view all

मध्य प्रदेश: खतरनाक आतंकियों को काबू में करेंगी महिला कमांडो

मध्यप्रदेश की जेलों में हर मुश्किल स्थिति का सामना करने के लिए महिला जेल गार्ड्स को कमांडों की ट्रेनिंग के साथ तैनात किया गया है.

Dinesh Gupta

मध्यप्रदेश की जेलों में हर मुश्किल स्थिति का सामना करने के लिए महिला जेल गार्ड्स को कमांडों की ट्रेनिंग के साथ तैनात किया गया है. संभवत: देश में यह पहली बार है कि जेल गार्ड्स को कमांडो की ट्रेनिंग दिलाई गई है.

जेलों में खाकी वर्दी में बंदूक लेकर तैनात जेल गार्ड जरूरत पड़ने पर अपनी आत्मरक्षा भी नहीं कर पाते. इस कारण कई खतरनाक कैदी जेल तोड़कर भागने में सफल हो जाते हैं. पिछले साल दीपावली पर सिमी के आठ लोग एक जेल गार्ड की हत्या कर भागने में सफल हो गए थे. बाद में ये फरार कैदी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए.


मध्यप्रदेश की कई जेलों में इन दिनों पचास से अधिक ऐसे सजायाफ्ता अथवा विचाराधीन कैदी हैं, जिनके रिश्ते आईएसआईएस और पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों से हैं. कई खतरनाक वारदातों को भी अंजाम दे चुके हैं. ये कैदी जेल गार्ड्सगार्ड्स पर कई बार हमला भी कर चुके हैं.

हाल ही नियुक्त जेल गार्ड्स को सरकार ने सेना के जवानों दी जाने वाली ट्रेनिंग भी दिलाई है. इन नवनियुक्त महिला जेल गार्ड्स ने दीक्षांत समारोह में अपने शौर्य का प्रदर्शन किया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कहना पड़ा कि अब खतरनाक अपराधी जेल से भागने का सोचेंगे भी नहीं.

जेल गार्डों से कराया जाता है पशुपालन और बागबानी

मध्यप्रदेश में कुल 122 जेल हैं. इनमें 45 हजार से अधिक सजायाफ्ता अथवा विचाराधीन कैदी हैं. जेल की सुरक्षा पूरी तरह से गार्ड्स के जिम्मे रहती है. गार्ड पुलिस के आरक्षक स्तर के होते हैं. भर्ती के वक्त इन्हें मामूली प्रशिक्षण दिया जाता है. देश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेल विभाग पर कैदियों के जीवन बदलाव लाने की जिम्मेदारी है. इस कारण गार्ड्स को भी पशुपालन, बागबानी आदि का काम सिखाया जाता है. एक तरह से कुटीर उद्योग चलाने का प्रशिक्षण उनके पास होता है.

राज्य के जेल महानिदेशक संजय चौधरी कहते हैं कि सुधार की प्रक्रिया में सुरक्षा का मुद्दा पीछे छूट गया था.गार्ड्स के पास हाथ में बंदूक जरूर होती है,लेकिन कई गार्ड्स मौका पड़ने पर आत्मरक्षा भी नहीं कर पाते हैं. जेल में महिला गार्ड्स की संख्या भी अच्छी खासी है.

चौधरी ने जेल की सुरक्षा को जरूरी मानते हुए गार्ड्स की ट्रेनिंग पैटर्न में बदलाव किया. पुराने गार्ड्स को रेफ्रिशर कोर्स कराया गया. नव नियुक्त गार्ड्स को कंमाड़ों को दी जाने वाली कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा. राज्य की सरकारी नौकरी में 33 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित है. सरकार ने जब आरक्षण की व्यवस्था लागू की तो पुलिस और जेल विभाग दोनों ने ही इसका विरोध किया. सरकार नहीं मानी. जेल में 252 महिला गार्ड्स भर्ती हुईं हैं.

पुरूष गार्डों पर भारी पड़ती महिला गार्ड

बीएसएफ कमांडों की टे्रनिंग लेकर लौटीं महिला गार्ड्स को अलग-अलग जेल में तैनात कर दिया गया है. नव नियुक्त महिला गार्ड्स महज 10 सेकंड में खूंखार से खूंखार कैदी को पस्त करने में सक्षम हैं. 30 सेकंड में एके-47 और इंसास जैसे हथियारों को खोलकर उन्हें बंद कर गोली दागने में भी माहिर हैं. 20 किलो वजनी बर्फ की सिल्ली को एक हाथ से ढाई सेकंड में ब्रेक और पत्थरों की स्लाइड को एक झटके में तोड़ सकतीं हैं. आंख बंद होने पर भी एक मिनट में हथियार खोलकर उसे फिर से बंद कर सकतीं हैं.

अपराधियों का मनोविज्ञान भी उन्हें पढ़ाया गया है. एक हाथ से 25 सेकंड में एके-47 को लोड करने में माहिर शिखा सिंह के लिए ट्रेनिंग के प्रारंभिक दिन मुश्किल भरे थे. ट्रेनिंग के बाद वे आत्मविश्वास से भरी हुईं हैं. शिखा सिंह कहती हैं कि वर्दी पहनने का मेरा सपना पूरा हुआ. नक्सल प्रभावित बालाघाट की मंजूलता गौतम महज दस सेकंड में दुश्मन को काबू में कर सकतीं हैं. भारती राजगिरी की ब्लैक कमांडो ड्रेस पहनने की इच्छा भी पूरी हो गई है.

नौ कैदियों पर है एक गार्ड

मध्यप्रदेश की जेलों में कई खतरनाक आतंकवादी बंद हैं. जेल में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम भी नहीं है. खतरनाक कैदी कई बार गार्ड्स से मारपीट कर चुके हैं. राज्य की जेलों में नौ कैदियों पर एक गार्ड है, जबकि जरूरत छह कैदियों पर एक गार्ड की है. सरकार अब जेल के प्रशासनिक ढांचे को पुलिस की तर्ज पर विकसित करने पर विचार कर रही है.

अभी जेल विभाग के कैडर में जेल गार्ड्स, मुख्य जेल गार्ड्स, डिप्टी जेल अधीक्षक, जेल अधीक्षक, डीआईजी, आईजी, एडीजी और डीजी रैंक के अधिकारी-कर्मचारियों की व्यवस्था है, लेकिन जेल के इस सिस्टम से मुख्य जेल गार्ड्स के बाद पुलिस की तरह एएसआई, एसआई, टीआई, सीएसपी, डीएसपी, एएसपी और एसपी रैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों की कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण उम्र दराज गार्ड्स सुरक्षा करते नजर आते हैं.