बिप्लब कुमार देब ने बताया कि महाभारत काल में इंटरनेट था. संजय के पास सैटेलाइट कम्युनिकेशन की टेक्नॉलजी उपलब्ध थी. इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर त्रिपुरा के इन नए नवेले मुख्यमंत्री के मजे ले लिए गए. अब बीजेपी नेता बिप्लब कुमार देब का कहना है कि छोटी सोच वाले लोग ही उनकी बात पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. ये लोग अपने देश को ही नीचा दिखा रहे हैं. इन सबको लगता है कि दूसरे देश ज्यादा समझदार हैं. बिप्लब देब की जनता से अपील है कि कि सत्य में विश्वास रखें. न खुद कोई गलतफहमी पालें और न पालने दें.
त्रिपुरा के सीएम को उनके राज्यपाल का भी समर्थन मिला है. त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय का कहना है कि सीएम बिप्लब देब का बयान सही है. दिव्यदृष्टि और पुष्पक विमान जैसी 'डिवाइस' बिना तकनीक के संभव नहीं थी.
इन सारी बातों को मानने या ना मानने की बात और है. इस पौराणिक नेट की थ्योरी से जुड़े कुछ सवाल हैं जो इसपर विश्वास करने वालों से पूछे जाने चाहिए. पहली बात है कि इंटरनेट एक ईको सिस्टम पर चलने वाला आविष्कार है. इसका मतलब हुआ कि इंटरनेट के लिए आपको कंप्यूटर चाहिए, केबिल चाहिए, बिजली चाहिए, सैटेलाइट चाहिए. सैटेलाइट को स्पेस में भेजने के लिए रॉकेट चाहिए. रॉकेट के लिए ईंधन चाहिए. पेट्रोल, डीज़ल और हाइड्रोजन चाहिए. प्लास्टिक, सिलिकॉन और दूसरी धातुएं चाहिए. अगर ये सब आविष्कार पहले ही हो चुके थे तो कहां गए. इनसे जुड़ा हुआ कुछ भी आज क्यों उपलब्ध नहीं है.