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मध्य प्रदेश की सड़कें खराब ही हैं, बस शिवराज का नजरिया पॉजिटिव है

मध्य प्रदेश की वास्तविक स्थिति और सीएम के बयान के बीच जमीन-आसमान का फर्क है

Dinesh Gupta

मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर से दतिया जिला मुख्यालय की दूरी लगभग अस्सी किलोमीटर है. नवंबर 2012 में भारतीय जनता पार्टी की सांसद और अभिनेत्री हेमामालिनी इस सड़क से यात्रा कर चुकी हैं. अपनी यात्रा के बाद हेमामालिनी ने कहा था कि यह पता ही नहीं चलता कि सड़क में गड्डा है या गड्डे में सड़क.

पांच साल बाद भी यह सड़क बनकर तैयार नहीं हुई है. सड़क बनाने वाला ठेकेदार जब काम छोड़कर भाग गया तो मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ सड़क की स्थिति का जायजा लिया.


इसके बाद इसे चलने लायक बनाने के आदेश दिए. कोर्ट के आदेश पर बनाया गया मोटरेबल (वाहन चलने योग्य बनाए गए वो रास्ते जहां पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है) भी दम तोड़ रहा है. जून माह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की थी कि अगले तीन-चार माह में सड़क का काम शुरू हो जाएगा.

ग्वालियर से दतिया की यह सड़क नेशनल हाईवे क्रमांक 75 है. अपनी यूएस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्यप्रदेश की सड़कों को अमेरिका से बेहतर बताए जाने के बाद सोशल मीडिया पर खराब और जर्जर सड़कों की फोटो की बाढ़ आ गई है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्वीट के साथ राजधानी भोपाल की सड़कों की कुछ फोटो भी पोस्ट की हैं. सिंधिया ने लिखा कि कोई इनकी आंखों की पट्टी उतारे,शिवराज सिंह चौहान आंखे खोलिए और सच का सामना कीजिए. ये हकीकत है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ट्रोल करने वालों ने उनके निर्वाचन क्षेत्र बुधनी से गुजरने वाले हाईवे की फोटो भी पोस्ट की हैं. इस सड़क पर फिल्म स्टार ऋषि कपूर सफर कर चुके हैं. ऋषि कपूर ने भी हेमामालिनी की तरह ही सरकार की जमकर खिंचाई की थी. केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निर्वाचन क्षेत्र विदिशा को बीना से जोड़ने वाली टोल रोड के फोटो भी वायरल हो रहे हैं. राजधानी भोपाल को आसपास के जिलों से जोड़ने वाली अधिकांश सड़कें उखड़ी हुई हैं. जबकि राज्य में इस साल औसत से भी कम बारिश हुई है. सड़कों की रिपेयरिंग भी नहीं की गई है.

सीमेंट की सड़कें बना रही है शिवराज सरकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने यूएस दौरे में दावा किया है कि उनके कार्यकाल में एक लाख 75 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण कराया गया है. मध्यप्रदेश में नेशनल हाईवे की कुल लंबाई 7806 किलोमीटर है. इसमें 794 किलोमीटर लोक निर्माण विभाग के पास है.

एनएचएआई (नेशनल हाईवे ऑथोरिटी) के पास है. 4342 किलोमीटर सड़क निर्माण काम सड़क विकास निगम के पास है. कुल स्टेट हाईवे 11050 किलोमीटर है और लगभग 21132 किलोमीटर मुख्य जिला मार्ग हैं. सरकार, मुख्य जिला मार्ग की सड़कें सीमेंट कंक्रीट की बना रही है. परंपरागत डामर की सड़कें बनाने का काम धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है.

सरकार का अनुमान है कि सीमेंट की सड़कें बनाने से लंबे समय तक मरम्मत की जरूरत नहीं होगी. सड़क विकास निगम ने जहां भी नई सड़कें बनाई हैं, वहां सरकार टोल वसूल रही है. नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और मुख्य जिला मार्ग की कुल लंबाई लगभग चालीस हजार किलोमीटर है. लोक निर्माण विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लगभग एक हजार किलोमीटर के हाईवे के फोरलेन करने का काम तेजी से चल रहा है. वर्ष 2016-2017 में 139 किलोमीटर सड़क बनानी थी, लेकिन 29.52 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य ही पूरा किया जा सका.

PMGSY की सड़कें बनाने में मध्यप्रदेश सबसे आगे

मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लगभग पचहत्तर हजार किलोमीटर की सड़कें बनाई गईं हैं. नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और मुख्य जिला मार्ग की सड़कों की लंबाई भी यदि जोड़ी जाए तो भी पौने दो लाख किलोमीटर लंबी सड़क नहीं होती है. देश में अकेला मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जिसने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सबसे ज्यादा लंबी सड़कें बनाई है.

