view all

'बापू की हत्या गोडसे ने ही की थी, दोबारा जांच की जरूरत नहीं'

भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी अमरेंद्र शरण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है

FP Staff

महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच नहीं होगी. भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी अमरेंद्र शरण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, बापू की हत्या के मामले की नए सिरे से जांच नहीं होगी. एमिकस क्यूरी के मुताबिक, महात्मा गांधी हत्याकांड में जिस बुलेट थ्योरी की बात होती है, उसके कोई सबूत नहीं मिले हैं.


क्या है चौथी गोली की थ्योरी?

1948 में हुए महात्मा गांधी हत्याकांड को लेकर एक एनजीओ 'अभिनव भारत' के पंकज फड़णीस ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर की थी. इसमें दावा किया गया है कि बापू की हत्या एक रहस्यमय शख्स ने की है. उस शख्स ने 'चौथी गोली' चलाई थी.

कभी पकड़ा नहीं गया रहस्यमयी शख्स

पीआईएल में दावा किया गया कि बापू की हत्या के आरोप में नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार किया गया, लेकिन ये रहस्यमय शख्स कभी पकड़ा नहीं गया. इस पीआईएल पर कोई विचार करने से पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने 7 अक्टूबर 2017 को अमरेंद्र शरण को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था. शरण को बेंच ने निर्देश दिया था कि वो महात्मा गांधी हत्याकांड से जुड़े दस्तावेजों की जांच करें.

कैसे हुई थी बापू की हत्या?

बापू की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गई थी. यहां बापू रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे. 30 जनवरी 1948 की शाम को जब वो प्रार्थना के लिए जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर तीन गोलियां दाग दीं.

8 लोगों पर थे हत्या की साजिश रचने के आरोप

इस मुकदमे में नाथूराम गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया था. इन आठ लोगों में से तीन आरोपियों शंकर किस्तैया, दिगम्बर बड़गे, वीर सावरकर को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया. शंकर किस्तैया को हाईकोर्ट में अपील करने पर माफ कर दिया गया. वीर सावरकर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म से मुक्त कर दिया.

अदालत ने 10 फरवरी, 1949 को गोडसे और आप्टे को मौत की सजा सुनाई. पूर्वी पंजाब हाई कोर्ट द्वारा 21 जून, 1949 को गोडसे और आप्टे की मौत की सजा की पुष्टि के बाद दोनों को 15 नवंबर, 1949 को अंबाला जेल में फांसी दे दी गई थी.

(साभार न्यूज18)