मध्य प्रदेश में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. तमाम राजनीतिक पार्टियां ज्यादा से ज्यादा इलाकों में जनसभाएं कर लोगों को लुभाने में जुट गई हैं. इस बार के चुनावी समर में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आरक्षण (एससी/एसटी आरक्षण) बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.
आरक्षण को लेकर सामान्य वर्ग का गुस्सा साफ तौर पर जाहिर हो रहा है जिसका सीधा असर इस बार के चुनावों पर पड़ सकता है. राजधानी भोपाल के कुछ इलाकों में लोग अपने घरों के बाहर पोस्टर लगाकर आरक्षण का विरोध जता रहे हैं. इन पोस्टरों में लिखा हुआ है, 'मैं सामान्य वर्ग से हूं. कृपया कोई भी राजनीतिक दल वोट मांग कर शर्मिंदा न करें.' इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि लोग इस बार नोटा (नन ऑफ द अबव) को वोट करेंगे.
लोगों का कहना है कि, 'एससी/एसटी आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए. इससे सामान्य वर्ग फाफी प्रभावित हो रहा है.' लोगों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 'अगर आरक्षण का यह सिलसिला जारी रहा तो हम इस बार चुनावों में नोटा के लिए वोट देंगे.'
मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों के लिए 28 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होना है. चुनावी मौसम में समान्य वर्ग की आरक्षण को लेकर भड़की नाराजगी राजनीतिक पार्टियों विशेष कर सत्ताधारी बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है.