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मालगाड़ी ने साढ़े तीन साल में तय की 1400 किमी की दूरी

मालगाड़ी के एक वैगन को विशाखापटनम से बस्ती तक की 1400 किलोमीटर की दूरी तय करने में 3.5 साल लग गए.

FP Staff

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में रेलवे विभाग का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. मालगाड़ी के एक वैगन को विशाखापटनम से बस्ती तक की 1400 किलोमीटर की दूरी तय करने में 3.5 साल लग गए. नवंबर 2014 में चला यह वैगन गुरुवार यानी 25 जुलाई को बस्ती रेलवे स्टेशन पहुंचा. जब वैगन को चेक किया गया तो पता चला की 2014 में यह वैगन विशाखापटनम से बुक किया गया था. 3.5 साल बाद वैगन के पहुंचने पर रेल अधिकारी आश्चर्य चकित हो गए.

बता दें इंडियन पोटास कंपनी ने खाद लदा वैगन नम्बर 107462 विशाखापटनम पोर्ट से मेसर्स रामचन्द्र गुप्ता बस्ती की दुकान के लिए बुक किया था. वैगन बुक करने के बाद जब कई महीना बीत गया और खाद नहीं पहुंचा तो रेलवे को दर्जनों पत्र लिखा गया. बावजूद इसके 3.5 साल में रेलवे लापता वैगन का पता नहीं लगा सका. 3.5 साल से खाद लदा वैगन पूरे देश में इधर से उधर घूमता रहा. सैकड़ों स्टेशनों से गुजरने के वादजूद रेलवे को इसकी भनक तक नहीं लगी. 3.5 साल तक लाखों की खाद वैगन में इधर से उधर घूमती रही. रेलवे के मुताबिक 8 से 10 लाख रुपए की खाद का नुकसान हुआ है.


फिलहाल खाद को रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर उतार दिया गया है. खाद खराब होने की वजह से दुकानदार ने उसे लेने से मना कर दिया है. खाद के मालिक मनोज कुमार गुप्ता का कहना है कि रेलवे की बड़ी गलती है. जो रैक 2014 में बुक कराई गई, वह 3.5 साल बाद अब आ रही है. वैगन के मिसिंग होने पर रेलवे को रिमाइंडर दिया गया था.बावजूद इसके रेलवे 3.5 साल तक वैगन का पता नहीं लगा पाई और अब साढ़े तीन साल बाद वैगन विशाखापटनम से चल कर बस्ती पहुंचा है. मनोज का कहना है कि अब अससेस्मेंट बेसिस पर रेलवे से माल लिया जाएगा.

उधर इस मामले पर सीपीआरओ पूर्वोत्तर रेलवे संजय यादव का कहना है कि कभी-कभी कोई वैगन सिक हो जाते हैं, तब उसे मालगाड़ी से हटा दिया जाता है. फिट होने पर दुबारा गंतव्य तक भेजा जाता है. शायद वहीं कोई भूल या चूक हो गई. लेकिन इस वैगन में लदे माल को लेकर कोई क्लेम सामने नहीं आने से भी इतना वक्त लग गया.

(न्यूज18 के लिए हिफजुर रहमान की रिपोर्ट)