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महाराष्ट्र में किसान कर्ज माफी स्कीम में धांधलीः पीएमओ ने बड़े अफसरों को किया तलब, मांगी रिपोर्ट

किसान कर्जमाफी मामले में फर्स्टपोस्ट की खबर पर अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया है

Sanjay Sawant

महाराष्ट्र में किसान कर्ज माफी का पहला दौर बुरी तरह से गड़बड़ा गया है. बैंक लाभार्थियों के खातों के मुताबिक सही आधार नंबर डालने में नाकाम रहे हैं. इसे देखते हुए चिंतित प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने राज्य के सीनियर अफसरों से बात की है और उनसे इस पूरी गड़बड़ी की रिपोर्ट देने के लिए कहा है.

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने फर्स्टपोस्ट को बताया, 'पीएमओ जानना चाहता है कि किन दिक्कतों के चलते किसानों के बैंक अकाउंट में पैसा रिलीज नहीं हो पा रहा है. बैंक किस तरह से आधार कार्ड के गलत आंकड़े मुहैया करा सकते हैं और ऐसा कैसे हुआ कि इस तरह के गलत आंकड़े राज्य के आईटी डिपार्टमेंट ने अपलोड कर दिए और इन आंकड़ों को क्रॉस-चेक क्यों नहीं किया गया था? लिस्ट में फर्जी किसानों के नाम कैसे शामिल हो गए और कर्ज माफी के प्रमाणपत्र बिना कर्ज माफी की रकम के जिक्र के कैसे बन गए?'


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पीएमो जानना चाहता था कि कैसे एक ही आधार कार्ड संख्या 180 से ज्यादा किसानों के बैंक खातों से लिंक हो गया. कैसे लाभार्थी किसानों के कई लोन काते गलत थे. ऑनलाइन डेटा भरने में क्या गलती हुई और किसान कर्ज माफी योजना का फिलहाल क्या स्टेट्स है.

सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र काडर के आईएएस अफसर श्रीकार केशव परदेसी, जो कि पीएमओ में बतौर डायरेक्टर प्रतिनियुक्ति पर हैं, ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (एग्रीकल्चर) विजय कुमार, प्रिंसिपल सेक्रेटरी (आईटी) विजय कुमार गौतम, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (कोऑपरेशन) सुखबीर सिंह संधू और मुख्यमंत्री कार्यालय के संबंधित अफसरों को कॉल किया.

विजय कुमार ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, 'मैंने पीएमओ को बताया कि मैं अकेला इस मामले को नहीं देख रहा हूं. मैंने पीएमओ को बताया कि राज्य के आईटी और कोऑपरेशन डिपार्टमेंट भी किसान लोन माफी स्कीम को देख रहे हैं.' विजय कुमार ने हालांकि इस बारे में ज्यादा ब्योरा देने से इनकार कर दिया. हालांकि, जब फर्स्टपोस्ट ने श्रीकार परदेसी को कॉल किया तो उन्होंने इस मसले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

प्रतीकात्मक तस्वीर

किसान के कर्ज माफ करने की योजना को लागू करने में हुई गड़बड़ी अब राज्य का एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है. विपक्षी पार्टियों ने इस नाकामी का ठीकरा राज्य सरकार के सिर फोड़ा है. एनसीपी चीफ शरद पवार ने फर्स्टपोस्ट को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि अगर सरकार लाभार्थियों के खातों को आधार नंबर से वेरिफाई करने पर जोर देने की बजाय पैसा सीधे किसानों के खातों में डाल देती तो यह योजना कहीं तेजी से पूरी हो जाती.

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फर्स्टपोस्ट के मंगलवार को इस योजना में गड़बड़ियों का खुलासा करने के बाद से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है. साउथ मुंबई में अपने सिल्वर ओक एस्टेट रेजिडेंस में फर्स्टपोस्ट को दिए इंटरव्यू में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने किसान कर्ज माफी योजना को लागू करने में हुई खामियों की जमकर आलोचना की.

पवार ने कहा, 'यूपीए शासन में हमने 71,000 करोड़ रुपए की देश की सबसे बड़ी कर्ज माफी योजना लागू की. उसमें से महाराष्ट्र को 2008-09 के दौरान कर्ज माफी के तौर पर 8,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम मिली. हमने इस स्कीम को आसान तरीके से लागू किया. हमने एक कमेटी गठित की और इसकी रिपोर्ट देने के बाद हमने बैंकों के साथ चर्चा की. हमने पैसा सीधे बैंकों में जमा करा दिया. हमने बैंकों से कहा कि वे डिफॉल्ट करने वाले किसानों की लिस्ट बनाएं और फिर हमने लोन माफ कर दिए. यह बेहद आसान रहा. लेकिन, बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार और खासतौर पर मुख्यमंत्री का बैंकों पर कोई भरोसा नहीं है. यह मेरे लिए काफी चौंकाने वाली चीज है.'

