महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बुधवार को उस फिल्म निर्माता-कार्यकर्ता की याचिका का समर्थन किया जिन्होंने कहा है कि भारत में लड़कों के साथ यौन दुर्व्यवहार एक ऐसी वास्तवितकता है जिसे नजरअंदाज किया जाता है. मेनका ने याचिका के जवाब में कहा कि बाल यौन शोषण के शिकार लड़कों पर इस तरह का पहला अध्ययन कराया जाएगा.
मेनका ने फिल्म निर्माता इंसिया दरीवाला की चेंज डॉट ओआरजी पर एक याचिका के अपने जवाब में कहा, ‘बाल यौन शोषण का सबसे अधिक नजरअंदाज किए जाने वाला वर्ग पीड़ित लड़कों का है. बाल यौन शोषण में लैंगिक आधार पर कोई भेद नहीं है. बचपन में यौन शोषण का शिकार होने वाले लड़के जीवन भर गुमसुम रहते हैं क्योंकि इसके पीछे कई भ्रांतियां और शर्म है. यह गंभीर समस्या है और इससे निपटने की जरुरत है.’
मंत्री ने कहा कि याचिका के बाद उन्होंने पिछले साल सितंबर में राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग (एनसीपीसीआर) को पीड़ित लड़कों के मुद्दे पर विचार करने के निर्देश दिए थे. एनसीपीसीआर ने इस संबंध में पिछले साल एक सम्मेलन आयोजित कराया था.
उन्होंने कहा, ‘सम्मेलन से उठी सिफारिशों के अनुसार सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया है कि बाल यौन शोषण के पीड़ितों के लिए मौजूदा योजना में संशोधन होना चाहिए, ताकि कुकर्म या यौन शोषण का सामना करने वाले लड़कों को भी मुआवजा मिल सकें.’ इस सम्मेलन के दौरान एनसीपीसीआर ने देशभर में यौन शोषण के शिकार 160 लड़कों के साथ किए गए दरीवाला के प्रारंभिक शोध का अध्ययन किया.