल्थकेयर ने जिस विशेषज्ञ समूह का गठन किया है, वह अपनी विस्तृत जांच पूरी करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है.'

बयान के मुताबिक, 'आईएमए की नैतिक मूल्यों वाली समिति के अध्यक्ष डॉ अरुण अग्रवाल और आईएमए के संयुक्त सचिव रमेश दत्ता को समूह में बाह्य विशेषज्ञ के तौर पर शामिल किया गया है.' मैक्स हेल्थकेयर ने बताया कि जांच सोमवार तक पूरी होने की संभावना है और इसके बाद नतीजे साझा किए जाएंगे.

मैक्स के अधिकारियों ने एक दिसंबर को मामले की जांच के आदेश दिए थे और कहा था कि संबंधित डॉक्टर से 'तत्काल छुट्टी पर जाने के लिए कहा गया है.' दिल्ली सरकार ने भी इस चौंकाने वाली घटना की जांच के आदेश दिए थे.

बीते 30 नवंबर की सुबह मैक्स अस्पताल में वर्षा नाम की एक महिला ने जुड़वां बच्चों (एक लड़का और एक लड़की) को जन्म दिया था. बच्ची मृत ही पैदा हुई थी.

पुलिस ने बताया कि वर्षा को पश्चिम विहार के एक नर्सिंग होम से अस्पताल ले जाया गया था. अस्पताल ने बच्चे के माता-पिता को पहले बताया कि दोनों बच्चे मृत पैदा हुए हैं और उन्हें दोनों बच्चे एक पोलिथिन बैग में सौंप दिए गए. लेकिन उनके अंतिम-संस्कार से ठीक पहले परिवार ने पाया कि एक बच्चा जीवित है.

नर्सिंग होम में बच्चे का इलाज चल रहा है

बच्चे के पिता ने दो दिन पहले पत्रकारों को बताया था, 'हम बच्चे को तुरंत पीतमपुरा के एक नर्सिंग होम ले गए, जहां वह जीवन रक्षक प्रणाली पर है.' पुलिस ने बताया कि नर्सिंग होम में बच्चे का इलाज चल रहा है और उसके जीवित बचने की संभावना 40 फीसदी है.

पुलिस दोनों डॉक्टरों के खिलाफ पहले ही गैर-इरादतन हत्या की कोशिश का मामला दर्ज कर चुकी है.

इस बीच, पुलिस ने मैक्स अस्पताल के अधिकारियों को नोटिस भेजकर उन्हें जांच में शामिल होने को कहा है.

जांच अधिकारियों ने अस्पताल को नोटिस भेजकर कहा है कि वह जांच में शामिल हो और मामले से जुड़े दस्तावेज साझा करे.

बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार निजी मेडिकल सुविधाओं की आजादी को अहमियत देती है और उनके कामकाज में दखल का सरकार का कोई इरादा नहीं है.