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काटजू ने बताई वजह, आखिर क्यों आलोक वर्मा को नहीं मिला 'सफाई' देने का मौका

काटजू ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर उन छह कारणों के बारे में बताया है, जिसकी वजह से वर्मा को उनके पद से हटाया गया और उन्हें बोलने का मौका भी नहीं दिया गया

FP Staff

आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाए जाने को लेकर काफी विवाद मचा हुआ है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने बताया है कि, आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई हाई पावर तीन सदस्यीय चयन समिति की बैठक में वर्मा को हटाने और उन्हें अपनी सफाई देने का मौका न देने का फैसला क्यों लिया गया था.

जब कमेटी ने आलोक वर्मा को हटाया, तो मेरे पास बहुत से लोगों के फोन आने शुरू हो गए और उन लोगों ने जानना चाहा आखिर क्यों आलोक वर्मा को अपनी सफाई रखने का मौका नहीं दिया गया. इस कारण मैंने जस्टिस सिकरी को से फोन पर बात की और उनसे जाना कि आखिर वो कारण क्या थे और मैं उनकी अनुमति मिलने के बाद ही इन बातों को फेसबुक पर पोस्ट कर रहा हूं.


काटजू ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर उन छह कारणों के बारे में बताया है, जिसकी वजह से वर्मा को उनके पद से हटाया गया और उन्हें बोलने का मौका भी नहीं दिया गया. उन्होंने तीन सदस्यीय कमिटी के सदस्य जस्टिस एके सिकरी से इस बारे में फोन पर बात की और फिर कारण फेसबुक पर पोस्ट किए. जस्टिस सीकरी को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने प्रतिनिधि के रूप में भेजा था. ये फैसला 2:1 से बहुमत से लिया गया, जिसमें खड़गे ने वर्मा को हटाए जाने का विरोध किया था.

- सीवीसी को आलोक वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच में प्रथम दृष्टया कुछ एविडेंस और कंक्लूजंस मिले थे.

- प्रथम दृष्टया निष्कर्षों को दर्ज करने से पहले सीवीसी ने वर्मा सुनवाई का मौका दिया था.

- इसके बाद जस्टिस सीकरी का मत था कि जब तक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच पूरी नहीं होती, तब तक उन्हें सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटा दिया जाए. उनकी रैंक के समान की ही किसी दूसरी रैंक पर उनका ट्रांसफर कर दिया जाए.

- कुछ लोगों को लग रहा है कि वर्मा को बर्खास्त किया गया है. लेकिन ऐसा नहीं है, उन्हें न ही बर्खास्त किया गया है न ही निलंबित किया गया है. उसी रैंक और सैलरी पर उनका ट्रांसफर हुआ है.

- जहां तक सुनवाई न करने की बात है तो बिना किसी सुनवाई के पद से नहीं हटाया जा सकता लेकिन निलंबित किया जा सकता है. ये एक स्थापित सिद्धांत है कि किसी आरोपी को सुनवाई का मौका दिए बिना निलंबित किया जा सकता है. और उसके निलंबित रहने के दौरान भी जांच जारी रहना आम बात है.

- आलोक वर्मा को तो निलंबित भी नहीं किया गया है उनका सिर्फ ट्रांसफर किया गया है. वो जिस पद पर थे, उसी की बराबरी वाली पोस्ट पर उन्हें ट्रांसफर किया गया है.