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#MeTooVsAkbar: पत्रकारिता के सबसे यशस्वी शख्स एमजे अकबर को जानिए

एम जे अकबर एक प्रमुख भारतीय पत्रकार, लेखक और राजनेता हैं, वह विदेश मामलों के राज्य मंत्री और मध्य प्रदेश से राज्यसभा में संसद सदस्य भी हैं, 5 जुलाई 2016 को उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केंद्रीय मंत्री परिषद में शामिल किया गया था

FP Staff

एम जे अकबर (मोबासर जावेद अकबर) का जन्म 11 जनवरी 1951 में हुआ था. वह एक प्रमुख भारतीय पत्रकार, लेखक और राजनेता हैं. एम जे अकबर विदेश मामलों के राज्य मंत्री और मध्य प्रदेश से राज्यसभा में संसद सदस्य भी हैं.

5 जुलाई 2016 को उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्री परिषद में शामिल किया गया था. अक्टूबर 2012 में अपने इस्तीफे तक वह साप्ताहिक अंग्रेजी समाचार पत्रिका 'इंडिया टुडे' के संपादकीय निदेशक रह चुके हैं. इस दौरान उन्हें मीडिया कंपनियों के संगठन तथा अंग्रेजी समाचार चैनल 'हेडलाइंस टुडे' की देखरेख के लिए एक अतिरिक्त जिम्मेदारी भी मिली हुई थी.


2010 में साप्ताहिक समाचार पत्र 'द संडे गार्जियन' का शुभारंभ किया

एम जे अकबर 'द टेलीग्राफ' के संपादक भी रह चुके हैं. एक समय तो यह भी कहा जाता था कि मंत्री और मुख्यमंत्री मनाते थे कि एम जे अकबर उनकी कवर स्टोरी न छापें क्योंकि कवर स्टोरी छपी नहीं कि कुर्सी गई, जैसा माहौल बन गया था. उन्होंने 2010 में साप्ताहिक समाचार पत्र 'द संडे गार्जियन' शुरू किया था.  वह लगातार इसके प्रधान संपादक रहे. इससे पहले वह दक्षिण भारत की प्रमुख अंग्रेजी पत्रिका 'एशियन एज' के संस्थापक भी रह चुके थे. वह हैदराबाद के दैनिक समाचार पत्र 'डेक्कन क्रॉनिकल' के प्रधान संपादक भी रह चुके हैं. एम जे अकबर साल 2002 में 'स्टार न्यूज' (अब एबीपी न्यूज ) के लिए ‘अकबर का दरबार’ कार्यक्रम करते थे.

अकबर पर आरोप है कि इतने बड़े-बड़े अखबारों में इतने ऊंचे पद पर काम करने के दौरान उन्होंने कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया. वैसे अकबर इन सभी आरोपों को झूठ बता रहे हैं और उन्होंने इन लड़कियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है.

एक चेहरा अनेक चेहरा!

अकबर का पत्रकारिता का करियर बेहद शानदार रहा. #MeToo कैंपेन शुरू होने के पहले तक अकबर के नाम पर शायद ही कोई इतना बड़ा धब्बा लगा हो. अपने करियर के दौरान उन्होंने कई बेहतरीन किताबें लिखी हैं. इन्हीं में एक जवाहर लाल नेहरू की जीवनी 'द मेकिंग ऑफ इंडिया' और कश्मीर पर आधारित 'द सीज विदिन' काफी चर्चित रही है. वह 'दि शेड ऑफ शॉर्ड और ए कोहेसिव हिस्ट्री ऑफ जिहाद' के भी ऑथर हैं. हाल ही में उनकी एक किताब 'ब्लड ब्रदर्स' है, जिसमें भारत में घटनाओं की जानकारी और दुनिया, खासकर हिंदू-मुस्लिम के बदलते संबंधों के साथ तीन पीढ़ियों की गाथा का उल्लेख है. उनकी यह पुस्तक 'फ्रेटेली डी संग' के नाम से इतालवी में अनुवादित हुई है. इसे 15 जनवरी 2008 को रोम में जारी किया गया था. पाकिस्तान में पहचान के संकट और वर्ग संघर्ष पर आधारित उनकी पुस्तक 'टिंडरबॉक्स: दि पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान' जनवरी 2012 में प्रकाशित हुई है.

क्या होगी आगे की राजनीति?

एम जे अकबर राजनीति में भी काफी सफल रहे हैं. वह 1989 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में पहली बार बिहार के किशनगंज से लोकसभा के लिए चुने गए थे. वह किशनगंज से 2 बार सांसद रह चुके हैं. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रवक्ता भी रहे हैं. मार्च 2014 में वह बीजेपी में शामिल हुए हैं और वर्तमान में उसके प्रवक्ता हैं.

#MeToo कैंपेन में उनके खिलाफ करीब 9 महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न का  आरोप लगाया है. ऐसे में जहां उम्मीद की जा रही थी कि विदेश से लौटने के बाद वह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब देखना है कि अकबर की आगे की रणनीति क्या होती है.