उन्होंने कहा, 'यह बैंकों का मामला नहीं है. फडणवीस का अपने विभाग और नौकरशाहों पर ही भरोसा नहीं है. वह अफसरों की एक समानांतर संस्था तैयार कर रहे हैं जो कि राज्य की बजाय केवल उनके लिए काम कर रही है. मैंने इस तरह के बचपने वाला मुख्यमंत्री अब तक नहीं देखा है.'

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर कांग्रेस लीडर पृथ्वीराज चाह्वाण ने गुरुवार को कहा कि इसकी जिम्मेदारी फडणवीस की है क्योंकि उन्होंने ही किसानों को कर्ज माफी योजना का लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने और आधार नंबर को अनिवार्य किया था.

एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में चाह्वाण ने फर्स्टपोस्ट को बताया, 'आधार को सरकार ने अनिवार्य किया न कि बैंकों ने. सरकार अपने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट को एकसाथ लाने में सफल नहीं रही है. मुख्यमंत्री की सोच यह है कि कर्ज माफी से केवल बैंकों को मदद मिलती है और ज्यादातर सहकारी बैंकों पर एनसीपी और कांग्रेस का नियंत्रण है.'

फर्स्टपोस्ट ने 273 लाभार्थी किसानों के नामों वाली एक लिस्ट की समीक्षा की है. यह लिस्ट 8.5 लाख एंट्रीज का हिस्सा है जिसे स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी को सबमिट किया गया था. यह कमेटी बैंकों की एक लॉबी है.

लिस्ट में करीब 35 बैंकों द्वारा जमा की गई प्रविष्टियों में गंभीर गड़बड़ियां हैं. इन बैंकों में निजी, सरकारी और जिला सहकारी बैंक शामिल हैं. इस लिस्ट को एसएलबीसी को जमा किया गया था.

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273 प्रविष्टियों में 10 में अंधाधुंध तरीके से तैयार किए गए आधार नंबरों को किसानों की कई प्रविष्टियों के लिए इस्तेमाल किया गया था. आंकड़ों के मुताबिक, जो कि फर्स्टपोस्ट के पास मौजूद हैं, संतोष जयराम शिंदे एक किसान हैं जिनका आधार नंबर 111111110157 है. दिलीप आनंद कुटे भी एक किसान हैं और इनका भी यही आधार नंबर 111111110157 है. ऐसा ही मामला दिलीप रामचंद्र कचले के साथ है.

इसी तरह से, बलवंत बंधु वजनारी, संग्राम वसंत चाह्वाण, केशव रंगराव चाह्वाण, सुमन विलासराव पाटिल, गणपतराव रामचंद्र पवार, चंद्रकांत वसंत याधव, जयवंत शामराव साटपे, संगीता हनमंत चाह्वाण और कई अन्य किसानों के आधार नंबर 100000000000 एकजैसे हैं. ये सब किसान देवेंद्र फडणवीस की किसान कर्ज माफी योजना का लाभ उठाना चाहते हैं. इस नंबर के लिए 177 प्रविष्टियां हैं. आधार नंबर 111111111111 45 प्रविष्टियों के लिए इस्तेमाल हुआ है. इस आधार नंबर वाले किसानों में काशीनाथ देशमुख, प्रकाश धोंडू मोरे, रंजीत खशाबा जाधव समेत अन्य नाम हैं.

कई मामलों में अलग-अलग लोन अकाउंट्स को एक किसान के लिए इस्तेमाल किया गया है. मिसाल के तौर पर, लोन अकाउंट नंबर में बीच में एक दशमलव है. ज्यादातर मामलों में सेविंग्स अकाउंट नंबर अलग हैं, हालांकि, कई मौकों पर एक ही किसान को कई कर्ज माफी के लिए लिस्ट कराया गया है, अक्सर इनमें लोन अकाउंट संख्या भी वही है.

ऐसे में, किसान जयवंत शामराव साटपे को अकाउंट 69 के तहत कर्ज माफी के लिए लिस्ट कराया गया है और इनका सेविंग बैंक अकाउंट नंबर 14905110003020 तीन बार, दो बार लोन अकाउंट 71 के तहत और सेविंग बैंक अकाउंट नंबर 14905110000204 के तहत कराया गया है. ये सभी प्रविष्टियां आधार नंबर 100000000000 के तहत की गई हैं. ऐसे में सवाल यह है कि एक ही किसान किस तरह से आठ बार लोन माफी के लिए योग्य हो सकता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

एक मामले में, किसान सुरेश बाउतीस लोपेस का अकाउंट नंबर ‘0’ है और इसमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ आधार नंबर 111111111111 है. एसएलबीसी के सूत्रों के मुताबिक, एक जैसे आधार और सेविंग्स बैंक अकाउंट नंबर वाले किसानों की संख्या बैंकों द्वारा राज्य सरकार को मुहैया कराई गई है और यह आंकड़ा लाखों में है. एसएलबीसी में मौजूद उच्च पदस्थ सूत्रों ने फर्स्टपोस्ट को बताया कि किसानों की इस तरह की लिस्ट राष्ट्रीयकृत बैंकों, जिला सहकारी बैंक और कमर्शियल बैंकों से सरकार को मिली है.