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हवाई टिकट धोखाधड़ी मामला : नाइजीरियाई मां-बेटी जेल से रिहा

उन्हें स्थानीय जेल से रिहा कर दिया गया है. ये मां-बेटी एक साल से ज्यादा समय से न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद थीं

Bhasha

अपनी बेटी के साथ पिछले साल भारत पहुंची 55 वर्षीय नाइजीरियाई महिला को एमपी हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने वह प्राथमिकी खारिज कर दी है जिसमें मां-बेटी को हवाई टिकट बुक कराने की एक करोड़ रुपए से ज्यादा की कथित धोखाधड़ी में शामिल बताया गया था. महिला अपनी बेटी की हड्डी से संबंधित गंभीर बीमारी के इलाज के लिए भारत आई थी.

इसके बाद उन्हें स्थानीय जेल से रिहा कर दिया गया है. ये मां-बेटी एक साल से ज्यादा समय से न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद थीं. अपराध शाखा के एएसपी अमरेंद्र सिंह ने गुरूवार को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार मुयीनात एडेनिके बालोगुन (55) और साइदात फोलाके बालोगुन (25) को जेल से रिहा कर दिया गया है.


सिंह ने बताया, 'रिहाई के बाद दोनों महिलाओं को शहर के एक महिला आश्रय गृह में अस्थाई तौर पर रखा गया है. उन्हें नाइजीरिया भेजने के लिए जरूरी औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

इंदौर की निजी ट्रैवल्स कंपनी की शिकायत पर हुई थी गिरफ्तारी 

हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस एससी शर्मा ने नाइजीरियाई मां-बेटी की ओर से सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका मंजूर करते हुए आठ मार्च को उनकी रिहाई का आदेश सुनाया.

इंदौर की एक निजी ट्रैवल्स फर्म की शिकायत के आधार पर पुलिस की अपराध शाखा ने मुयीनात और उनकी बेटी को नई दिल्ली से 24 जनवरी 2017 को गिरफ्तार किया था.

अभियोजन पक्ष के मुताबिक इन महिलाओं पर आरोप लगाया गया था कि वे आपराधिक धोखाधड़ी करने वाले उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने फर्जीवाड़े से बुक कराये गए 83 हवाई टिकटों के आधार पर अलग-अलग जगहों की यात्रा की थी. इन टिकटों की कुल कीमत करीब एक करोड़ आठ लाख रुपए थी और इंदौर की फर्म को इसका भुगतान नहीं होने पर फर्म ने आखिरकार पुलिस की शरण ली थी.

बचाव पक्ष ने कहा एजेंट की धोखाधड़ी की है, मां-बेटी ने नहीं 

उधर, बचाव पक्ष ने अदालत में दलील दी कि मुयीनात और उसकी बेटी ने किसी केनेथ स्टोन को तय रकम चुकाकर उससे हवाई टिकट खरीदे थे. अगर स्टोन ने कथित छल करते हुए इंदौर की ट्रैवल्स फर्म तक यह रकम नहीं पहुंचाई, तो इसकी सजा मां-बेटी को नहीं दी जा सकती.

बहस के दौरान बचाव पक्ष ने यह भी बताया कि हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल 2017 को पांच-पांच लाख रुपए के निजी मुचलके पर मां-बेटी की जमानत याचिका मंजूर कर ली थी. लेकिन अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति और स्थानीय संपर्कों के अभाव के कारण वे मुचलका भरने में असमर्थ रहीं और जेल से रिहा नहीं हो सकीं.

बचाव पक्ष के मुताबिक मुयीनात मेडिकल वीजा पर अपनी बेटी के साथ नाइजीरिया के लागोस से नई दिल्ली पहुंची थी. मुयीनात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के कमजोर होने की बीमारी) का इलाज और घुटने बदलवाने की सर्जरी कराना चाहती थीं.