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महाराष्ट्र: बैंकों की गड़बड़ी से बीच में ही न अटक जाए कर्जमाफी योजना

देवेंद्र फडणवीस सरकार ने किसानों के लिए 34000 करोड़ के कर्जमाफी की घोषणा की थी

Sanjay Sawant

देवेंद्र फडणवीस सरकार ने किसानों के लिए 34000 करोड़ के कर्जमाफी की घोषणा की थी और इस कर्जमाफी से लाभ पा सकने वाले किसानों की जो सूची बैंकों ने सूबे की सरकार को सौंपी है उसमें बड़ी गंभीर गड़बड़ियां है जिससे कर्जमाफी की पूरी प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठ खड़े होते हैं.

कर्ज में डूबे किसानों को खुश करने के बीजेपी सरकार के इस बहु-प्रचारित पैकेज की राह में एक से ज्यादा बाधाएं आन खड़ी हैं. लाभार्थियों की सूची में कई गड़बड़ियां हैं, मिसाल के लिए एक ही आधार-नंबर पर अलग-अलग लोगों के ढेर सारे बैंक खाते दर्ज हैं, जो बैंक खाते मौजूद नहीं हैं उनका भी नाम दर्ज है, दिए गए कर्ज की खाता-संख्या का नंबर कई जगहों पर गलत दर्ज है और कई मामलों में एक ही नाम सूची में बार-बार लिखा मिलता है.


यूपी की सरकार ने किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा की थी और इसी तर्ज पर महाराष्ट्र की सरकार ने भी इस साल जून महीने में किसानों के लिए 34000 करोड़ रुपए की कर्जमाफी का ऐलान किया.

प्रतीकात्मक तस्वीर

बैंकों की एक लॉबी स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी(एसएलबीसी) ने सरकार को 8.5 लाख प्रविष्टियों(इंट्रिज) की एक कॉपी सौंपी है. फर्स्टपोस्ट ने इस सूची में दर्ज 273 लाभार्थी(कर्जदार किसानों) के नाम की जांच-परख की. एसएलबीसी को निजी बैंक, राजकीय बैंक तथा जिला सहकारी बैंकों समेत कुल 35 बैंकों ने जो प्रविष्टियां सौंपी हैं उनकी सूची की जांच से कई गंभीर विसंगतियां सामने आती हैं.

फर्स्टपोस्ट को हासिल आंकड़े के मुताबिक किसान संतोष जयराम शिंदे का आधार नंबर 111111110157 है. एक किसान दिलीप कुटे की आधार-संख्या भी 111111110157 है और इसी आधार-संख्या को किसान दिलीप रामचंद्र काचले के नाम के आगे भी दर्ज किया गया है.

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ठीक इसी तरह बलवंत बंधु वजनारी, संग्राम वसंत चवाण, केशव रंगरो चवाण, सुमव विलासराव पाटिल, गणपत राव रामचंद्र पवार, चंद्रकांत वसंत जाधव, जयंत शामराव सत्पे, संगीता हेमंत चवाण तथा अन्य कई किसानों के नाम जिन्हें देवेंद्र फडणवीस सरकार की कर्जमाफी योजना का लाभार्थी बताया गया है, एक ही आधार-संख्या 100000000000 से दर्ज हैं. दरअसल इस आधार-संख्या से 177 प्रविष्टियां हैं. आधार-संख्या 111111111111 पर 45 प्रविष्टियां दर्ज की गई हैं जैसे कि चंद्रकांत काशीनाथ देशमुख, प्रकाश धोंडू मोरे, रणजीत कशाबा जाधव आदि.

लेकिन बात इतनी भर नहीं कि यही एक विसंगति सूची से सबसे ज्यादा उभरकर सामने आती हो. फर्स्टपोस्ट ने जिन प्रविष्टियों की खोज-बीन की है उनके साथ ना तो किसी बैंक का नाम लिखा गया है ना ही यह दर्ज है कि नाम बैंक की किस शाखा से संबंधित है.

बहुत से मामले ऐसे भी हैं जिसमें एक ही व्यक्ति के नाम पर एक से ज्यादा लोन-अकाउंट दिखाए गए हैं. एक मामला ऐसा भी मिला जिसमें लोन-अकाउंट की संख्या के बीच में दशमलव का व्यवहार किया गया है. अधिकतर मामलों में बचत खाता संख्या अलग बतायी गई है लेकिन बारहा एक ही किसान का नाम कर्जमाफी के हवाले से एक से ज्यादा दफे एक ही लोन-अकाउंट के बिनाह पर दर्ज है.

मिसाल के लिए एक किसान जयंत शामराव सप्ते का नाम लोन-अकाउंट 69 तथा बचत खाता संख्या 14905110003020 से कर्जमाफी के लिए तीन दफे दर्ज है और लोन-अकाउंट 71 तथा बचत-खाता संख्या 14905110005972 से इस नाम को दो दफे दर्ज किया गया है जबकि लोन-अकाउंट 72 और बचत खाता संख्या 14905110000204 के हवाले से यह नाम तीन दफे दर्ज है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

फिर, ये सारी एंट्री आधार संख्या 100000000000 के आगे दर्ज कर ली गई हैं. इसका मतलब हुआ कि एक ही किसान को एक सूची में आठ दफे कर्जमाफी के काबिल करार दिया गया है.