ठेकेदार से सड़कों के मेंटेनेंस के लिए पांच साल की गारंटी भी ली गई है. राज्य के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में PMGSY में बनाई गईं सड़कें स्टेट हाईवे अथवा टोल रोड से भी बेहतर हैं. जहां भी मुख्य जिला मार्ग की सड़क अच्छी स्थिति में नहीं हैं,वहां लोग आने-जाने के लिए PMGSY की सड़क का उपयोग करते हैं.

केंद्र सरकार ने योजना के दूसरे चरण में पांच सौ कम आबादी वाले सामान्य क्षेत्र, ढाई सौ से कम आबादी वाले आदिवासी क्षेत्र एवं सौ लोगों की जनसंख्या वाले मजरे-टोलों को बड़े गांवों से जोड़ने की मंजूरी दी है. मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव कहते हैं कि PMGSY में राज्य द्वारा किए सड़क निर्माण को कई अवार्ड भी केंद्र सरकार ने दिए हैं.

यूएस टूरिस्ट नहीं जा पा रहे खजुराहो

राज्य की खराब सड़कों के कारण टूर ऑपरेटर्स ने खजुराहो-ओरछा के टूरिस्ट सर्किट को अपने टूरिस्ट डेस्टिनेशन से बाहर कर दिया है. विदेशी टूरिस्टों के लिए खजुराहो सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है. ओरछा का रामलला का मंदिर भी खजुराहो के साथ ही जुड़ा हुआ है. खजुराहो पहुंचने के लिए विदेशी पर्यटकों को ट्रेन से झांसी और फिर सड़क मार्ग से ओरछा-खजुराहो ले जाया जाता है.

ओरछा, उत्तरप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. मध्यप्रदेश की सीमा प्रवेश करते ही पर्यटकों का सामना खराब रोड से होता है. ओरछा से खजुराहों की यात्रा भी कष्टदायक होती है खराब सड़कों के कारण ओरछा और खजुराहो आने वाले पर्यटकों की संख्या तेजी से घट रही है. यूएस के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ही संभवत: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की सड़कों की तारीफ की होगी. उनके गृह राज्य मध्यप्रदेश में यह तारीफ मजाक का विषय बन गई है.

शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के सदस्यों और पार्टी के पदाधिकारियों को अपने बचाव में दिग्विजय सिंह शासनकाल की सड़कों की याद दिलाना पड़ रही है. कुछ दिन पूर्व ही राज्य के लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह ने खराब सड़कों पर बयान दिया था कि सरकार ने चुनिंदा सड़कें खराब इसलिए रखी हैं कि लोगों को कांग्रेस का शासन याद रहे. मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के बयान की सच्चाई हर सड़क पर देखी जांची जा सकती है.

डबल डिजिट की ग्रोथ रेट से भी नहीं दिख रहा विकास

मध्यप्रदेश में सड़क और बिजली दोनों ही पिछले पंद्रह साल से चुनाव का बड़ा मुद्दा बने हुए हैं. पिछले दस साल में बिजली की स्थिति में सुधार देखने को मिला था. अब फिर पिछले छह माह से राज्य में बिजली की स्थिति में गिरावट देखने को मिल रही है.

इसकी बड़ी वजह कोयले की कमी है. राज्य में बिजली की उपलब्धता के आधार पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निवेशकों को मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित करने की कोशिश करते रहे हैं. कृषि उत्पादन में वृद्धि के आधार पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट की व्यापक संभावनाओं की भी वे मार्केटिंग कर रहे हैं. यूएस में भी उन्होंने निवेशकों को मध्यप्रदेश में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का न्योता दिया.

यूनाइटेड स्टेट कांग्रेस की सदस्य सुश्री तुलसी गबार्ड को मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश में पिछले एक दशक में हुए अभूतपूर्व विकास की प्रमुख उपलब्धियों की चर्चा करते हुए बताया कि कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. अब मध्यप्रदेश में जैविक खेती पर पूरा ध्यान केंद्रित किया गया है. पूर्वी मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में बड़ी संख्या में किसान जैविक खेती अपना रहे हैं. मध्यप्रदेश में वर्ष 2015-2016 की तुलना में सकल राज्य घरेलू उत्पाद(जीएसडीपी) में लगभग अठारह प्रतिशत बढ़ा है.

यह योगदान जीएसडीपी के पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों को शामिल किए जाने के कारण दिखाई दे रहा है. कृषि क्षेत्र में दो अंकों की ग्रोथ रेट के बाद भी किसानों की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. किसानों को अपनी फसल आज भी व्यापारियों द्वारा तय दामों पर बेचना पड़ रही है. भावतंर योजना के तहत किसानों को फसल के दाम दो माह बाद ही हाथ में आ सकेंगे.