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मन की बातः गरीबों, आदिवासियों को हक दिलाने के लिए बना है संविधान

पॉजिटिव इंडिया का मंत्र देते हुए कहा कि आने वाले समय में पॉजिटिव इंडिया से नए साल की शुरुआत करें

FP Staff

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 38वीं बार 'मन की बात' की. अपने इस मासिक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि विश्व ने अब आतंकवाद के विध्वंसकारी पहलुओं को समझा है और दुनिया के देश इसे पराजित करने के लिए साथ आए हैं.

उन्होंने संविधान दिवस की चर्चा करते हुए बाबा साहब अांबेडकर को याद किया. उन्होंने कहा कि नया भारत बनाना हमारी जिम्मेदारी है. गरीब, दलित, पिछड़ा, वंचित, आदिवासी, महिला सभी देशवासियों की रक्षा के लिए हमारा संविधान बनाया गया है.


आज का दिन संविधान सभा के सदस्यों को याद करने का दिन है. तीन साल तक चले डिबेट को पढ़ने के बाद लगता है कि उनके अंदर देश के लिए कितना समर्पण था.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा संविधान दिवस 26/11 है, लेकिन यह देश कैसे भूल सकता है कि आज ही के दिन आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला बोल दिया था. इस घटना में शहीद हुए जवान और जान गंवाने वाले लोगों को नमन करता हूं. उन्होंने कहा कि दुनिया की हर सरकार आतंकवाद को बड़ी चुनौती के रूप में देख रही है.

पॉजिटिव इंडिया का मंत्र देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले समय में पॉजिटिव इंडिया से नए साल की शुरुआत करें.

एक बच्चे ने डिजिटल इंडिया का जिक्र करते हुए कहा था कि देश में शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है. एक बच्चे ने लिखा कि स्कूल घर से 5 किमी दूर है. ऐसे में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन मुझे अच्छा लगा कि अखबार ने इन चिट्ठियों को छापा और यह मुझ तक पहुंचा. मुझे उन्हें पढ़ने का अवसर मिला.

शिवाजी को याद किए बिना नौसेना को याद नहीं किया जा सकता 

'नेवी डे' का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि हमारी सभ्यता का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है. समुद्र और महासागर शुरु से हमारे गेटवे रहे हैं. 800-900 साल पहले चोल नेवी देश की सबसे शक्तिशाली नेवी मानी जाती थी. इसमें महिलाएं भी थीं.

दुनिया की नेवी ने चोलों से ही प्रेरणा लीं. शिवाजी को याद किए बिना नौसेना का जिक्र नहीं किया जा सकता है. समुद्री किलों की सुरक्षा मराठी नेवी करती थी. गोवा का मुक्ति संग्राम हो या भारत-पाकिस्तान युद्ध, हम नौसेना को भूल नहीं सकते हैं.

उन्होंने कहा कि अगर फसल की चिंता करनी है तो पहले धरती का ख्याल करना होगा. धरती को मां समझना होगा. समय आ गया है कि इस मां-बेटे के संबंध को फिर से जागृत किया जाए.