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किसान ने मांगा जमीन का मुआवजा तो कोर्ट ने पकड़ा दी पूरी की पूरी ट्रेन

याचिकाकर्ता इस 300 मीटर लंबी ट्रेन का करेगा क्या?

FP Staff

तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख और फिर गुस्से में कोर्ट ने किसान के नाम कर दी पूरी की पूरी ट्रेन. ये कोई मजाक नहीं है.

लुधियाना जिले के कटाना गांव में भारतीय रेलवे ने किसान सम्पूरण सिंह की जमीन अधिगृहित की थी. मुआवजा नहीं मिला तो मामला कोर्ट पहुंचा.


कोर्ट ने भारतीय रेलवे को 1 करोड़ सैंतालीस लाख का मुआवजा चुकाने का आदेश दिया. लेकिन रेलवे लगातार कोर्ट की बात को अनसुना करता रहा. कोर्ट के आदेश के बाद भी रेलवे ने सिर्फ 42 लाख रूपए ही चुकाया है.

बुधवार को जब सम्पूरण सिंह कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया, जैसा कुछ आपने पहले नहीं सुना होगा.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लुधियाना के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज जसपाल वर्मा ने अमृतसर से नई दिल्ली के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को ही किसान के नाम कर दिया और साथ ही ट्रेन को घर ले जाने का आदेश भी दे दिया. इतना ही नहीं कोर्ट ने स्टेशन मास्टर का कार्यालय भी किसान के नाम कर दिया.

हालांकि ट्रेन तो सम्पूरण सिंह की हो गई पर वो इसे घर नहीं ले जा पाए. कोर्ट के आदेश के बाद जब सम्पूरण सिंह अपने वकील के साथ ट्रेन लेने स्टेशन पहुंचे और ड्राइवर को पेपर सौंपे तो रेलवे के सेक्शन इंजीनियर प्रदीप कुमार ने सुपरदारी के आधार पर ट्रेन को किसान के कब्जे में जाने से रोका.

फिलहाल स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस कोर्ट की प्रॉपर्टी है.

इस मामले पर रेलवे के डिविजनल मैनेजर अनुज प्रकाश का कहना है कि मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है और लॉ मिनिस्ट्री कोर्ट के इस आदेश की समीक्षा कर रही है. अनुज ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता इस 300 मीटर लंबी ट्रेन का करेगा क्या? क्या वो इसे घर ले जाएगा?

ये पूरा मामला साल 2007 में शुरू हुआ, जब रेलवे ने लुधियाना चंडीगढ़ पटरी बिछाने के लिए जमीन पर कब्जा किया था. रेलवे ने बात तो सौ टके की है. कार और स्कूटर पार्किंग की जगह तो मिलती नहीं, ये किसान इतनी लंबी ट्रेन को कहां पार्क करेगा. पार्किंग तो एक बात है, पर वो इस ट्रेन का करेगा क्या?