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'दमन से नहीं दबेंगे किसान, राष्ट्रव्यापी होगा मंदसौर का किसान आंदोलन'

राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मंदसौर में किसानों समेत 1500 लोगों की गिरफ्तारी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है

Debobrat Ghose

राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मंदसौर में किसानों समेत 1500 लोगों की गिरफ्तारी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. इन्हें गुरुवार को तब गिरफ्तार किया गया, जब 6 जून को मध्यप्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग से 6 किसानों की मौत और दमन के एक महीना पूरा होने पर ये लोग रैली के लिए इकट्ठा हो रहे थे. आंदोलनकारियों ने 'शिवराज सिंह चौहान सरकार के कदम को अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और तानाशाही कदम' करार दिया है.

मंदसौर से मिली सूत्रों की जानकारी के मुताबिक राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता और किसान समेत करीब 1500 लोगों को मंदसौर पुलिस ने गुरुवार को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया जब वे पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देने पिपलिया मंडी जा रहे थे.


मंदसौर के एक पुलिस अधिकारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, 'हमें ऊपर से आदेश मिले थे कि किसानों को पिपलिया मंडी में रैली करने से रोकना है और इसकी सूचना समय रहते दे दी गई थी. कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक मीटिंग के लिए किसी को भी अनुमति नहीं दी गई थी. लेकिन, जब बड़ी संख्या में लोग रैली के रूप में इकट्ठा हुए और घेराबंदी तोड़ने की कोशिश की, तो हमें उनको गिरफ्तार करना पड़ा और उस स्थल से उन्हें दूर ले जाना पड़ा.'

पुलिस ने किसान मुक्ति रैली रोक दी. 8 बार सांसद रहे सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह, पूर्व सांसद सुभाषिनी अली, सांसद मेधा पाटकर और महाराष्ट्र के स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेताओं राजू शेट्टी, योगेन्द्र यादव, सीपीएम सेंट्रल कमेटी सदस्य बादल सरोज, सीपीएम समर्थित एमपी किसान सभा के अध्यक्ष जसविन्दर सिंह समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया.

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और जय किसान आंदोलन के संयोजक योगेन्द्र यादव ने फ़र्स्टपोस्ट से कहा, 'हमारी रैली बुध गांव से शुरू हुई और पिपलिया मंडी की ओर जा रही थी. हमारा मकसद उन किसानों को एक शोकसभा कर श्रद्धांजलि देना था जो पुलिस फायरिंग में मारे गए थे. उसके बाद किसानों के साथ शांतिपूर्ण बैठक करनी थी. हम सभी को हिरासत में ले लिया गया और पुलिस हमें किसी अज्ञात स्थान की ओर ले जा रही है.'

पुलिस किसानों को और रैली में भाग लेने वाले सभी लोगों को दालोद के कृषि उपज मंडी ले गई, जो मंदसौर से 30 किमी दूर है जहां मीटिंग हुई थी. दालोद से बादल सरोज ने फ़र्स्टपोस्ट से कहा, 'हमें दालोद कृषि उपज मंडी में हिरासत में रखा गया है. अगर शिवराज सिंह सरकार को यही सब करना था, तो उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए था. इससे देश को सरकार की दमनकारी तरीकों का पता चलता. सरकार दबाव में है और इस आंदोलन को दबाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.'

सरोज ने आगे कहा, 'हम इस रैली को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. जो शुरू हो चुका है और सबसे पहले जंतर मंतर पर 18 जुलाई को हम जमा होंगे. और आखिरी रैली 2 अक्टूबर को चम्पारण में होगी. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने पूरे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से व्यवहार किया है. बीजेपी सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है.'

किसानों ने आंदोलन आगे बढ़ाने की शपथ ली

रैली करने और पिपलिया मंडी में किसानों को श्रद्धांजलि देने में विफल रहने के बावजूद किसान मुक्ति रैली को जबरदस्त समर्थन मिला है और इससे देश के स्तर पर किसानों की परेशानी के बारे में जागरुकता आएगी. किसानों और कार्यकर्ताओं ने किसान आंदोलन को देश भर में और अधिक आक्रामकता के साथ आगे बढ़ाने की प्रतिज्ञा की है.

सीपीएम समर्थित एमपी किसान सभा के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने कहा है, 'अगर शिवराज सिंह सरकार सोचती है कि वह किसानों को गिरफ्तार कर उनकी आवाज को दबा सकती है तो यह उनकी भूल है. हम इस आंदोलन को और मजबूत तरीके से पूरे देश में आगे ले जाएंगे. एमपी सरकार जून में किसान आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करने में विफल रही है. किसानों का अब भी मंडियों में शोषण हो रहा है.'

मध्यप्रदेश के मंदसौर में 6 जून को किसान आंदोलन के दौरान 6 किसानों की पुलिस फायरिंग और दमन में मौत की घटना के एक महीना बीतने पर किसान मुक्ति रैली का आयोजन किया गया. कुछ राष्ट्रीय नेताओं के अलावा 162 किसानों के निकायों और 18 राज्यों के हजारों किसान मंदसौर में इकट्ठा हुए, जिन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसान आंदोलन के दौरान किए गए उनके वायदों की याद दिलाई जिसके बाद आंदोलन का शांतिपूर्ण समापन हुआ था. मगर, ऐसा लगता है कि वे उसके बाद उन्हें भूल गए.