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जेएनयू के एमए सोशियोलॉजी की प्रवेश परीक्षा में बड़ी धांधली उजागर

एमए सोशियोलॉजी की प्रवेश परीक्षा के उत्तर-पत्रों में दिए गए नंबर और मेरिट लिस्ट बनाने के लिए दिए गए फाइनल नंबर में काफी अंतर है

FP Staff

जेएनयू में की प्रवेश परीक्षा में एक बड़ी धांधली सामने आई है. यह धांधली पिछले साल यानी 2016-17 की एमए सोशियोलॉजी की प्रवेश परीक्षा में पकड़ी गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक एमए सोशियोलॉजी की प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए कई छात्रों के उत्तर पत्र में दिए गए नंबर और मेरिट लिस्ट बनाने के लिए दिए गए फाइनल नंबर में काफी अंतर है. यह अंतर प्रवेश परीक्षा में एक बड़ी धांधली का संकेत है.

जेएनयू ने इस गड़बड़ी की जांच के लिए 3 सदस्यों की एक समिति भी बनाई है. हालांकि अभी तक यह समिति इस बात का पता नहीं लगा पाई है कि नंबरों में गड़बड़ी किस तरीके से की गई है और इसे करने का कोई खास उद्देश्य था या नहीं.


जेएनयू के एडमिशन ब्रांच ने यह फाइनल नंबर और प्रवेश परीक्षा की कॉपी में दिए गए नंबर को एक-दूसरे से मिलाकर देखा तो यह पाया कि 22 कॉपियों में दिए गए नंबरों से, फाइनल स्कोरशीट में 50 नंबर तक की बढ़ोतरी कर दी गई और इसी तरह 9 कॉपियों में मिले नंबरों में 18 नंबर तक की कटौती की गई है.

ऐसे पकड़ी गई गलती 

जेएनयू के एक अधिकारी ने बताया कि ‘यह गड़बड़ी तब पता चली जब एक उत्तर पत्र में दिया गया नंबर फाइनल स्कोरशीट से गायब था. इसका मिलान करने के लिए एडमिशन ब्रांच ने एमए सोशियोलॉजी की प्रवेश परीक्षा की कॉपियां निकाली. और जब फाइनल स्कोरशीट के नंबर को उत्तरपत्र में दिए गए नंबर से मिलाया गया तो यह पाया गया कि 31 उत्तरपत्रों में दिए गए नंबर फाइनल स्कोरशीट में दिए गए नंबर से अलग हैं. इन नंबरों को या तो बढ़ाया गया है या घटाया गया है.’

इसके बाद इस गड़बड़ी की सूचना तुरंत स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन की चेयरपर्सन और चीफ प्रॉक्टर विभा टंडन को दी गई. इसके वो एडमिशन ब्रांच के असिस्टेंट रजिस्ट्रार और एक अन्य फैकल्टी मेंबर के साथ एडमिशन ब्रांच में जाकर इस मामले की जांच की. जांच में इन्होंने इस गड़बड़ी की पुष्टि की.

होगी कड़ी कार्रवाई 

2016-17 के प्रवेश-परीक्षा की कॉपियों की जांच सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ सोशल सिस्टम के शिक्षकों की आठ सदस्य की समिति ने की थी. टंडन ने कहा कि ‘जांच पैनल अभी इस बात का पता नहीं लगा पाई है कि यह गड़बड़ी जानबूझकर की गई है या भूलवश हुई है. लेकिन इसकी गड़बड़ी की जिम्मेदारी जरूर तय की जाएगी और इसके जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई भी की जाएगी.’ पिछले साल एमए सोशियोलॉजी की प्रवेश परीक्षा में कुल 1,834 छात्र शामिल हुए थे.

कुछ सूत्रों ने यह भी बताया है कि इस कॉपी जांचने वालों की आठ शिक्षकों की कमिटी में एक ऐसे भी प्रोफेसर थे, जिन्हें 2015 में यौन-उत्पीड़न के आरोप में जेएनयू से बर्खास्त भी किया जा चुका है. हालांकि अदालत द्वारा जेएनयू के इस फैसले पर स्टे लगाने के बाद वह प्रोफेसर अभी भी सोशियोलॉजी सेंटर में पढ़ा रहे है. सूत्रों ने यह भी बताया है कि ये प्रोफेसर 2015-16 की प्रवेश परीक्षा की कॉपियों को जांचने वाली समिति में थे. इस वजह से जेएनयू प्रशासन इस साल की प्रवेश-परीक्षा की भी जांच कर सकता है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि इस गड़बड़ी के बाद एमए सोशियोलॉजी में अभी पढ़ाई कर रहे छात्रों के भविष्य पर भी खतरा मंडरा सकता है. इन छात्रों के एमए प्रथम वर्ष की पढ़ाई इसी सेमेस्टर खत्म हुई है और इस साल वे दूसरे वर्ष में रजिस्ट्रेशन लेंगे. अगर किसी छात्र की इस गड़बड़ी की वजह से पिछले साल जेएनयू में एडमिशन हुआ हो तो प्रशासन उस पर भी कार्रवाई कर सकता है.