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आम और चीकू रोक सकते हैं भारत में बुलेट ट्रेन की रफ्तार!

महाराष्ट्र में आम और चिकू की पैदावार करने वाले किसान बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन देने को राजी नहीं है, जिस कारण इस प्रोजेक्ट में देरी हो रही है

FP Staff

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना इन दिनों आम और सपोटा (चीकू) के कारण अधर में लटक गई है. महाराष्ट्र में आम और चीकू उगाने वाले किसानों को स्थानीय नेताओं का समर्थन है. ये किसान बुलेट परियोजना के लिए अपनी जमीन देने के तैयार नहीं हैं.

इन किसानों के विरोध के कारण सरकार जमीन अधिग्रहण नहीं कर पा रही है. जापान के सहयोग से बनने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अधिग्रहण की सारी औपचारिकता इस साल दिसंबर तक पूरी होनी है. लेकिन किसानों के विरोध का कोई हल नहीं निकाला गया तो यह काम पूरा होना मुश्किल हो जाएगा.


क्या है आम और चीकू की मुश्किल?

आम और चीकू की खेती करने वाले किसान जिस जमीन को सरकार के हवाले नहीं करना चाहते वह करीब 108 किलो मीटर लंबी है. यह पूरे बुलेट ट्रेन गलियारे का पांचवां हिस्सा है. यह बुलेट ट्रेन परियोजना पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात के सबसे बड़े वाणिज्यिक शहर अहमदाबाद से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को जोड़ेगी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सरकार ने किसानों से जमीन खरीदने के लिए बाजार मूल्य से 25 प्रतिशत ज्यादा रकम देने की पेशकश की है. इसके साथ ही पुनर्वास के लिए भूमि मूल्य का 5 लाख या 50 प्रतिशत (दोनों में से जो अधिक हो) की राशि देने की भी योजना है.

भारतीय रेल के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) अगले महीने ही परियोजना की समीक्षा करने वाली है. अगर समय पर बुलेट ट्रेन के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाता है तो जेआईसीए द्वारा सॉफ्ट लोन मिलने में देरी होगी.

जापान की चिंताओं को दूर करने के लिए भारतीय अधिकारियों ने टोक्यो में परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ इस महीने एक बैठक करने की बात कही है. भारत सरकार चाहती है कि बुलेट ट्रेन परियोजना को 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले पूरा कर लिया जाए.