view all

उन्नाव केस: डीजीपी के बयान से साफ है- ‘विधायक जी’ कानून से ऊपर हैं

प्रदेश के डीजीपी एक नामजद अभियुक्त के बारे में बात करे थे न कि विधायक के बारे में. उनको बोलना चाहिए था कि आरोपी कोई भी हो पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी.

Ravishankar Singh

उत्तर प्रदेश में बीजेपी शासन के शुरुआती शासनकाल में लोगों को यह लगने लगा था कि यूपी पुलिस के काम करने के तौर-तरीके में काफी बदलाव आ गया है. राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ भी कई मौकों पर यूपी की बिगड़ती कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर काफी फिक्रमंद नजर आते रहते थे. योगी कहते थे कि किसी भी कीमत पर राज्य में कानून का राज कायम कर के ही दम लूंगा.

योगी राज के शुरुआती दिनों में एक के बाद एक एनकाउंटर की खबरें अखबारों की सुर्खियां बटोर रही थीं. लोगों को भी लगने लगा था कि यूपी में बिगड़ती कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर सरकार वाकई फिक्रमंद है और काफी कदम भी उठा रही है. लोगों को यह लगने लगा था कि अपराध और अपराधी को काबू करने के मामले में योगी सरकार किसी प्रकार की कोई कोताही बर्दाश्त नहीं करेगी.


लेकिन, उन्नाव में एक लड़की के द्वारा सत्ता पक्ष के ही एक विधायक पर रेप का आरोप लगाना और उसके बाद यूपी पुलिस और सरकार पर उस विधायक पर लगातार मेहरबानी दिखाने ने भी पिछली सरकारों की कार्यशैली की याद दिला दी.

पिछले कुछ दिनों से उन्नाव की एक लड़की के द्वारा बीजेपी के एक विधायक पर रेप का आरोप लगाना योगी सरकार के साथ यूपी पुलिस को भी नागवार गुजरा. रेप पीड़िता इस लड़की का दरबदर भटकना और बाद में उसके पिता की भी दर्दनाक मौत ने यूपी पुलिस और यूपी सरकार के मानवीय चेहरे को एक बार फिर से बेनकाब कर दिया है.

इस मामले में पुलिस की भद तब और पिटी जब राज्य के डीजीपी के द्वारा आरोपी विधायक को माननीय और सम्मानीय शब्दों जैसे शब्दों के साथ संबोधित किया गया. यह एक विशेष वर्ग को खुश करने की कवायद के अलावा कुछ और नहीं है.

एक तरफ राज्य में दनादन एनकाउंटर खबरें तो दूसरी तरफ कुछ मामलों में आरोपियों को बचाने को लेकर यूपी पुलिस के नए-नए पैंतरे ने साबित कर दिया है कि सरकार चाहे किसी की भी पार्टी की रहे पर उसके रवैये में कोई बदलावल नहीं आता. केंद्र से सालों बाद राज्य की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आए नए डीजीपी ओपी सिंह का आचरण सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे कोई बड़ा आदमी जब अपराध करता है तो पुलिस विभाग कठपुतली की तरह उसके इशारों पर नाचता है.

अगर बात आरोपी विधायक की जाए तो पिछले दो दिनों में आरोपी विधायक के बचाव में कई लोग सामने आए. खुद आरोपी विधायक की पत्नी ने भी मीडिया के सामने आकर कहा कि मेरे पति और पीड़िता दोनों का नार्को टेस्ट होना चाहिए. नार्को टेस्ट से दूध का दूध और पानी हो जाएगा. बीजेपी के ही एक और विधायक सामने आए और कहा कि कोई क्यों तीन बच्चों की मां से रेप करेगा ! रही-सही कसर राज्य के डीजीपी ओपी सिंह ने गुरुवार को मीडिया के सामने आकर आरोपी विधायक के नाम के आगे माननीय और सम्मानीय लगाकर पूरी कर दी.

अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में पुलिस अधिकारियों का व्यवहार सभी माननीयों के प्रति ऐसा ही होता है, जैसा कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में हुआ है?

आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सिंह सेंगर हों या फिर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन या फिर फिल्म एक्टर शायनी अहुजा की पत्नी अनुपम हो या फिर आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर. सभी महिलाएं अपने पति के बचाव में सामने आ जाती हैं. लेकिन, हाल के दिनों में ऐसे कम ही मौके देखे गए हैं, जब किसी सरकार या फिर किसी राज्य के डीजीपी किसी आरोपी विधायक के नाम के आगे सम्मानीय शब्द का प्रयोग किया हो.

उन्नाव जिले के बांगरमऊ सीट से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर बलात्कार के मामले में आरोपी हैं, लेकिन यूपी के डीजीपी के लिए वह आज भी माननीय हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी फटकार जिस विधायक की गिरफ्तारी को लेकर लगी हो उस विधायक के बारे में माननीय शब्द का प्रयोग डीजीपी के द्वारा किया जाना यूपी की राजनीति की एक नई मिजाज को दर्शाता है.

आईपीसी एक्ट में किसी आम आदमी से लेकर विधायक, सांसद या फिर मंत्री की गिरफ्तारी के अधिकार हैं. इसके बावजूद पुलिस को वीवीआईपी लोगों को गिरफ्तार करने में क्यों डर लगता है? यूपी के डीजीपी बाद में भले ही अपनी सफाई दें कि क्योंकि आरोपी विधायक पर अभी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है, इसलिए सम्मानीय शब्द का प्रयोग किया गया, यह कहीं से तर्कसंगत नहीं लगता है.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रविशंकर कुमार फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए इस मामाले में कुलदीप सिंह सेंगर का जो कृत्य है वो विधायक के तौर पर नहीं है. कुलदीप सिंह सेंगर का व्यक्तिगत मामला है. विधायक का जो कार्य किया जाता है वह विधानसभा में किया जाता है. आप अगर विधायक हैं तो घर में पति भी हैं, किसी मां के बेटे भी हैं, किसी बच्चे के पिता भी तो हैं. हर आदमी की अलग-अलग भूमिका होती है. राज्य के डीजीपी का माननीय शब्द बोलना आवंछित था. प्रदेश के डीजीपी एक नामजद अभियुक्त के बारे में बात करे थे न कि विधायक के बारे में. उनको बोलना चाहिए था कि उनको बोलना चाहिए था कि आरोपी कोई भी हो पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी. यह विधानसभा के अंदर घटित कोई कार्रवाई नहीं थी.’