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HC की तल्ख टिप्पणी, अमीरों को लोन देने में अलग तरीके अपनाते हैं बैंक

कोर्ट ने कहा, गरीब लोगों के लिए बैंक अलग तरीके अपनाते हैं. उनसे सारे कागजात लेते हैं और पुख्ता जांच के बाद भी बड़ी मुश्किल से लोन पास करते हैं

FP Staff

मद्रास हाईकोर्ट ने बैंकों के लोन देने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट का कहना है कि बैंक अरबपति कारोबारियों और मध्यम वर्ग या गरीबों को लोन देने में अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. दरअसल मामला तमिलनाडु की एक इंजीनियरिंग छात्रा को एजुकेशन लोन देने का है जिसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणी की.

कोर्ट की तल्ख टिप्पणी


कोर्ट ने कहा, 'बैंक पहले तो बिना पर्याप्त सिक्योरिटी के अरबपति कारोबारियों को लोन दे देता है या लेटर्स ऑफ अंडरस्टैंडिंग (LoU) पास कर देता है. इसके बाद जब घोटाला सामने आता है और चीजें हाथ से निकल जाती हैं. बाद में बैंक लोन की रिकवरी के लिए एक्शन लेता है.' कोर्ट ने यह भी कहा कि मध्यम वर्ग व गरीब लोगों के लिए बैंक अलग तरीके अपनाते हैं. उनसे सारे कागजात लेते हैं और पुख्ता जांच के बाद भी बड़ी मुश्किल से लोन पास करते हैं.

जस्टिस केके शशिधरन और जस्टिस पी. वेलमुरुगन की डिविजन बेंच ने यह टिप्पणी इंडियन ओवरसीज बैंक (आईएबी) की ओर से एक सिंगल जज के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए की.

इंडियन ओवरसीज बैंक को तमिलनाडु में एक ओबीसी छात्रा को एजुकेशन लोन देने के लिए कहा गया था. बैंक ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. अपील को खारिज करते हुए कोर्ट ने गरीब छात्रा को एजुकेशन लोन देने से इनकार करने पर बैंक पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोंका है.

क्या कहा कोर्ट ने?

जजों ने कहा कि बैंक केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व के निर्देशों को लेकर गंभीर नहीं हैं. आरबीआई और केंद्र सरकार ने बैंकों को गरीब छात्रों को एजुकेशन लोन देकर उनकी मदद करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा, 'बैंक ऐसा न करके निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं.'

कोर्ट ने कहा कि इस मामले से बैंक का कामकाज साफ हो जाता है कि कैसे एक गरीब लड़की को 3.45 लाख रुपए एजुकेशन लोन के लिए बैंक के चक्कर काटने पड़े.

क्या है मामला

2011-12 सेशन में इंजीनियरिंग में दाखिला लेने वाली तमिलनाडु की एक छात्रा ने इंडियन ओवरसीज बैंक में 3.45 लाख रुपए एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई किया था. तब बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया था.

बैंक के लोन देने से इनकार करने पर छात्रा हाईकोर्ट पहुंची थी. सिंगल जज की बेंच ने छात्रा के पक्ष में फैसला सुनाया और बैंक को लोन मंजूर करने का आदेश दिया. बैंक ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की बड़ी बेंच में अपील कर दी. इसी अपील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने यह फैसला दिया.