एक मामला ऐसा भी देखने को मिला जिसमें किसान सुरेश बउटिस लोपेस की खाता संख्या '0' बतायी गई है और उसे आधार-संख्या 111111111111 के नाम पर दर्ज किया गया है जबकि यह आधार-संख्या सूची में सबसे ज्यादा दफे आयी है.

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एसएलबीसी के एक सूत्र के मुताबिक बैंकों ने सूबे की सरकार को जो सूची सौंपी है उसमें समान आधार-संख्या और बचत-खाता संख्या वाले किसानों की संख्या लाखों में है. दरअसल, एसएलबीसी में ऊंचे ओहदे पर मौजूद सूत्रों ने फर्स्टपोस्ट को बताया कि राष्ट्रीय बैंकों, जिला सहकारी बैकों तथा व्यावसायिक बैंकों ने भी सरकार को किसानों की ऐसी सूची सौंपी है जिसमें फर्जी आधार-संख्या और बचत-संख्या दर्ज है.

फर्स्टपोस्ट की टीम ने जिन प्रविष्टियों का अध्ययन किया वह तादाद में महाराष्ट्र सरकार को सौंपी गई कुल 8.5 लाख प्रविष्टियों का महज 0.032 प्रतिशत है.

यह बात तो अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है कि कर्जमाफी के नाम पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है या नहीं लेकिन एक तथ्य यह भी है कि जिन 273 प्रविष्टियों का फर्स्टपोस्ट ने अध्ययन किया वे 14 अक्तूबर 2017 से 17 अक्तूबर 2017 के बीच की हैं. इसके ठीक एक दिन पहले देवेंद्र फडणवीस सरकार ने कर्जमाफी के फैसले पर अमल की घोषणा की थी. इसके अंतर्गत जितनी जल्दी हो सके सूबे में 56 लाख परिवारों के 77 लाख किसानों को कर्जमाफी की राशि का वितरण किया जाना है और सूची के विसंगति के कारण सरकार के आगे एक नई चुनौती आन खड़ी हुई है.

एक सूत्र ने बताया कि कर्जमाफी की योजना के लिए सरकार को किसानों के ब्यौरे वाली सूची सौंपने की हड़बड़ी में ज्यादातर बैंकों ने गलत आंकड़े दर्ज कर लिए हैं.

एसएलबीसी के कोऑपरेशन और मार्केंटिंग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, 'जून के आखिरी हफ्ते में एसएलबीसी के पास कर्जमाफी के खाते में 89 लाख किसानों की प्रविष्टियां थीं और सरकार को इस एवज में 34,022 करोड़ रुपए का बोझ वहन करना पड़ता लेकिन बाद को अक्टूबर महीने में इन प्रविष्टियों में किसानों की संख्या घटकर 77 लाख ही रह गई.'

बीते 18 अक्तूबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार ने 8.5 लाख किसानों को 4000 करोड़ रुपए बांटने की मंजूरी दे दी है और कोशिश की जा रही है कि इस सहायता राशि का 75-80 फीसद हिस्सा किसानों को 15 नवंबर तक मिल जाए.

सूबे के मुख्यमंत्री ने कहा था, ' हमने 4000 करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं और इसमें 3200 करोड़ रुपए 4.62 लाख किसानों की कर्जमाफी के लिए हैं. शेष 800 करोड़ रुपए 3.78 लाख किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाएंगे जो अपने कर्ज की रकम समय से अदा कर रहे हैं.'

चूंकि बैंकों से एलएलबीसी को हासिल आंकड़े में गड़बड़ियां हैं और ये आंकड़े अधूरे हैं सो मुमकिन है कि फंड के जारी होने में अब देर हो. दरअसल फडणवीस ने बुधवार के दिन मंत्रिमंडल के सहयोगियों और एसएलबीसी के अधिकारियों की एक फौरी बैठक बुलाई थी.

इस बीच एसएलबीसी ने आंकड़े में गड़बड़ी और इस वजह से फंड के देर से जारी होने की कोई भी जिम्मेदारी लेने से इंकार किया है. जब फर्स्टपोस्ट ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पुणे में कार्यरत एलएलबीसी के वरिष्ठ अधिकारी से इस बाबत पूछा तो अधिकारी का जवाब था कि आंकड़े में गड़बड़ी बैंकों की तरफ से हुई है.

इस अधिकारी का कहना था, 'एसएलबीसी ने कोई भी आंकड़ा अपलोड नहीं किया. आंकड़े संबंधित जिला सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक तथा निजी बैंकों ने अपने सर्वर से अपलोड किए हैं. हमलोग तो सरकार और बैंकों के बीच में संपर्क का एक माध्यम भर हैं. हर बैंक को एक कोड दिया गया है.

इस कोड के सहारे बैंक अपनी शाखाओं से कर्जमाफी का लाभ हासिल करने वाले किसान के ब्यौरे अपलोड करते हैं. इसलिए, अगर अलग-अलग किसानों के नाम एक ही आधार-संख्या के आगे दर्ज कर लिया गया है तो इसमें एसएलबीसी की कोई भूमिका नहीं है.'