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महाराष्ट्र: आधार और तकनीकी गड़बड़झाले में फंसी किसानों की कर्जमाफी

महाराष्ट्र सरकार ने की थी कर्जमाफी की घोषणा, लेकिन गड़बड़ियों की वजह से परेशान किसान

Sanjay Sawant

महाराष्ट्र सरकार ने किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा की थी. लेकिन घोषणा के बाद अब तक किसानों को फंड नहीं मिले. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, वित्त मंत्री सुधीर मुंगतिवार, सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख और कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर, सभी बीजेपी के हैं. वे घोषणा को लागू करवा पाने में कामयाब नहीं हुए हैं.

पहले चरण में आठ लाख किसानों को इस घोषणा का लाभ मिला था. लेकिन डाटा की वजह से ये नंबर आधे रह जाते हैं. सूत्रों के मुताबिक जब शिवसेना के दिवाकर राओते और फुंडकर समेत कुछ लोगों ने इस बारे में पूछा कि किसानों को अभी तक पैसा क्यों नहीं दिया गया है, तो फडणवीस ने कहा कि यह तकनीकी मामला है.


दस्तावेजों में हैं गड़बड़ियां

लेकिन इस देरी के तार तकनीकी गलतियों से कहीं आगे जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में अनियमितता सामने आई है. फ़र्स्टपोस्ट के पास दस्तावेज से साफ होता है कि एक ही आधार नंबर कइयों के नाम पर दिखाई दे रहा है. कुछ जगहों पर एक ही नाम ज्यादा जगहों पर नजर आ रहे हैं.

स्टेट लेवल बैंकर्स कमिटी (एसएलबीसी) ने फडणवीस को बताया कि बैंकों से जो डाटा मिला है, उसमें गलतियों की भरमार है और वह पूरा नहीं है. सूत्रों के मुताबिक एसएलबीसी ने मुख्यमंत्री को देरी का यह कारण बताया है. फडणवीस ने बुधवार को आपात बैठक बुलाई. इसमें कैबिनेट के अलावा एसएलबीसी के अधिकारी भी थे.

56 लाख आवेदनों में बस 20 लाख काम के

महाराष्ट्र में लोन माफी स्कीम के तहत 56.59 लाख आवेदन पाए गए हैं. लेकिन आईटी अधिकारियों के मुताबिक सिर्फ 20 लाख अकाउंट ऑपरेशनल और योग्य हैं. आईटी अधिकारियों ने यह भी कहा कि एसएलबीसी से मिले डाटा में हर बैंक अकाउंट को सत्यापित करना मुश्किल हो रहा है.

बहुत से मामलों में मूलधन और ब्याज लोन अमाउंट के साथ मेल नहीं खा रहे. ज्यादातर मामलों में लोन माफी सार्टिफिकेट में दर्ज रकम लोन की रकम से ज्यादा है. कर्ज माफी मामले से जुड़े अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘पूरे डाटा न मिलने से हमारा काम बहुत मुश्किल हो गया है. मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारियों, एसएलबीसीसी अधिकारियों और कैबिनेट के साथ आपात बैठक बुलाई है.’

लोन माफी स्कीम की निकली हवा

18 अक्टूबर को फडणवीस ने घोषणा की थी कि 24,022 करोड़ की लोन माफी स्कीम के पहले चरण में चार हजार करोड़ रुपए जारी किए जा रहे हैं. फडणवीस ने कहा था कि आठ लाख से ज्यादा किसान पहले चरण में कवर किए जाएंगे. 4.62 लाख किसानों के करीब 3200 करोड़ रुपए माफ किए जाएंगे.

महाराष्ट्र सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया था कि किसानों के अकाउंट में गुरुवार से पैसे जमा किए जाएंगे. उन्होंने कहा था कि दिवाली की छुट्टियों की वजह से देरी हुई. देशमुख ने कहा कि यूपीए सरकार के समय 2008 में लोन माफी स्कीम आई थी. उस समय तमाम फर्जी अकाउंट में पैसे डाले गए थे. उन्होंने कहा था, ‘कोई नहीं जानता कि मुंबई में बांटे गए 287 करोड़ रुपए का किसे फायदा मिला.’

22 जून को बीजेपी सरकार ने घोषणा की थी कि उनकी लाई स्कीम से 89 लाख किसानों को फायदा पहुंचेगा और राज्य पर 34,022 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा. लेकिन इसके बाद 77.27 लाख आवेदन आए. जांच के बाद लाखों किसानों के नाम छंट गए, जिससे करदाताओं के करीब दस हजार करोड़ रुपए बचे.

फुंडकर ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि सरकार ने कर्जमाफी की रकम बांटने के लिए कोई टाइमलाइन नहीं बनाई है. लेकिन 30 नवंबर को डेडलाइन माना जा रहा था. फुंडकर ने कहा, ‘आईटी विभाग जल्दी ही तकनीकी गलतियों को दूर कर लेगा. हम अगले दो दिन में किसानों के बैंक अकाउंट में फंड जमा करना शुरू कर देंगे.’ आईटी विभाग के मुख्य सचिव वीके गौतम इस मामले में टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे.