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महाराष्ट्र किसान आंदोलन: पिछले 4 दिनों में 11 किसानों ने की खुदकुशी

महाराष्ट्र में किसानों के आंदोलन के बीच, एक और किसान ने खुदकुशी कर ली है.

FP Staff

महाराष्ट्र में किसानों के आंदोलन के बीच, एक और किसान ने खुदकुशी कर ली है. किसान के खुदकुशी की ये घटना राज्य के उस्मानाबाद जिले में सामने आई है. किसान संदीप शेलके कर्ज नहीं चुका पाने के कारण बेहद परेशान था. उस पर तीन लाख रुपए का कर्ज था. बीते चार दिनों में राज्य में कम से कम 11 किसान खुदकुशी कर चुके हैं.

इससे पहले महाराष्ट्र के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर के विधानसभा क्षेत्र अकोला में एक किसान प्रदिप गुंजल ने आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कि 32 वर्षीय किसान प्रदिप गुंजल पर बैंक का 50 हजार रुपये का कर्ज था. बैंक का कर्ज ना चुका पाने और फसल में घाटा होने के चलते प्रदिप परेशान था. कई कोशिशों के बावजूद बैंक का कर्ज न चुका पाने के कारण उसने खुदकुशी कर ली.


एक किसान का हताशा से भरा सुसाइट नोट

वहीं सोलापुर जिले में आत्महत्या करने वाले एक किसान ने अपने सुसाइड नोट में कथित तौर पर लिखा है कि जब तक मुख्यमंत्री उसके घर नहीं आते और उसकी मांगें पूरी नहीं करते, तब तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए. सोलापुर के कलेक्टर राजेंद्र भोंसले ने कहा कि 45 साल के धनाजी जाधव ने करमाला तहसील के वीत गांव स्थित अपने घर के पास एक पेड़ से लटककर फांसी लगा ली.

करमाला पुलिस के अनुसार जाधव ने अपने सुसाइड नोट में अपने मित्रों एवं संबंधियों से कहा, 'मैं एक किसान हूं, धनाजी चंद्रकांत जाधव. मैं आज आत्महत्या कर रहा हूं. मेरे शव को कृपया मेरे गांव ले जाएं और जब तक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यहां नहीं आते, तब तक मेरा अंतिम संस्कार नहीं करें. भोंसले ने कहा की किसान ने सुसाइड नोट में लिखा कि उसके शव का तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाए, जब तक मुख्यमंत्री उसके घर नहीं आते और किसानों की कर्ज माफी की घोषणा नहीं करते.

31 अक्टूबर तक कर्ज माफ करने का वादा किया

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में किसानों के पिछले एक सप्ताह से लगातार जारी विरोध प्रदर्शनों के कारण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को विपक्षी दलों और भाजपा की सहयोगी शिवसेना की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है. किसानों के प्रदर्शन के कारण कृषि उत्पादों की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है. फडणवीस ने हाल में एक बयान देकर 31 अक्टूबर तक कर्ज माफ करने का वादा किया था. लेकिन यह वादा आंदोलन कर रहे किसानों को शांत नहीं कर पाया. किसानों का आंदोलन अब भी जारी है.